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Hindi News भारत राष्ट्रीय सिर्फ नोट बरामद होना रिश्वतखोरी का अपराध साबित होने के लिए काफी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सिर्फ नोट बरामद होना रिश्वतखोरी का अपराध साबित होने के लिए काफी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार रोधी कानून के प्रावधानों के तहत महज नोट की बरामदगी के आधार पर अपराध साबित करने और आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आरोप नहीं बनता है। 

Supreme Court, Supreme Court Corruption, Supreme Court Public Servant- India TV Hindi Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घूस मांगे जाने का कोई सबूत नहीं होने और महज नोट की बरामदगी से अपराध साबित नहीं हो जाता।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार रोधी कानून के प्रावधानों के तहत महज नोट की बरामदगी के आधार पर अपराध साबित करने और आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आरोप नहीं बनता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए बिना किसी संदेह के आरोप साबित करना होगा कि आरोपी ने अपनी इच्छा से रिश्वत की रकम स्वीकार की।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम. आर. शाह की 3 सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘यह तय व्यवस्था है कि महज बरामदगी से आरोपी के खिलाफ अभियोजन का आरोप साबित नहीं होता। भ्रष्टाचार रोधी कानून, 1988 की धारा 7, 13 (एक) (डी) (आई) और (आईआई) के तहत कहा गया है कि बिना किसी संदेह के आरोप साबित होना जरूरी है कि आरोपी को पता था कि जो रकम उसने स्वीकार की, वह रिश्वत है।’

शीर्ष अदालत ने कहा कि घूस मांगे जाने का कोई सबूत नहीं होने और महज नोट की बरामदगी से अपराध साबित नहीं हो जाता। मदुरै नगर निगम में सफाई निरीक्षक रहे एन विजयकुमार की अपील पर यह फैसला आया। उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया था। निचली अदालत ने मामले में उन्हें बरी कर दिया था लेकिन इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट का रुख किया था।

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