दूसरे विश्व युद्ध से जुड़े सुरागों को खोजने के लिए कुछ खोजकर्ता अटलांटिक महासागर के मिशन पर थे। लेकिन इस दौरान उन्हें कुछ और देखने को मिला जो बेहद चौंकाने वाला था। गोताखोरों को स्पेस शटल चैलेंजर का 20 फीट लंबा मलबा मिला है। 1986 में टेकऑफ के तुरंत बाद यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हिस्ट्री चैनल और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने गुरुवार को खुलासा किया कि "द बरमूडा ट्रायंगल: इनटू कर्सड वाटर्स" नामक एक नई सीरीज की शूटिंग के दौरान फ्लोरिडा के पूर्वी तट पर चैलेंजर का मलबा मिला है।
साल 1986 में 28 जनवरी को लॉन्च के बाद चैलेंजर क्रैश हो गया था, जिसमें चालक दल के सभी सात सदस्य मारे गए। इसमें एक शिक्षक भी शामिल थीं, जो अंतरिक्ष में जाने वाली पहली नागरिक बनने वाली थीं। इस भयानक धमाके को अमेरिका के स्कूली बच्चों ने टीवी पर लाइव देखा। माइक बार्नेट, जिन्होंने स्पेस शटल को खोजने वाली टीम का नेतृत्व किया था, वह उस वक्त हाई स्कूल के छात्र थे, जब टीवी पर इस दुर्घटना को देख रहे थे।
पहली बार 1996 में मिला था मलबा
1996 में स्पेस शटल के कुछ टुकड़ों के पानी में बह जाने के बाद पहली बार उसका मलबा मिला। बार्नेट और उनकी टीम मार्च में बरमूडा ट्रायंगल में डूबे संदिग्ध जहाजों की खोज के लिए रवाना हुई। उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित बरमूडा ट्रायंगल को दर्जनों जलपोतों और विमान दुर्घटनाओं का स्थल कहा जाता है। बरमूडा ट्रायंगल को लेकर दुनिया भर में तरह-तरह की कहानियां मशहूर हैं।
बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य क्या है?
बरमूडा ट्रायंगल दुनिया की सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि एक अदृश्य शक्ति इस महासागरीय क्षेत्र के ऊपर से गुजरने वाली हर चीज को नीचे खींच लेती है। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक कार्ल क्रुजेलनिक ने कहा कि बरमूडा ट्रायंगल में बड़ी संख्या में जहाजों और विमानों के गायब होने के लिए मानवीय त्रुटियां और खराब मौसम जिम्मेदार थे। भूमध्य रेखा के पास स्थित 700,000 वर्ग किमी के बिजी इलाके को 'डेविल्स ट्रायंगल' भी कहा जाता है।
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