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अफगानिस्तान में छिपा है 'बड़ा' खजाना, दूर हो सकती है गरीबी, चीन ने गड़ाई नजर

अफगानिस्तान भले ही गरीब मुल्क है, लेकिन इस देश की धरती में ऐसा खजाना छिपा हुआ है। जिससे अफगानिस्तान की गरीबी दूर हो सकती है। वह सफेद सोने का दूसरा सऊदी अरब बन सकता है।

अफगानिस्तान में छिपा है 'बड़ा' खजाना, दूर हो सकती है गरीबी, चीन ने गड़ाई नजर- India TV Hindi Image Source : FILE अफगानिस्तान में छिपा है 'बड़ा' खजाना, दूर हो सकती है गरीबी, चीन ने गड़ाई नजर

Afghanistan News: अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन भी शुरू हो गया। सत्ता बदल गई लेकिन अफगानिस्तान की नियति नहीं बदली। वह देश पहले भी गरीब था और तालिबान के श्खासन में आने के बाद भी गरीब है। हलांकि एक ऐसी खबर आई है, जिसे पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे। अफगानिस्तान भले ही गरीब मुल्क है, लेकिन इस देश की धरती में ऐसा खजाना छिपा हुआ है। जिससे अफगानिस्तान की गरीबी दूर हो सकती है। 

अफगानिस्तान की धरती पर बड़ी मात्रा में खनिज पदार्थ भरे पड़े हैं। इन्हीं में से एक है सफेद सोना। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों और भूवैज्ञानिकों के अनुसार अफगानिस्तान के पास 1 ट्रिलियन डॉलर की कीमत का खनिज भंडार है। इसमे लोहा, तांबा, सोना और दुर्लभ मूल्यवान संसाधनों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार भी शामिल है। 

दो दशक तक अमेरिका की सेना अफगानिस्तान में रही। इसके बाद 2021 में अमेरिकी सैनिक चले गए और तालिबान के हाथ में सत्ता आ गई। 3.4 करोड़ की आबादी वाले अफगानिस्तान में आय के स्रोत बेहद कम हैं। लेकिन जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था तब दुनिया में टेस्ला, आईफोन और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस नहीं आया था और न ही दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का चलन था। यदि ऐसा होता तो अमेरिका अब तक लिथियम का दोहर करना शुरू कर चुका होता। क्योंकि लिथियम इले​क्ट्रॉनिक व्हीकल के लिए बेहद मुफीद है। 

2040 तक लिथियम की डिमांड 40 गुना बढ़ जाएगी

लीथियम की डिमांड आज अपने उच्चतम स्तर पर है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि 2040 तक लिथियम की मांग 2020 की तुलना में 40 गुना बढ़ जाएगी। 'द रेयर मेटल्स वॉर' पुस्तक के लेखक गिलाउम पिट्रॉन ने कहा, 'अफगानिस्तान लिथियम के विशाल भंडार पर बैठा है, जिसका आज तक दोहन नहीं हुआ है।'

कम हो सकती है अफगानिस्तान की गरीबी

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक अफगानिस्तान भविष्य में दुनिया में लिथियम का प्रमुख स्रोत बन सकता है। पेंटागन के एक आंतरिक मेमो में तो यहां तक कह दिया गया कि अफगानिस्तान लिथियम का सऊदी अरब बन सकता है। इसके अलावा न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में लोहा, तांबा, कोबाल्ट और सोने का इतना बड़ा भंडार है कि यह देश की गरीबी को खत्म कर उसे महत्वपूर्ण खनन केंद्रों में बदल सकता है।

अफगानिस्तान से चीन करना चाहता है सौदा

अफगानिस्तान के अछूते खनिज भंडार को दुनिया नजरअंदार नहीं कर रही है। हालांकि अमेरिका इन खनिजों को निकलाने से दूर है, लेकिन चीन की करीबी अफगानिस्तान के साथ बढ़ रही है। 2021-22 तक लिथियम की कीमत 8 गुना बढ़ी है, जिसके कारण चीनी अफगानिस्तान की ओर आकर्षित हुए हैं। चीन नौकरियां देने और बुनियादी ढांचे के निर्माण के नाम पर तालिबान के साथ 10 अरब डॉलर का लिथियम सौदा करना चाहता है। हालांकि तालिबान भी कह चुका है कि वह चीन को लिथियम रिजर्व देने की जल्दी में नहीं है।

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