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Hindi News भारत राष्ट्रीय भारत को तोड़ने की बात करने वाले को उसी की भाषा में मिलेगा जवाब: अमित शाह

भारत को तोड़ने की बात करने वाले को उसी की भाषा में मिलेगा जवाब: अमित शाह

शाह ने कहा कि जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते है उसके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे। जम्मू कश्मीर के किसी भी लोगों को डरने की जरुरत नहीं है। उन्होनें कहा कि कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे।

Amit Shah in Rajya Sabha- India TV Hindi Amit Shah in Rajya Sabha (File Photo)

नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर राज्यसभा जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार की नीति  जम्हूरियत, इंसानियत और कश्मीरियत की है। उन्होनें कहा कि मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता। मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है।

अमित शाह ने कहा कि जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। जम्हूरियत गांव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया। जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे। क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये, और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं। मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है।

शाह ने कहा कि जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते है उसके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे। जम्मू कश्मीर के किसी भी लोगों को डरने की जरुरत नहीं है। उन्होनें कहा कि कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे। एक समय आएगा जब माता क्षीर भवानी मंदिर में कश्मीर पंडित भी पूरा करते दिखाई देंगे और सूफी संत भी वहां होंगे।मैं निराशावादी नहीं हूं। हम इंसानियत की बात करते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि गुलाम नबी साहब ने बोला कि चुनाव आप करा दीजिए। हम कांग्रेस नहीं हैं कि हम ही चुनाव करा दें। हमारे शासन में चुनाव आयोग ही चुनाव कराता है। हमारे शासन में हम चुनाव आयोग को नहीं चलाते।

गृहमंत्री ने कहा कि राम गोपल जी ने कहा कि कश्मीर विवादित है तो मैं बताना चाहूंगा कि न कश्मीर विवादित है, न POK कश्मीर विवादित है ये सब भारत का अभिन्न अंग हैं। मैं सदन के माध्यम से सभी को बताना चाहता हूं कि हम जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन करें, ये हमारा नहीं बल्कि वहां की जनता का फैसला था। तब एक खंडित जनादेश मिला था। मगर जब हमें लगा कि अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा है और पानी सिर के ऊपर जा रहा है तो हमने सरकार से हटने में तनिक भी देर नहीं की।

अमित शाह ने राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाए जाने का प्रस्ताव सोमवार को राज्य सभा में रख दिया, जिसका समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने समर्थन किया। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने बीजेपी-पीडीपी के अलग होने का जिक्र करते हुए कहा कि 'केर-बेर का साथ कब तक चल सकता है जैसै हमारा नहीं चला (सपा-बसपा गठबंधन)। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। सपा के अलावा तृणमूल कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। 

वहीं, इसके अलावा अमित शाह ने जम्‍मू कश्‍मीर राज्‍य के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक को भी राज्यसभा में पेश कर दिया है। बता दें कि पिछले हफ्ते लोक सभा ने इस दोनो विधेयकों को को ध्‍वनिमत से पास कर दिया है। सोमवार को शाह ने विधेयक को पेश करते हुए बताया कि आरक्षण संशोधन विधेयक पास होने से जम्‍मू कश्‍मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले 435 गांवों के युवाओं को फायदा मिलेगा। 

अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग ने राज्य में सभी हिस्सेदारों से बात करने, धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेने के बाद कहा है कि राज्य में साल के अंत तक चुनाव संभव हो सकेंगे। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार के पास राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता। अमित शाह ने कहा कि मैं प्रस्ताव लेकर आया हूं कि जम्मू-कश्मीर के अंदर राष्ट्रपति शासन की अवधि कल समाप्त हो रही है उसको और 6 माह के लिए बढ़ाया जाए। 

इसके अलावा गृह मंत्री ने जम्‍मू कश्‍मीर राज्‍य के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक को भी राज्य सभा में पेश कर दिया है, गृह मंत्री ने बताया कि एक अध्याधेश लाकर सुधार किया गया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वालों को भी 3 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाए। इस बिल से कठुआ जिले के 70 गांव, सांभा जिले के 133 और जम्मू जिले के 232 गांव के बच्चों को इसकी सुविधा का लाभ मिलेगा। 

कुल मिलाकर 435 गांवों की करीब 3 लाख 50 हजार की आबादी को इसका फायदा होगा। इसके अंदर अनुसूचित जातियां 8%, जनजातियां 10%, पिछड़े इलाके में रहने वाले लोगों को 20%, कमजोर और निर्धन लोगों को 2% और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के लिए 3% आरक्षण का प्रावधान है। 

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