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म्यांमार की नेता आंग सान सू की की सजा को सैन्य शासन ने घटाया, मगर अब भी इतने साल तक काटनी पड़ेगी जेल

म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की की सजा को सैन्य प्रशासन ने कम कर दी है। हालांकि इसे सिर्फ 5 वर्ष घटाया गया है। सेना ने तख्तापलट करने के बाद उन्हें 19 मामलों में दोषी ठहराकर 33 वर्षों के लिए जेल भेजा है। अब सजा को 5 साल कम किए जाने के बाद उन्हें 27 वर्ष जेल में रहना होगा। अभी वह 78 वर्ष की हैं।

म्यांमार की नेता आंग सान सू की- India TV Hindi Image Source : AP म्यांमार की नेता आंग सान सू की

म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद से पिछले कई वर्षों से जेल काट रही अपदस्थ नेता आंग सांग सू की की सजा को सैन्य प्रशासन ने घटा दिया है। मगर इसके बावजूद अभी उन्हें लंबे वर्षों तक सलाखों के पीछे रहना होगा। म्यांमा की सैन्य सरकार के अनुसार आंग सान सू की की जेल की सज़ा को कम कर दिया है। सरकार ने बौद्ध बहुसंख्यक वाले देश में एक धार्मिक त्यौहार के मौके पर उनकी सज़ा में कटौती करने का ऐलान किया है।

म्यांमार की सरकारी मीडिया ने मंगलवार को बताया कि पूर्व राष्ट्रपति विन मिन्त की भी सजा को कम किया गया है। सरकार ने 700 से ज्यादा कैदियों की सज़ा में कमी की है। इसमें कहा गया है कि सजा कम किये जाने के बावजूद 78 वर्षीय सू ची को कुल 27 साल जेल में बिताने होंगे, उन्हें 33 साल की सज़ा सुनाई गई थी। सरकारी एमआरटीवी की खबर के मुताबिक, म्यांमा सैन्य परिषद के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने सू ची के खिलाफ पांच मामलों में सज़ा में छूट दी है। उन्हें कोरोना वायरस से संबंधित पाबंदियों का उल्लंघन करने, वॉकी-टॉकीज़ का अवैध रूप से आयात करने और रखने तथा राजद्रोह के मामलों में दोषी ठहराया गया है।

आरंभ में 19 मामलों में सू की को मिली थी 33 साल की बड़ी सजा

म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की को शुरू में 19 मामलों में दोषी ठहराया गया था। इसके बाद उन्हें 33 साल की कठोर सजा देने का ऐलान किया गया। तब से वह जेल काट रही हैं। उनके समर्थकों और अधिकार समूहों का कहना है कि ऐसा उन्हें बदनाम करने और 2021 में सेना द्वारा तख्तापलट को वैध करने की कोशिश के तहत किया गया । यह उन्हें फिर से राजनीति में वापसी से रोकने का प्रयास है। एमआरटीवी की खबर के मुताबिक, जिस दिन बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, उस दिन की याद में मिन आंग ह्लाइंग ने कुल 7,749 कैदियों की सज़ा में छूट दी है और अन्य कैदियों की मौत की सजा को भी कम कर दिया। (एपी)

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