हिंसा के कारण तनाव झेल रहे मणिपुर में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाया जाएगा। ये आदेश 13 अगस्त, 2025 से प्रभावी होने वाला है।
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हो रही है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई भी होगी। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले भारत में कहां लगा था राष्ट्रपति शासन?
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को लेकर सांविधिक संकल्प लोकसभा में गुरुवार को ही पारित हो गया था। शुक्रवार तड़के इसे राज्यसभा में भी पारित कर दिया गया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने विधायकों से चर्चा की और बहुमत सदस्यों ने कहा कि वे सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं। शाह ने कहा कि इसके बाद कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जिसे राष्ट्रपति महोदया ने स्वीकार कर लिया।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। राज्य की विधानसभा को भी भंग कर दिया गया है। ऐसे में भारतीय जतना पार्टी अब राज्य में स्थिति में सुधार होने के बाद सदन को भी बहाल कर सकती है।
हिंसा की मार झेल रहे भारत के राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
महाराष्ट्र में पार्टियों के पास राज्य को एक और राष्ट्रपति शासन से बचाने के लिए सिर्फ़ 72 घंटे होंगे। चुनाव लड़ने वाले दलों के पास 26 नवंबर तक केवल 72 घंटे (3 दिन) बचे हैं। किसी भी पार्टी या गठबंधन को सरकार बनाने का दावा करने के लिए 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 145 सीटें जीतनी होंगी।
पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दिनों में यौन उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बंगाल में विपक्षी नेताओं ने ममता सरकार पर हमला तेज कर दिया है। पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं।
कोलकाता के एक मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की वारदात के बाद से पूरे देश में आक्रोश है और कई लोग इस मामले को लेकर ममता सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
देश की राष्ट्रपति ने बंगाल पर बहुत बड़ी बात कह दी है। पिछले कई सालों के पन्नों को आप पलटें तो राष्ट्रपति ने इतना तीखा बयान किसी भी राज्य सरकार के बारे में नहीं दिया। राष्ट्रपति ने इतनी तीखी टिप्पणी किसी भी पॉलिटिकल ईश्यू या किसी सोशल ईश्यू पर नहीं की है।
उत्तर 24 परगना के संदेशखाली की घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सीएम भगवंत मान को उनके पत्रों का जवाब देने को कहा है। ऐसा न होने पर उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने की बात कही।
विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने पूर्वोत्तर राज्य में आदिवासी महिलाओं पर हमले और हालात को नियंत्रित करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए।
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बंगाल सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। कोर्ट में चुनाव के बाद बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए निर्देश देने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी।
इस साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आए नेता राजीव बनर्जी भगवा दल की करारी हार के बाद अपना स्वर बदलते दिख रहे हैं।
पुडुचेरी में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार गिर जाने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर केंद्र शासित प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में कहा गया कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की प्रशासक से 22 फरवरी को मिली रिपोर्ट के बाद यह फैसला किया गया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, क्योंकि बीजेपी और उसके सहयोगी पार्टियों ने केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह आईपीएस अधिकारियों को अपने अंदर सेवा देने के लिए तलब कर राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है। बनर्जी ने केंद्र सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की चुनौती भी दी।
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने शुक्रवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस को अपने तरीकों में सुधार लाना चाहिए और ‘मतदाताओं को डराने-धमकाने’ से परहेज करना चाहिए, अन्यथा ऐसी चीजों पर गौर करने के लिए संविधान में प्रावधान हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नारायण राणे ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।
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