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Hindi News विदेश एशिया G-7 के मंच से विश्व नेताओं ने परमाणु हथियारों के खिलाफ चीन और उत्तर कोरिया को दी कड़ी चेतावनी, रूस पर भी नकेल

G-7 के मंच से विश्व नेताओं ने परमाणु हथियारों के खिलाफ चीन और उत्तर कोरिया को दी कड़ी चेतावनी, रूस पर भी नकेल

परमाणु हथियारों को बनाने की होड़ में दुनिया भर को खतरे में डालने वाले चीन और उत्तर कोरिया को जी-7 के मंच से दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्रों के नेताओं ने कड़ी चेतावनी दी है। चीन और उत्तर कोरिया को विश्व नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के शनिवार को हिरोशिमा पहुंचने से पहले यह चेतावनी दी है।

G7 हिरोशिमा समिट में मौजूद विश्व नेता- India TV Hindi Image Source : AP G7 हिरोशिमा समिट में मौजूद विश्व नेता

परमाणु हथियारों को बनाने की होड़ में दुनिया भर को खतरे में डालने वाले चीन और उत्तर कोरिया को जी-7 के मंच से दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्रों के नेताओं ने कड़ी चेतावनी दी है। चीन और उत्तर कोरिया को विश्व नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के शनिवार को हिरोशिमा पहुंचने से पहले यह चेतावनी दी है। जी-7 शिखर सम्मेलन में एशिया पर ध्यानाकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा। विश्व नेताओं ने इस दौरान  यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस को दंडित करने और उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को कड़ा करने पर भी जोर दिया।

जेलेंस्की के आने से जी-7 बना हॉट निर्णयों का केंद्र

जापान ने पुष्टि की कि जेलेंस्की ने वार्ता में हिस्सा लेने की अपनी ‘दृढ़ इच्छा’ के कारण हिरोशिमा आने का फैसला किया और इससे रूस के खिलाफ उनके देश की प्रतिरक्षा क्षमता मजबूत होगी। जेलेंस्की के हिरोशिमा आने के इस फैसले से जी-7 में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बड़ी चर्चा और निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन और जेलेंस्की शिखर सम्मेलन में प्रत्यक्ष बातचीत करेंगे। बाइडन प्रशासन द्वारा यूक्रेन के कुछ पायलट को एफ-16 लड़ाकू विमानों का प्रशिक्षण देने की योजना को मंजूरी देने के बाद यह घोषणा की गई। विश्व नेता हिरोशिमा में जी-7 में बेहद संतुलित रवैया अपना रहे हैं, क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन, एआई (कृत्रिम बुद्धिमता), गरीबी, आर्थिक अस्थिरता, परमाणु प्रसार और सबसे ज्यादा यूक्रेन युद्ध सहित कई ऐसी वैश्विक चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते रहे हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

ताइवान पर चीन की दबंगई भी जी-7 में चर्चा का केंद्र

चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया में दूसरे स्थान पर है और वह इन कई चिंताओं का केंद्र है। एशिया में इस बात की चिंता बढ़ रही है कि चीन, जो लगातार अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को बढ़ा रहा है, वह ताइवान को बलपूर्वक अपने कब्जे में ले सकता है, जिससे व्यापक स्तर पर एक और संघर्ष छिड़ सकता है। चीन स्वशासित द्वीप (ताइवान) पर अपना दावा करता है और नियमित रूप से इसके पास जहाज और युद्धक विमान भेज रहा है। जी-7 नेताओं ने एक बयान जारी कर आगाह किया कि चीन द्वारा ‘‘पारदर्शिता व सार्थक संवाद के बिना अपने परमाणु शस्त्रागार का विकास तेज करना वैश्विक व क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय है।’’ सुलिवन ने एक बयान में कहा, ‘‘हम आपसी हित से जुड़े मुद्दों पर चीन के साथ सहयोग चाहते हैं। हम चीन के साथ कई क्षेत्रों में मौजूद चिंताओं को दूर करने की कोशिश करेंगे।

उत्तर कोरिया को भी किया अगाह

नेताओं ने बयान में कहा कि उत्तर कोरिया, जो अमेरिका की सरजमीं को निशाना बनाने के लिए एक परमाणु कार्यक्रम को पूरा करने के प्रयास में तेजी से मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, उसे ‘‘किसी भी परमाणु परीक्षण या प्रक्षेपण सहित’’ अपनी परमाणु बम महत्वाकांक्षाओं को पूरी तरह से त्याग देना चाहिए। बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु संधियों के तहत उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार वाले राज्य का दर्जा न तो है और न ही कभी होगा।

दो सत्रों में भाग लेंगे जेलेंस्की

यूरोपीय संघ (ईयू) के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर पत्रकारों को बताया, ‘‘जेलेंस्की रविवार को दो अलग-अलग सत्रों में हिस्सा लेंगे। पहला सत्र केवल जी-7 सदस्यों के साथ होगा, जो यूक्रेन में युद्ध पर केंद्रित रहेगा। वहीं, दूसरे सत्र में जी-7 के साथ-साथ उन अन्य देशों के नेता शामिल होंगे, जिन्हें शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस सत्र में ‘शांति एवं स्थिरता’ के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’’ जी7 में जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और इटली के साथ ही यूरोपीय संघ भी शामिल है।

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