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Hindi News भारत राष्ट्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए के नियम बनाने के लिए तीन और महीने का समय मांगा

गृह मंत्रालय ने सीएए के नियम बनाने के लिए तीन और महीने का समय मांगा

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) संबंधी नियम बनाने के लिए तीन महीने का समय और मांगा है। 

MHA seeks 3 additional months for framing CAA rules- India TV Hindi Image Source : INDIA TV MHA seeks 3 additional months for framing CAA rules

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) संबंधी नियम बनाने के लिए तीन महीने का समय और मांगा है। अधिकारियों ने रविवार (2 अगस्त) को बताया कि इस संबंध में आवेदन अधीनस्थ विधान संबंधी स्थायी समिति से संबंधित विभाग के समक्ष दिया गया है। नियम के तहत किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के छह महीने के भीतर उससे संबंधित नियम बनाए जाने चाहिए, अन्यथा समयावधि विस्तार की अनुमति ली जानी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावाधान है। इस विधेयक को करीब आठ महीने पहले संसद ने मंजूरी दी थी और इसके खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुए थे। विधयेक पर राष्ट्रपति ने 12 दिसंबर 2019 को दस्तखत किए थे। इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'गृह मंत्रालय ने सीएए पर नियम बनाने के लिए तीन महीने का समय और मांगा है। इस संबंध में आवेदन अधीनस्थ विधान संबंधी स्थायी समिति विभाग के समक्ष दिया गया है।'

उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने यह कदम तब उठाया जब समिति ने सीएए को लेकर नियमों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी। समिति द्वारा इस अनुरोध को स्वीकार कर लिए जाने की उम्मीद है। अधिकारी ने बताया कि सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्ब्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध, पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देना है। इन छह धर्मों के जो लोग धार्मिक उत्पीड़न की वजह से यदि 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए तो उन्हें अवैध प्रावासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

बता दें कि, संसद से सीएए के परित होने के बाद देश में बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ प्रदर्शन देखने को मिले थे। सीएए विरोधियों का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। विरोधियों का यह भी कहना है कि सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है। संसदीय कार्य नियमावली के मुताबिक कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर स्थायी नियम और उप-कानून बन जाने चाहिए। नियमावली यह भी कहती है कि अगर मंत्रालय/विभाग निर्धारित छह महीने में नियम बनाने में असफल होते हैं तो उन्हें समय विस्तार के लिए अधीनस्थ विधान संबंधी समिति से अनुमति लेनी होगी और यह समय विस्तार एक बार में तीन महीने से अधिक नहीं होगा।

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