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गाजा में इजरायली रक्षा बलों की जगह इंटरनेशनल फोर्स क्यों तैनात करना चाहता है फ्रांस, उद्देश्य के पीछे की पूरी कहानी

फ्रांस चाहता है कि गाजा में इंटरनेशनल फोर्स को तैनात किया जाए। फ्रांस का प्रस्ताव गाजा में शांति स्थापित करने की एक कूटनीतिक कोशिश है। फ्रांस का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय फोर्स तैनात होने से गाजा में आम नागरिकों की सुरक्षा बढ़ेगी।

International Force- India TV Hindi Image Source : AP International Force

International Force In Gaza: गाजा पट्टी ने दशकों से संघर्ष और खून खराबे को देखा है। यहां इजरायल और हमास के बीच लंबे समय से टकराव चलता आ रहा है। यहां जब-जब हिंसा हुई है तो इसका सबसे अधिक असर गाजा के आम लोगों पर पड़ा है। हालिया समय की बात करें तो यहां  लाखों लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं और हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। गाजा का एक बड़ा हिस्सा मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है। ऐसे हालात में फ्रांस ने हाल ही में सुझाव दिया है कि गाजा में इंटरनेशनल फोर्स तैनात की जानी चाहिए। फ्रांस के इस प्रस्ताव के पीछे कई कूटनीतिक, मानवीय और रणनीतिक कारण हैं, चलिए इनके बारे में समझते हैं।

क्यों इजरायली सेना पर नहीं है भरोसा?

गाजा के लोग मानते हैं कि इजरायली सेना यहां आम लोगों को निशाना बनाती है। इजरायल का दावा है कि उसकी कार्रवाई केवल हमास के आतंकियों के खिलाफ होती है, लेकिन बार-बार हुए हमलों में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई है। आम नागरिकों की मौत ने लोगों के मन में अविश्वास पैदा कर दिया है। फ्रांस का मानना है कि जब तक इजरायल की आर्मी गाजा में रहेगी, तब तक शांति की कोई संभावना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय फोर्स को एक निष्पक्ष संस्था की तरह देखा जाएगा, जिससे लोग भरोसा कर पाएंगे कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।

गाजा में कैसे हैं हालात?

गाजा लंबे समय से मानवीय आपदा से जूझ रहा है। यहां बिजली, साफ पानी, दवा और भोजन जैसी मूलभूत चीजों की भारी कमी है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र (UN), रेड क्रॉस और एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्टें बताती हैं कि गाजा के हालात युद्ध क्षेत्र से भी बदतर हैं। फ्रांस का तर्क है कि इंटरनेशनल फोर्स की मौजूदगी से मानवीय सहायता ज्यादा आसानी और सुरक्षित रूप से पहुंचेगी। नागरिकों की सुरक्षा होगी और राहत कार्य बाधित नहीं होंगे।

Image Source : apGaza Situation

गाजा के हालात से प्रभावित हो सकता है पूरा क्षेत्र

मध्य पूर्व एक संवेदनशील क्षेत्र है जहां पहले से ही कई संघर्ष चल रहे हैं। गाजा में बने हालात पूरे इलाके को अस्थिर कर सकते हैं। मिस्र, जॉर्डन, लेबनान और सीरिया जैसे पड़ोसी देश पहले ही इस तनाव से प्रभावित हैं। फ्रांस चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती से गाजा में हिंसा पर नियंत्रण हो और शांति प्रक्रिया आगे बढ़ सके। ऐसी फोर्स युद्धविराम की निगरानी कर सकती है, दोनों पक्षों को नियमों का पालन करवाने में मदद कर सकती है और वार्ता के लिए सुरक्षित माहौल बना सकती है।

फ्रांस डालना चाहता है इजरायल पर कूटनीतिक दबाव?

यूरोप और अमेरिका इजरायल के बड़े सहयोगी माने जाते हैं। लेकिन, बार-बार गाजा में नागरिक मौतों की वजह से पश्चिमी देशों की सरकारें और आम जनता इजरायल की नीतियों पर सवाल उठाने लगी हैं। फ्रांस का यह प्रस्ताव इजरायल पर एक कूटनीतिक दबाव है कि वह अकेले सैन्य ताकत के दम पर गाजा पर नियंत्रण ना रखे। अगर अंतरराष्ट्रीय फोर्स वहां तैनात होती है, तो इजरायल को भी अपनी सैन्य कार्रवाई सीमित करनी होगी और मानवीय मानकों का पालन करना होगा।

फलस्तीनियों का बढ़ेगा भरोसा

फ्रांस का विचार है कि गाजा जैसे संवेदनशील मसले पर केवल एक देश की सेना तैनात होना उचित नहीं है। संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UN Peacekeeping Forces) का अनुभव दिखाता है कि संघर्ष ग्रस्त इलाकों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग से स्थिरता लाई जा सकती है। यदि गाजा में इंटरनेशनल फोर्स तैनात होती है तो यह कदम अधिक वैधानिक और स्वीकार्य माना जाएगा। इससे फलस्तीनियों को भी यह भरोसा मिलेगा कि उनकी सुरक्षा और अधिकारों को वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है।

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यूरोप के भीतर दबाव, छवि का भी है सवाल

यूरोप में लगातार गाजा के नागरिकों की मौत पर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। पेरिस, लंदन और बर्लिन जैसे शहरों में लोग फलस्तीन के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं। ऐसे माहौल में फ्रांस सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह केवल बयानबाजी तक सीमित ना रहे, बल्कि ठोस प्रस्ताव भी पेश करें। अंतरराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती का विचार फ्रांस को एक शांति समर्थक राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है, जो केवल आलोचना नहीं करता बल्कि समाधान भी सुझाता है।

चुनौतियों के बारे में भी जानें

हालांकि, यह विचार कागज पर अच्छा लगता है लेकिन इसकी राह आसान नहीं है। इजरायल शायद ही कभी गाजा में अंतरराष्ट्रीय फोर्स को खुली छूट देगा, क्योंकि वह इसे अपनी संप्रभुता और सुरक्षा नीतियों में दखल मानता है। दूसरी ओर, हमास भी ऐसी फोर्स को इजरायल और पश्चिमी देशों के दबाव का हिस्सा समझ सकता है। यानी, अंतरराष्ट्रीय फोर्स तभी सफल होगी जब उसे दोनों पक्षों की स्वीकृति मिले और उसका काम स्पष्ट हो, जैसे युद्धविराम की निगरानी, मानवीय सहायता की सुरक्षा और शांति वार्ता के लिए समर्थन।

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