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Hindi News विदेश एशिया यूनेस्को की विरासत में शामिल होने पर "गुजरात के गरबा" पर आया पीएम मोदी का पहला रिएक्शन, कही ये बात

यूनेस्को की विरासत में शामिल होने पर "गुजरात के गरबा" पर आया पीएम मोदी का पहला रिएक्शन, कही ये बात

गुजरात के गरबा को यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत में शामिल किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन आया है। पीएम मोदी ने गरबा को जीवन, एकता और गहरी परंपराओं का उत्सव बताया है। साथ ही पूरे देशवासियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

गुजरात में गरबा करतीं महिलाएं। - India TV Hindi Image Source : AP गुजरात में गरबा करतीं महिलाएं।
गुजरात के गरबा नृत्य को यूनेस्को ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासतों में शामिल कर लिया है। इससे पूरे देश में खुशी की लहर है। यूनेस्को द्वारा गरबा को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची' में शामिल करने की मंजूरी दिए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बुधवार को गुजरात और देशवासियों को बधाई दी। पीएम मोदी ने गरबा को जीवन, एकता और गहरी परंपराओं का उत्सव बताया। उन्होंने अपने सोशलमीडिया एकाउंट एक्स पर एक पोस्ट के जरिये अपनी इस खुशी का इजहार किया। गरबा मूल से गुजरात का लोकनृत्य है, लेकिन यह राजस्थान समेत देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी होता है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "अमूर्त विरासत सूची पर इसका शिलालेख दुनिया को भारतीय संस्कृति की सुंदरता दिखाता है। यह सम्मान हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारी विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इस वैश्विक स्वीकृति के लिए बधाई।" भारत ने नवरात्रि उत्सव के दौरान गुजरात और देश के कई अन्य हिस्सों में किए जाने वाले गरबा को यूनेस्को की इस सूची में शामिल करने के लिए नामित किया था।

क्या होता है गरबा नृत्य?

गुजरात समेत देश-दुनिया के कई हिस्सों में प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के मौके पर नौ दिनों के गरबा का आयोजन होता है। गरबा का नाम संस्कृत के गर्भदीप से आया है। इसकी शुरुआत में एक कच्चे मिट्‌टी के घड़े को फूलों से सजाया जाता है। इस घड़े में कई छोटे-छोटे छेद होते हैं और इसके अंदर दीप जलाकर मां शक्ति का आवाह्न किया जाता है। इस दीप को ही गर्भदीप कहते हैं। गरबा यानी की गर्भदीप के चारों ओर स्त्रियां-पुरुष गोल घेरे में नृत्य कर मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं। धीरे-धीरे यह नृत्य गुजरात की सीमा से बाहर निकलकर देश और दुनिया में फैल गया।

 
 (भाषा)  

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