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Hindi News विदेश अमेरिका ‘बंधुआ मजदूरी करवाते हैं, गुलामों की तरह रखते हैं’, चीन में हो रहा मछली पकड़ने वालों का शोषण

‘बंधुआ मजदूरी करवाते हैं, गुलामों की तरह रखते हैं’, चीन में हो रहा मछली पकड़ने वालों का शोषण

एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन ‘फाइनेंशियल ट्रसंपेरेंसी कोअलिशन’ द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक मछली पकड़ने वाले जहाजों पर काम करने वाले मजदूरों को कई बार अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

China Labor Abuser, China Slavery Fishing Vessels, China Fishing Vessels- India TV Hindi Image Source : AP REPRESENTATIONAL चीन के जहाजों पर शोषण के सबसे ज्यादा मामले पाए गए हैं।

मियामी: दुनिया भर में मछली पकड़ने वाले लगभग 500 इंडस्ट्रियल शिप्स या जहाजों पर मजदूरों की हालत बेहद दयनीय पाई गई है। एक नई रिपोर्ट में सामने आया है कि इन मजूदरों से खतरनाक काम कराए जाते हैं, बंधुआ मजदूरी भी कराई जाती है और कभी-कभी उन्हें गुलामों की तरह रखा जाता है। यूं तो इस रिपोर्ट में रूस, स्पेन, थाईलैंड और ताइवान समेत कई देशों के नाम हैं, लेकिन सबसे बुरी हालत चीन के मजदूरों की पाई गई है। बता दें कि चीन पर पहले भी मजदूरों से अमानवीय तरीके से काम करवाने के आरोप लगे हैं।

‘एक चौथाई संदिग्ध जहाजों का संबंध चीन से’
रिपोर्ट में कहा गया है कि पारदर्शिता और रेग्युलेटरी जांच की कमी के कारण समुद्र में दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। वॉशिंगटन डीसी आधारित नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन ‘फाइनेंशियल ट्रसंपेरेंसी कोअलिशन’ द्वारा की गई स्टडी के मुताबिक, अवैध धन प्रवाह का पता लगाना उन जहाजों का संचालन करने वाली कंपनियों की पहचान करने का अब तक का सबसे व्यापक प्रयास है जहां हर साल हजारों श्रमिकों के असुरक्षित परिस्थितियों में फंसे होने का अनुमान है। बुधवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार वाले संदिग्ध जहाजों में से एक चौथाई का संबंध चीन से है।

‘बाकी के देशों में भी मजदूरों का हाल अच्छा नहीं’
‘फाइनेंशियल ट्रसंपेरेंसी कोअलिशन’ की रिपोर्ट में अन्य देशों के मजदूरों की हालत भी कुछ अच्छी नहीं मिली है। रिपोर्ट में कहा गया कि रूस, स्पेन, थाईलैंड, ताइवान और दक्षिण कोरिया के जहाजों पर भी मछुआरों की स्थिति दयनीय पाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री भोजन उद्योग में बंधुआ मजूदरी की घटनाएं कम हैं लेकिन ऐसी घटनाएं ‘व्यापक मानवाधिकार संकट’ को दिखाती हैं। संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, विश्व स्तर पर कम से कम 1,28,000 मछुआरों को हिंसा, डेब्ट बॉन्ड, समय से ज्यादा काम करने और बंधुआ मजदूरी जैसी अन्य स्थितियों के जोखिम का सामना करना पड़ता है।

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