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श्रीलंका की सरकार ने मवेशियों के वध पर रोक लगाई, ‘बीफ’ खाने वाले लोगों के लिए विशेष व्यवस्था

श्रीलंका की सरकार ने देश में गोकशी एवं अन्य मवेशियों के वध पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंकाई सरकार ने देश में मवेशियों के वध पर रोक लगाने वाले प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी।

Sri Lanka bans cattle slaughter, Sri Lanka bans cow slaughter, Sri Lanka bans beef slaughter- India TV Hindi Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL श्रीलंका की सरकार ने देश में गोकशी एवं अन्य मवेशियों के वध पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।

कोलंबो: श्रीलंका की सरकार ने देश में गोकशी एवं अन्य मवेशियों के वध पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंकाई सरकार ने देश में मवेशियों के वध पर रोक लगाने वाले प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी। हालांकि  उन लोगों के लिए 'बीफ' आयात करने का फैसला किया गया है जो इसका सेवन करते हैं। कैबिनेट प्रवक्ता और जन मीडिया मंत्री के.रामबुकवेल्ले ने कहा कि कैबिनेट ने देश में मवेशियों के वध पर रोक लगाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय को कानूनी रुप देने के लिए प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। हालांकि माना जा रहा है कि इस फैसले से देश के मुस्लिमों र बौद्धों के बीच खाई और चौड़ी होगी। दरअसल, देश के मुस्लिम बड़ी संख्या में मीट इंडस्ट्री से जुड़े हैं, और इस फैसले से उनके हित प्रभावित होंगे।

बता दें कि 8 सितंबर को सत्तारूढ़ श्रीलंका पुडुजना पेरामुना (SLPP) के संसदीय समूह ने देश में गोवंश के वध पर रोक लगाने वाले प्रधानमंत्री महेंदा राजपक्षे के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। कैबिनेट ने कहा कि वह देश में लागू पशु अधिनियम, मवेशी वध अध्यादेश तथा अन्य संबंधित कानूनों और नियमों में संशोधन करने के लिए तत्काल जरूरी उपाय करेगी। अधिकारियों के मुताबिक, कैबिनेट ने 'बीफ' आयात करने का फैसला किया है और इसे उन लोगों को रियायती कीमत पर उपलब्ध कराएगी जो इसका सेवन करते हैं। वृद्ध मवेशियों के लिए भी एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा जिनका कृषि के लिए प्रभावी तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

कैबिनेट नोट में प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा गया है कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होने के नाते श्रीलंका में ग्रामीणों की आजीविका विकसित करने के लिए मवेशी संसाधन का योगदान बहुत बड़ा है। इसमें कहा गया है कि विभिन्न पार्टियों ने रेखांकित किया है कि मवेशियों के वध के कारण पारंपरिक कृषि उद्देश्यों के लिए आवश्यक पशुधन संसाधन अपर्याप्त है और अपर्याप्त पशुधन संसाधन स्थानीय डेयरी उद्योग के उत्थान के लिए एक बाधा है, जो ग्रामीणों की आजीविका के विकास के लिए जरूरी बनाता है। वर्ष 2012 की जनगणना के मुताबिक, देश की 2 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 70.10 फीसदी बौद्ध हैं, 12.58 प्रतिशत हिंदू, 9.66 प्रतिशत मुस्लिम, 7.62 फीसदी ईसाई और 0.03 प्रतिशत अन्य हैं।

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