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Hindi News हेल्थ Dengue है या Viral Fever कैसे पहचानें? डॉक्टर से जानें ऐसे 10 सवालों के जवाब

Dengue है या Viral Fever कैसे पहचानें? डॉक्टर से जानें ऐसे 10 सवालों के जवाब

Dengue Viral Fever symptoms: डेंगू के साथ इन दिनों वायरल फीवर के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में आप डॉक्टर से समझें कि कैसे आप इन दोनों के अंतर को जान सकते हैं।

dengue viral fever symptoms difference- India TV Hindi Image Source : SOCIAL dengue viral fever symptoms difference

हर साल जुलाई महीने की बरसात के साथ शुरू होती है डेंगू नामक खतरनाक बीमारी। जुलाई से नवंबर तक डेंगू के सबसे ज्यादा केस मिलते हैं। इसलिए इन महीनों की सावधानी,सतर्कता से ही डेंगू से बचा जा सकता है। लेकिन, अब जहां डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं वहीं, वायरस फीवर के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। ऐसे में बहुत से लोग दोनों के लक्षणों के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं। इसके अलावा भी डेंगू से जुड़े कई ऐसे सवाल भी हैं जो आम लोगों के दिमाग में आते रहते हैं। इन्हीं सवालों को लेकर इंडिया टीवी के मनोज पांडे ने मैक्स हॉस्पिटल  की डॉ. गीता प्रकाश से एक्सक्लूसिव बातचीत की है और जाना कि कैसे लड़ें डेंगू की लड़ाई। 

1. डेंगू है या वायरल बुखार कैसे पहचानें?

डॉ. गीता प्रकाश बताती हैं कि डेंगू भी वायरल बुखार ही है जो मच्छर के काटने से होता है। वायरल बुखार एक तरह का मौसमी बुखार है जो मौसम के बदलने से वायरल फीवर का रूप लेता है। कोई भी बुखार तीन दिन से ज्यादा रहता है तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी है और डॉक्टर खून की जांच के जरिए बताते हैं। दोनों बुखार के लक्षण एक तरह के ही होते हैं जैसे सिर में तेज दर्द, तेज बुखार, शरीर में दर्द, कोल्ड आदि लेकिन जांच में प्लेटलेट्स की गिरती मात्रा बताती है डेंगू के लक्षण।

2. अचानक बुखार आने पर लोगों को क्या करना चाहिए, डॉक्टर को कब दिखाएं?

पहले दो दिन अपना खानपान,फल, तरल पदार्थ, विटामिन लेते रहें। मेडिसिन में पैरासिटामोल की 1-1 टैबलेट सुबह-शाम ली जा सकती है। लेकिन सिर्फ तीन दिन तक उसके बाद किसी डॉक्टर को दिखाना जरुरी है और डेंगू जांच करानी जरुरी है।

3. सामान्य बुखार और डेंगू में क्या अंतर है

बुखार के पहले 2-3 दिन जब तक जांच की रिपोर्ट ना आएं बता पाना संभव नहीं है क्योंकि डेंगू,वारयल, टाइफाइड,मलेरिया सब में तेज बुखार,सिर दर्द,शरीर में दर्द एक जैसे ही होता हैं लेकिन डेंगू के बुखार को बॉडी ब्रेकिंग फीवर कहा जाता है यानि शरीर को तोड़ देने वाला फीवर।

4. क्या बुखार में पैरासिटामोल सेफ दवा होती है 

जी हां, पैरासिटामोल डॉक्टर्स भी लेने की सलाह देते हैं।।।लेकिन सिर्फ बुखार के शुरूआती दो दिन सुबह-शाम 1-1 टैबलेट। पर एस्प्रिन और डिस्प्रिन लेने से बचना चाहिए क्योंकि ये रोगी के खून को पतला कर देती है जिससे कान,नाक,मसूड़ों से से ब्लिडिंग होने का खतरा  बना रहता है।

Dengue है या Viral Fever कैसे पहचानें? डॉक्टर से जानें ऐसे 10 सवालों का जवाब

5. बुखार आते ही टेस्ट कराना कितना सही है

आजकल लोग डॉक्टर की सलाह के बगैर बुखार आते ही खून की जांच का पैकेज करा लेते हैं। लेकिन पहले 2-3 दिन कुछ भी पकड़ में आना असंभव सा है 3 दिन के बाद ही आपके बुखार की तस्वीर क्लियर हो पाती हैं। अगर रोगी को डेंगू है तो हम रोज रोगी की जांच में प्लेटलेट्स को मॉनिटर करते हैं और उपचार लिखते हैं। 7-10 दिन तक मरीज बहुत सावधानी रखें। पहले 2 से 3 दिन तेज बुखार होता है फिर। खून की जांच कराएं रिपोर्ट के अनुसार ट्रीटमेंट लें। अगर सुधार नहीं है तो हॉस्पिटल में एडमिट होकर ट्रीटमेंट लें।इसमें प्लेट्लेट्स गिरना बढ़ना बहुत स्वाभाविक है।

6. कब करानी चाहिए खून की जांच 

तेज बुखार,शरीर दर्द,सिर दर्द,दस्त आदि पहले दो दिन ठीक नहीं होता और भी बढ़ता रहता है तब जांच करा लेनी चाहिए और जितना जल्दी संभव हो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

7. प्लेट्लेट्स कम होने पर रोगी में क्या लक्षण दिखते हैं

बहुत ज्यादा थकावट होना,घबराहट, बदन टूटना, मसूड़ों से खून निकलना खासकर शरीर के अलग-अलग हिस्सों से ब्लिडिंग होना लक्षण आते हैं। 

8. महिलाओं में कुछ अलग तरह के लक्षण होते हैं

पुरुष-महिलाओं में लगभग लक्षण एक जैसे होते हैं लेकिन डेंगू की वजह से महिलाओं में पिरियड्स में अनियमितता हो सकती है जिसे ब्लिडिंग कहते हैं।

9. बुखार कम होने पर भी डेंगू हो सकता है

जी हां, प्लेट्लेट्स हमेशा बुखार कम होने के बाद ही गिरती हैं इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार लेते रहें। एक लाख प्लेटलेट्स में घबराने की जरुरत नहीं लेकिन 70 हजार होने पर अस्पताल में एडमिट होकर उपचार लेना चाहिए। 50 हजार प्लेटलेट्स में तो आपातकालीन एडमिट होकर उपचार लें।

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10. बकरी का दूध, पपीते के पत्तों का रस, नारियल पानी लेना डेंगू में कितना फायदेमंद है?

डेंगू से पीड़ित रोगी कहते हैं इन सभी के नियमित सेवन से उन्हें लाभ होता है लेकिन ये आयुर्वेद का उपचार हो सकता है जो अच्छी बात है अगर ये किसी को नुकसान नहीं करता तो।।एलोपैथ पद्धति में हम मेडिसिन से ही मरीज को ठीक करते हैं।

डॉक्टर गीता प्रकाश की सलाह

जुलाई से नवंबर तक मच्छरों से बचें,मॉस्किटो क्वाइल, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। फुल स्लीव के कपड़े पहनें,घर के आस पास पानी को रुकने ना दें,सोसाइटी वेलफेयर के लिए मॉस्किटो स्मॉग का छिड़काव रुटीन करवाते रहें। खानपान अच्छा रखें, लिक्विड डाइट लें,एक्सरसाइज करें और हमेशा खुश रहें।

(लेखक के बारे में: मनोज पांडे,  ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट के तौर पर इंडिया टीवी में कार्यरत हैं। हेल्थ, पर्यावरण, शिक्षा, साइंस टेक्नॉलोजी,ऑटोमोबाइल, ग्राउंड रिपोर्ट,न्यू जर्नलिज्म, डेवलेपमेंट जर्नलिज्म में पढ़ने लिखने की रुचि रखते हैं।)

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