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मालदीव के बाद नेपाल में 'खेला'! चीन समर्थक केपी शर्मा ओली प्रचंड सरकार को गिराने की कर रहे जोड़तोड़

मालदीव की तरह अब नेपाल में भी 'खेला' होने की कवायदें चल रही है। चीन समर्थक केपी शर्मा ओली वर्तमान नेपाल में प्रचंड सरकार को गिराने की कोशिशों में जुटे हैं। मालदीव के बाद नेपाल में भी जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है।

 चीन समर्थक केपी शर्मा ओली प्रचंड सरकार को गिराने की कर रहे जोड़तोड़- India TV Hindi Image Source : FILE चीन समर्थक केपी शर्मा ओली प्रचंड सरकार को गिराने की कर रहे जोड़तोड़

Nepal Politics: मालदीव में भारत विरोधी सरकार सत्ता पर ​काबिज हो गई है। राष्ट्रपति मोइज्जू पिछले साल नवंबर में चुनकर आए हैं, जो भारत विरोधी और चीन के समर्थक हैं। वहीं नेपाल में विपक्ष में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भी चीन समर्थक माने जाते हैं, जब वे सत्ता में थे तब उन्होंने भारत के खिलाफ 'आग' उगली थी। यहां तक कि चीन के प्रभाव में आकर भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या को भी नकार दिया था। ऐसे केपी शर्मा ओली नेपाल की वर्तमान पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' सरकार को गिराने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। 

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रचंड सरकार को गिराने के लिए 'चाल' चलना शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओली ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी माधव कुमार नेपाल को मोहरा बनाया है। माधव कुमार नेपाल दो साल पहले तक ओली की पार्टी में ही थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बना ली थी। मालदीव के बाद नेपाल में भी चीन समर्थक पार्टियां जोड़तोड़ में जुटी हैं।

'प्रचंड' सरकार को गिराने की साजिश

नेपाल की 'प्रचंड' की सरकार गिराने की साजिश रची जा रही है। इसके पीछे पूर्व प्रधानमंत्री और चीन के करीबी नेता केपी शर्मा ओली का हाथ बताया जा रहा है। केपी शर्मा ओली ने सरकार गिराने के लिए माधव कुमार नेपाल को मोहरा बनाया है। ओली और नेपाल पुराने कॉमरेड हैं, जो अब कट्टर दुश्मन बन गए हैं। दोनों की दुश्मनी तब शुरू हुई, जब नेपाल ने दो साल पहले ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल से अलग होकर सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) का गठन किया। तब से दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ती जा रही है। ऐसे में ओली किसी भी कीमत पर नेपाल को प्रधानमंत्री बनने से रोकने पर आमादा हैं।

जानिए क्या है नेपाल में पीएम की 'कुर्सी' का गणित?

नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' हैं। हालांकि नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष बहादुर देउबा और सीपीएन के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल के बीच 2022 के संसदीय चुनाव से ठीक पहले एक सहमति बनी थी। इसके अनुसार पीएम की कुर्सी तीनों नेताओं के बीच बारी बारी से घुमाई जाएगी। यानी दिसंबर 2024 में सिंघा दरबार में दहल के दो साल पूरे होने के बाद माधव कुमार नेपाल एक साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।

 नेपाली कांग्रेस के बाद ओली की पार्टी का स्थान

संघीय संसद में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। प्रतिनिधि सभा में 32 सीटों के साथ केपी शर्मा ओली की सीपीएन- यूएमएल दूसरे स्थान पर है। वहीं, प्रधानमंत्री दहल की सीपीएन (माओवादी सेंटर) तीसरे स्थान पर है। माधव कुमार नेपाल की यूनिफाइड सोशलिस्ट राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने में विफल रही क्योंकि वह तीन प्रतिशत वोट सीमा को पार नहीं कर सकी है।

नेपाल को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार ओली

सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं को भरोसा है कि उनका गठबंधन पांच साल तक बरकरार रहेगा, लेकिन मुख्य विपक्षी यूएमएल इसे गिराने के लिए बेताब है। ओली की पार्टी यूएमएल नेताओं ने कहा कि उन्होंने देउबा की नेपाली कांग्रेस और प्रचंड के माओवादी सेंटर दोनों के साथ बातचीत के रास्ते खोल दिए हैं। ऐसे में संभावना है कि ओली, माधव कुमार नेपाल को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए इन दोनों पार्टियों में से किसी के साथ भी गठबंध करने को तैयार हैं। वैसे भी कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में भ्रष्टाचार और शरणार्थी घोटालों में राजनीतिक नेताओं की गिरफ्तारी सहित कई मामलों पर विवाद चल रहा है।

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