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NSG: भारत की एंट्री पर जोर आजमाइश आज, मिला फ्रांस अमेरिका का साथ

करीब 48 देश आज सियोल में होने वाली बैठक में भारत की एनएसजी में एंट्री पर फैसला ले सकते हैं। जहां एक ओर चीन भारत की NSG में एंट्री का लगातार विरोध कर रहा है वहीं अमेरिका और फ्रांस ने साथ देकर भारत को राहत की खबर दी है।

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पेरिस: करीब 48 देश आज सियोल में शुरु होने वाली बैठक में भारत की एनएसजी में एंट्री को लेकर अहम बातचीत कर सकते हैं। जहां एक ओर चीन भारत की NSG में एंट्री का लगातार विरोध कर रहा है वहीं अमेरिका और फ्रांस ने साथ देकर भारत को राहत की खबर दी है। आज से शुरु हो रहे दो दिवसीय सत्र से पहले ही विदेश सचिव एस जयशंकर भारत की सदस्यता के मुद्दे पर बंटे 48 देशों के समूह में समर्थन जुटाने के लिए सोल पहुंच चुके हैं।

भारत को एनएसजी के लिए मिला फ्रांस का साथ

दक्षिण कोरिया के सियोल में एनएसजी देशों की बैठक से पहले फ्रांस ने बुधवार को दृढ़ता से समूह की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया और सदस्य देशों से भारत को इसमें शामिल करने का आग्रह किया। फ्रांस ने कहा कि इसमें भारत को शामिल करने से "परमाणु प्रसार के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को मजबूती मिलेगी।"

फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि परमाणु नियंत्रण व्यवस्था में भारत के प्रवेश से "संवेदनशील वस्तुओं के निर्यात को विनियमित करने में बेहतर मदद मिलेगी, चाहे वह परमाणु, रसायन, जैविक, बैलिस्टिक या पारंपरिक सामग्री या प्रौद्योगिकी हो।"

"एनएसजी में एक पूर्ण सदस्य के रूप मे भारत के प्रवेश को लेकर लंबे समय से दिए जा रहे समर्थन को देखते हुए फ्रांस इसके सभी सदस्यों से 23 जून को सियोल में होनेवाली बैठक में सकारात्मक फैसला लेने का अपील करता है।"

बयान में कहा गया है कि भारत और फ्रांस 1998 से ही सामरिक साझेदार हैं और "सामूहिक विनाश के हथियारों का अप्रसार और उनके वितरण को लेकर दोनों के साझा लक्ष्य हैं।"

फ्रांस का समर्थन ऐसे वक्त आया है, जब चीन ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में 23-24 जून की बैठक में एनएसजी के एजेंडे में भारत के आवेदन पर विचार के संभावना से इनकार कर दिया है।

क्या है चीन की समस्या:

दरअसल NSG में चीन के भारत विरोध की मंशा थोड़ी गहरी और संवेदनशील है। चीन तर्क दे रहा है कि नई दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं। हालांकि वह कह रहा है कि यदि एनएसजी से भारत को छूट मिलती है तो पाकिस्तान को भी समूह की सदस्यता दी जानी चाहिए। भारत और पाकिस्तान की सदस्यता के मुद्दे पर चीन ने कहा कि यह विषय पूर्ण सत्र के एजेंडा में नहीं है। यहां भी बीजिंग ने दोनों पड़ोसी देशों के मामलों को एकसाथ करके देखा जबकि उनके परमाणु अप्रसार ट्रैक रिकार्ड में अंतर है।

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