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अजरबैजान-आर्मीनिया युद्ध पीड़ितों की मदद के लिए बड़ा कदम, नागोर्नो-काराबाख में भेजी मानवीय सहायता

आर्मीनिया और अजरबैजान युद्ध में हजारों परिवारों की जिंदगी नर्क बन चुकी है। वह सभी भुखमरी और बेरोजगारी और बीमारी से त्रस्त हैं। खासकर विवादित नागोर्नो-काराबाख के लोगों को नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ा है। ऐसे में इस क्षेत्र के लोगों को रेड क्रॉस सोसायटी ने बड़ी मानवीय मदद मुहैया कराई है।

नागोर्नो-काराबाख के लिए भेजी गई मानवीय मदद की प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi Image Source : AP नागोर्नो-काराबाख के लिए भेजी गई मानवीय मदद की प्रतीकात्मक फोटो

आर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध पीड़ितों के लिए मानवीय मदद की बड़ी पहल की गई है। दोनों देशों के बीच विवाद के क्षेत्र नागोर्नो-काराबाख में शनिवार को इन्हीं देशों के रास्ते से मानवीय सहायता भेजी गई। युद्ध पीड़ितों के लिए इस सहायता की वहां अत्यंत आवश्यकता है। अजरबैजान के इस प्रांत को फिर से अपने कब्जे में लेने और इलाके को पुन:एकीकृत करने के लिए उसकी मूल आर्मीनियाई आबादी के प्रतिनिधियों से वार्ता शुरू करने के बाद यह कदम उठाया गया है। अजरबैजान के फिर से इस क्षेत्र पर कब्जे के बाद कुछ निवासी प्रतिशोध के डर से अपने घर छोड़कर चले गए हैं। अजरबैजान ने महीनों से इस क्षेत्र की ओर जाने वाली सड़क पर नाकेबंदी की हुई थी, जिससे वहां खाद्य सामग्री और ईंधन की भारी किल्लत हो गयी थी।

अजरबैजान ने इस सप्ताह क्षेत्र में आक्रामक सैन्य अभियान चलाया था। नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान में है, लेकिन 1994 में खत्म हुई अलगाववादी लड़ाई के बाद से ही यह आर्मीनियाई सेना के नियंत्रण में था। आर्मीनियाई बलों ने अजरबैजान के आसपास के बड़े क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया था। अजरबैजान ने 2020 में आर्मीनिया के साथ छह सप्ताह तक चली लड़ाई में अपने आसपास के क्षेत्र को फिर से नियंत्रण में ले लिया था। रूस की मध्यस्थता में युद्धविराम किया गया था और 2,000 रूसी शांति रक्षकों का एक दल युद्ध विराम की निगरानी के लिए क्षेत्र में भेजा गया। अजरबैजान ने मंगलवार को नागोर्नो-काराबाख में जातीय आर्मीनियाई बलों के खिलाफ भारी गोलाबारी शुरू की थी। इसके एक दिन बाद युद्ध विराम की घोषणा की गयी जिससे क्षेत्र में तीसरी बार व्यापक पैमाने पर युद्ध की आशंका खत्म हो गयी।

नागोर्नो-काराबाख की स्थिति को लेकर अब भी सवाल

बहरहाल, नागोर्नो-काराबाख की अंतिम स्थिति को लेकर अब भी प्रश्न बना हुआ है। रूस की समाचार एजेंसी ‘आरआईए नोवोस्ती’ ने शनिवार को टैंक, हवाई रक्षा प्रणालियों और अन्य हथियारों की तस्वीरें प्रकाशित की। ऐसा दावा है कि ये हथियार प्रांत के अलगाववादी बलों ने अजरबैजानी सेना को सौंप दिए हैं। अजरबैजान के आक्रमण के मद्देनजर रूसी शांतिरक्षकों ने नागोर्नो-काराबाख से सैकड़ों जातीय आर्मीनियाई नागरिकों को निकाला। आर्मीनिया के विदेश मंत्री अरारात मिर्जोयान ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र से विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों को मानवाधिकारों, मानवीय स्थिति और सुरक्षा स्थिति पर नजर रखने के लिए फौरन नागोर्नो-काराबाख भेजने का आह्वान किया। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने शनिवार को एक बयान में कहा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान से बात की और नागोर्नो-काराबाख में ‘‘जातीय आर्मीनियाई आबादी के लिए गहन चिंता’’ जतायी।

अजरबैजान ने कही ये बात

अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के कार्यालय ने शनिवार को कहा कि बाकू ने नागोर्नो-काराबाख के निवासियों को चिकित्सा देखभाल, भोजन और अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक ‘‘कार्यकारी समूह’’ गठित किया है। अजरबैजान के प्राधिकारियों ने शनिवार को बताया कि उन्होंने प्रांत में 60 टन से अधिक ईंधन पहुंचाया है। ‘इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस’ ने भी शनिवार को बताया कि उसने लाचिन गलियारे के जरिए नागोर्नो-काराबाख में 70 टन मानवीय सहायता भेजी है।  (एपी)

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