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यूक्रेन के बाद यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया रूस के निशाने पर, पुतिन ने बता दी तबाही की तारीख

Russia European Union: युद्ध में यूक्रेन की मदद करने वालों पर शुरू से ही रूस की पैनी नजर है। राष्ट्रपति पुतिन यूरोपीय संघ समेत अमेरिका और आस्ट्रेलिया को पहले भी इसके लिए कई बार चेतावनी भी दे चुके हैं, लेकिन अमेरिका और नाटो देंशों की ओर से यूक्रेन को मदद जारी है। इससे पुतिन अब गुस्से में आ गए हैं।

व्लादिमिर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति- India TV Hindi Image Source : AP व्लादिमिर पुतिन, रूस के राष्ट्रपति

Russia European Union: युद्ध में यूक्रेन की मदद करने वालों पर शुरू से ही रूस की पैनी नजर है। राष्ट्रपति पुतिन यूरोपीय संघ समेत अमेरिका और आस्ट्रेलिया को पहले भी इसके लिए कई बार चेतावनी भी दे चुके हैं, लेकिन अमेरिका और नाटो देंशों की ओर से यूक्रेन को मदद जारी है। इससे पुतिन अब गुस्से में आ गए हैं। लिहाजा उन्होंने यूरोपीय संघ के देशों और आस्ट्रेलिया को भी तबाह करने का प्लान तैयार कर लिया है। पुतिन ने इन देशों में तबाही शुरू करने की तारीख भी बता दी है। इससे यूरोपीय यूनियन और आस्ट्रेलिया के साथ दुनिया भर में खलबली मच गई है। यूक्रेन के बाद आस्ट्रेलिया और यूरोपीय यूनियन अब रूस के निशाने पर है।

पुतिन इन देशों को तबाह करने के लिए कुछ ऐसा कदम उठाने जा रहे हैं, जिससे यहां हाहाकार मच जाए और जनता सड़कों पर आ जाए। इसके लिए पुतिन का ब्ल्यू प्रिंट तैयार है। आपको बता दें कि हाल ही में यूक्रेन पर सैन्य हमले के दोष में यूरोपीय यूनियन ने रूस के कच्चे तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस डिक्री कैप लगा दिया है। इसका मतलब है कि रूस से कोई भी देश इससे अधिक दाम पर कच्चा तेल नहीं खरीद सकता। यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया का यह फैसला रूस की अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचाने के लिए किया गया था। रूस पर प्राइस-कैप डिक्री लागू होने से उसको तेल निर्यात पर घाटा उठाना पड़ रहा है। इससे रूस बौखलाया हुआ है। पुतिन इन देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध और यूक्रेन को युद्ध में हथियारों की मदद करने के चलते बेहद खफा हैं।

1 फरवरी से यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया में मचेगा हाहाकार
पुतिन ने यूक्रेन की मदद करने और रूस पर प्राइस कैप-डिक्री लगाने की वजह से उन सभी देशों को तेल निर्यात करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। 1 फरवरी से यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया को रूस कच्चे तेल की सप्लाई नहीं करेगा। ऐसे में इन देशों में ऊर्जा का भारी संकट छा सकता है। इसका असर यूरोपीय देशों में महंगाई के तौर पर देखने को मिल सकता है। यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया 7 प्रमुख शक्तिशाली देशों का समूह है, जो रूस पर बीते 5 दिसंबर से उसके समुद्री कच्चे तेल पर $ 60 प्रति बैरल मूल्य कैप पर सहमत हुए हैं। इससे रूस को तेल बिक्री पर भारी घाटा उठाना पड़ रहा है।

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को रूस की लंबे समय से प्रतीक्षित प्रतिक्रिया के तौर पर इन देशों को तेल की सप्लाई पर प्रतिबंध लगाने वाले मसौदे पर हस्ताक्षर कर दिया है। क्रेमलिन के फरमान में कहा गया है कि यह 1 फरवरी, 2023 से लागू हो जाएगा और 1 जुलाई 2023 तक कच्चे तेल के निर्यात पर यह प्रतिबंध लागू रहेगा। यानि 5 महीने तक रूस इन देशों को तेल की सप्लाई नहीं देगा। इसके बाद वह प्रतिबंध को आगे भी बढ़ा सकता है। इससे इन देशों में ऊर्जा का भारी संकट पैदा हो सकता है।  महंगाई चरम पर पहुंचने की आशंका है।

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