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Hindi News विदेश एशिया फिलिपींस के सपोर्ट में आया अमेरिका, दक्षिण चीन सागर में घुसा अमेरिकी जहाज, बौखला गया चीन

फिलिपींस के सपोर्ट में आया अमेरिका, दक्षिण चीन सागर में घुसा अमेरिकी जहाज, बौखला गया चीन

फिलिपींस के सपोर्ट में अमेरिकी जहाज दक्षिण चीन सागर में प्रविष्ठ हुआ है। यह आरोप चीन ने लगाया है। चीन इस सागर में छोटे देशों पर रौब झाड़ता है और जब अमेरिकी जहाज सागर में आता है, तो सिर्फ मनमसोस कर आरोप लगाता है।

दक्षिण चीन सागर में घुसा अमेरिकी जहाज- India TV Hindi Image Source : FILE दक्षिण चीन सागर में घुसा अमेरिकी जहाज

America on South China Sea: चीन और अमेरिका में फिर तनाव बढ़ गया है। चीन का आरोप है कि अमेरिकी नौसेना का जहाज गैरकानूनी रूप से दक्षिण चीन सागर में घुसपैठ कर गया है। फिलिपींस जैसे छोटे देशों को धमकाने वाला चीन तब मनमसोस कर रह गया, जब अमेरिकी नौसेना का जहाज दक्षिण चीन सागर में फिलिपींस के सपोर्ट में घुस गया। जो चीन खुद दक्षिण चीन सागर के नियम तोड़ता है, वो चीन अब अमेरिका पर ​आरोप लगा रहा है। चीन का यह आरोप है कि अमेरिकी जहाज ने दक्षिण चीन सागर में ‘गैरकानूनी घुसपैठ’ की है।

जानकारी के अनुसार चीन की सेना ने दावा जताया है कि अमेरिका के एक नौसैन्य जहाज ने विवादित द्वीप ‘सेकंड थॉमस शोल’ के समीप समुद्र में सोमवार को अवैध रूप से घुसपैठ की। यह द्वीप दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलिपींस के बीच क्षेत्रीय विवाद की जड़ है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सदर्न थिएटर ने एक बयान में कहा कि अभियान के दौरान यूएसएस गैब्रियल गिफोर्ड्स पर नजर रखने के लिए चीन के नौसैन्य बल को तैनात किया गया। अमेरिकी नौसेना ने अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। चीन और फिलिपींस की नौसेना और तटरक्षक बल के जहाजों के बीच हाल के दिनों में ‘सेकंड थॉमस शोल’ के आसपास बार-बार टकराव हुआ है। 

चीन ने फिलिपींस को क्यों रोकने की कोशिश की?

चीन ने फिलीपींस को जर्जर अवस्था में पड़े एक जहाज की मरम्मत करने से रोकने की कोशिश की है, जिसे उसने 1999 में एक सैन्य चौकी के रूप में तैनात किया था। चीनी सेना की आक्रामकता से परेशान फिलीपींस ने अमेरिका की मदद मांगी और इस साल की शुरुआत में देश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी का विस्तार करने पर सहमति जताई। उसने पिछले महीने अमेरिका के साथ समुद्र और हवा में संयुक्त गश्त अभियान शुरू किया था। 

चीनी सेना के साउदर्न थिएटर ने एक बयान में कहा, ‘अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में स्थिति में जानबूझकर बाधा पहुंचाई, चीन की संप्रभुत्ता और सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन किया, क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को गंभीर रूप से कमतर किया और अंतरराष्ट्रीय कानून व अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मौलिक नियमों का गंभीर उल्लंघन किया, पूरी तरह यह दिखाया है कि दक्षिण चीन सागर में शांति एवं स्थिरता के लिए अमेरिका सबसे बड़ा खतरा है।’

दक्षिण चीन सागर क्यों है रणनीतिक रूप से अहम?

दक्षिण चीन सागर अप्रयुक्त तेल और प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार है। फिशरिंग के लिए भी यह बहुत बड़ा क्षेत्र है। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में 190 ट्रिलियन क्यूबिक फिट तक प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार मौजूद है। इसके अलावा विभिन्न देशों के लिए सामिरक दृष्टि से भी दक्षिण चीन सागर बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। समुद्र के रास्ते व्यापार के लिए भी इसकी महत्ता बेमिसाल है। इसीलिए चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। मगर वियतनाम, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया समेत अमेरिका और भारत चीन के इस दावे को खारिज करते हैं। उत्तर कोरिया, साउथ कोरिया, जापान, चीन, फिलीपींस, ताइवान, वियतनाम ये प्रमुख देश हैं, जिनका वॉटर टेरिटोरियल दक्षिण चीन सागर है।

दक्षिण चीन सागर का क्या है प्रमुख विवाद?

भारत के सेवानिवृत्त मेजर जनरल एस मेस्टन बताते हैं कि दक्षिण चीन सागर में टेरिटोरियल वॉटर को लेकर प्रमुख विवाद है। इसके अलावा एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन (एडीआइजेड) विवाद का दूसरा प्रमुख कारण है। चीन ने 2013 में इसे अपनी मर्जी से बदल दिया था। यह विवाद का बड़ा कारण बन गया है। इससे जपान, साउथ कोरिया और ताइवान के एक्सक्लूसिव ईकोनॉमिक जोन (ईईजेड) को चीन का एडीआइजेड क्रॉस कर रहा है। यह विवाद का मुख्य कारण है। एडीआइजेड और ईईजेड को लेकर सभी देशों की दिलचस्पी है। इसकी वजह है कि सभी के वहां माइनिंग जोन (अप्रयुक्त तेल और प्राकृतिक गैस समेत अन्य रत्नों का बड़ा भंडार) और फिशरीज के लिए हित हैं । इसलिए ईईजेड पर सब अपना हक जमाना चाहते हैं। साथ ही अपनी समुद्री सीमा की रक्षा भी करना चाहते हैं।

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