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Hindi News विदेश एशिया गलवान हिंसा के 3 साल बाद भारत और चीन के रक्षामंत्रियों में हुई "नियंत्रण रेखा" को लेकर बात, राजनाथ सिंह ने ड्रैगन को याद दिलाई "लक्ष्मण रेखा"

गलवान हिंसा के 3 साल बाद भारत और चीन के रक्षामंत्रियों में हुई "नियंत्रण रेखा" को लेकर बात, राजनाथ सिंह ने ड्रैगन को याद दिलाई "लक्ष्मण रेखा"

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगी गलवान घाटी में हिंसा के करीब 3 वर्ष बाद भारत और चीन के रक्षामंत्रियों में नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए भारत ने चीन को उसकी लक्ष्मण रेखा की याद दिलाई।

नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक करते भारत और चीन के रक्षामंत्री- India TV Hindi Image Source : PTI नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक करते भारत और चीन के रक्षामंत्री

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगी गलवान घाटी में हिंसा के करीब 3 वर्ष बाद भारत और चीन के रक्षामंत्रियों में नई दिल्ली में द्विपक्षीय वार्ता हुई। इस दौरान एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए भारत ने चीन को उसकी लक्ष्मण रेखा की याद दिलाई। भारत ने साफ कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते, जब तक कि चीन सीमा पर उकसावे वाली कार्रवाई को बंद नहीं करता।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू से कहा कि भारत-चीन संबंधों का विकास सीमा पर अमन-चैन की स्थिति पर आधारित है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सभी मुद्दों का समाधान मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप निकाला जाना चाहिए। सिंह ने पूर्वी लद्दाख में तीन साल से जारी सीमा विवाद के बीच शांगफू के साथ द्विपक्षीय बैठक में यह बात कही। शांगफू शुक्रवार को भारत की मेजबानी में यहां आयोजित हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे। इसके बाद सिंह के साथ उनकी बैठक हुई।

भारत ने चीन से की एलएसी मुद्दे पर खुलकर बात

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के घटनाक्रम और द्विपक्षीय संबंधों के बारे में खुलकर बातचीत की। उसने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री सिंह ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर अमन-चैन की स्थिति पर आधारित है।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों का समाधान मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुरूप करने की जरूरत है।’’ मंत्रालय के अनुसार सिंह ने इस बात को दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन से द्विपक्षीय संबंधों की संपूर्ण बुनियाद को नुकसान पहुंचा है। तीन साल पहले पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध उत्पन्न होने के बाद यह चीन के किसी रक्षा मंत्री की पहली भारत यात्रा है। दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता से कुछ दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा विवाद को खत्म करने के उद्देश्य से 18वें दौर की सैन्य वार्ता की थी।

सीमा क्षेत्र में शांति नहीं होने तक संबंधों में रहेगी कड़वाहट

गत 23 अप्रैल को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में दोनों पक्ष संपर्क बनाये रखने और पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों पर जल्द से जल्द पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए थे। हालांकि, विवाद खत्म करने के लिए आगे बढ़ने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला था। भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गोवा में एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी विदेश मंत्री छिन कांग भी अगले सप्ताह भारत आने वाले हैं। बैठक चार और पांच मई को होनी है।

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