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भारत के बाद रूस ने भी किया चीन के नए नक्शे का खंडन, जानिए क्या है दोनों देशों का विवाद?

चीन के विवादित नक्शे को अब उसके पक्के दोस्त रूस ने भी खारिज कर दिया है। पुतिन और जिनपिंग की दोस्ती भले ही दुनिया देख रही हो, लेकिन रूस द्वारा जिनपिंग के देश द्वारा जारी नक्शे को रूस ने खारिज कर दिया है।

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China-Russia Dispute: चीन ने जो विवादित नक्शा जारी किया है, उस पर दुनियाभर में बवाल मचा हुआ है। भारत ने तो चीन को ठेंगा दिखाते हुए नए नक्शे को खारिज कर दिया। वहीं दक्षिण चीन सागर के आसपास के देशों ने भी चीन के विवादित नक्शे को खारिज ​कर दिया। अब तक भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, नेपाल और ताइवान ने चीन के नए मानचित्र पर विरोध दर्ज कराया है। इस नए नक्शे में इन देशों की जमीनों और समुद्रों को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया गया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तो स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे विवादित मैप जारी करना चीन की पुरानी आदत है, इससे वास्तविक स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। चीन के विवादित नक्शे को अब उसके पक्के दोस्त रूस ने भी खारिज कर दिया है। पुतिन और जिनपिंग की दोस्ती भले ही दुनिया देख रही हो, लेकिन रूस द्वारा जिनपिंग के देश द्वारा जारी नक्शे को रूस ने खारिज कर दिया है। जानिए ऐसी क्या खास वजह है कि भारत के बाद रूस ने चीन के विवादित नक्शे को खारिज कर दिया?

चीन ने दोस्त रूस के साथ खेली चाल

चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत और दूसरे दक्षिण चीन सागर के आसपास के देश चिंतित हैं और उसके विवादित नक्शे को खारिज कर रहे हैं। इन सबके बीच नए चीनी मानचित्र में रूसी क्षेत्र को शामिल करना बीजिंग का अप्रत्याशित कदम माना जा रहा है। हालांकि रूसी प्रतिक्रिया भारत की तरह तीखी नहीं थी, फिर भी उसने चीनी दावों को खारिज कर दिया और कहा कि यह नक्शा 2005 में विवाद को समाप्त करने के लिए हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ है।

क्या था चीन-रूस में विवाद का कारण?

रूस ने चीनी मानचित्र को खारिज कर दिया और कहा कि चीन ने जिस क्षेत्र पर अपना दावा किया है, वह पहले ही एक समझौते के माध्यम से तय किया जा चुका है। यह विवाद बोल्शोई उस्सुरीस्की द्वीप पर है जिस पर चीन ने नए नक्शे में पूरा दावा किया है। यह द्वीप और आसपास का क्षेत्र उससुरी और अमूर नदियों के संगम पर है जो रूस और चीन को अलग करती हैं। क्षेत्र के नियंत्रण के बारे में तनाव पहली बार 1860 के आसपास शुरू हुए थे। हालांकि, 2005 में बोल्शोई उस्सुरीस्की द्वीप विवाद को निपटाने के लिए एक समझौता हुआ और द्वीप का विभाजन 2008 तक पूरा हो गया।

रूस ने विवादित द्वीप को बताया अपना हिस्सा

रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि रूसी और चीनी पक्ष इस आम स्थिति पर कायम हैं कि हमारे देशों के बीच सीमा मुद्दा हल हो गया है। इसका समाधान 2005 में रूसी-चीनी राज्य सीमा पर पूरक समझौते के अनुसमर्थन द्वारा चिह्नित किया गया था। इसका पूर्वी भाग, जिसके अनुसार बोल्शोई उस्सूरीस्की द्वीप को पार्टियों के बीच विभाजित किया गया था। हमारी आम सीमा का परिसीमन और सीमांकन इसकी पूरी लंबाई (लगभग 4,300 किमी) के साथ पूरा हो चुका है, जिसमें 2008 में बोल्शोई उस्सूरीस्की द्वीप भी शामिल है।

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