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चीन ने बिगाड़ा रूस का खेल, अब शी जिनपिंग सऊदी अरब से खरीदेंगे तेल

Xi Jinping Visit to Saudi Arabia: चीन में लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग पहली बार सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। चीनी राष्ट्रपति का यह दौरा अकारण ही नहीं है, बल्कि इसके कई आर्थिक और सामिरक मकसद हैं। हाल ही में अमेरिका ने रूस के तेल पर प्राइस कैप लगा दिया है।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सऊदी अरब के प्रिंस क्राउन के साथ - India TV Hindi Image Source : AP चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सऊदी अरब के प्रिंस क्राउन के साथ

Xi Jinping Visit to Saudi Arabia: चीन में लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग पहली बार सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। चीनी राष्ट्रपति का यह दौरा अकारण ही नहीं है, बल्कि इसके कई आर्थिक और सामिरक मकसद हैं। हाल ही में अमेरिका ने रूस के तेल पर प्राइस कैप लगा दिया है। ऐसे में चीन अब सऊदी अरब से कच्चे तेल के आयात पर बातचीत कर रहा है। ऐसा करके चीन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को गच्चा भी दे रहा है। मगर शी जिनपिंग ऐसे शातिर खिलाड़ी हैं, जो अपने फायदे के लिए किसी का भी नुकसान करा सकता है। अगर चीन और सऊदी अरब के बीच यह सौदा फाइनल हो जाता है तो पुतिन के लिए इसे बड़ा झटका माना जाएगा। 

चीन के नेता शी चिनफिंग ने बृहस्पतिवार को सऊदी अरब के शाह और क्राउन प्रिंस से उनके शाही महल में मुलाकात की। इस मुलाकात का मकसद यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर रूस पर बढ़ते प्रतिबंध के कारण अपने देश की ऊर्जा आपूर्ति के लिए अहम क्षेत्र से संबंध को मजबूत करना था। शी रियाद में अल यामामा पैलेस पहुंचे, जहां शाह के उत्तराधिकारी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनका स्वागत किया, जो आने वाले दशकों में तेल-समृद्ध राज्य पर शासन करने के लिए तैयार हैं। शी ने क्राउन प्रिंस से हाथ मिलाया। ‘अल रियाद’ अखबार द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, शी ने कहा, ‘‘चीन और अरब देशों के बीच आदान-प्रदान की परंपरा 2,000 साल से अधिक पुरानी है।’’ इस लेख में इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद की एक कहावत भी उद्धृत की गई है: ‘‘ज्ञान की तलाश करो, भले ही तुम्हें चीन तक जाना पड़े।’’ लेख में लिखा है, ‘‘अरब के लोग स्वतंत्रता को महत्व देते हैं, बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करते हैं, सत्ता की राजनीति और मनमानी के खिलाफ खड़े होते हैं और हमेशा प्रगति करना चाहते हैं।

चीन है कच्चे तेल का बड़ा आयातक
चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि खाड़ी सहयोग परिषद के देश बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, ‘‘विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक ऊर्जा टैंक’’ के रूप में काम करते हैं। चीन दुनिया का सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक देश है और सऊदी तेल पर बहुत अधिक निर्भर है, जो राष्ट्र को सालाना अरबों डॉलर मुहैया करता है। खाड़ी अरब देश अपनी विदेश नीति को फिर से जांचने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि अमेरिका अपना ध्यान दुनिया में कहीं और केंद्रित कर रहा है। सऊदी अरब से तेल समझौते के साथ शी जिनपिंग अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआइ को विस्तार देने के लिए प्रिंस से यह मुलाकात कर रहे हैं। 

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