A
Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma Blog: लोकतंत्र बचाने की दुहाई एकतरफा नहीं हो सकती, ममता को बंगाल में भी झांकना चाहिए

Rajat Sharma Blog: लोकतंत्र बचाने की दुहाई एकतरफा नहीं हो सकती, ममता को बंगाल में भी झांकना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को निर्देश दिया कि वे शारदा चिटफंड घोटाला मामले में पूछताछ के लिए कोलकाता के बजाय शिलॉन्ग में सीबीआई के सामने पेश हों

Rajat Sharma Blog- India TV Hindi Rajat Sharma Blog

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को निर्देश दिया कि वे शारदा चिटफंड घोटाला मामले में पूछताछ के लिए कोलकाता के बजाय शिलॉन्ग में सीबीआई के सामने पेश हों और पूरी ईमानदारी के साथ एजेंसी की जांच में सहयोग करें। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को यह भी निर्देश दिया है कि जांच के क्रम में किसी तरह की जबरदस्ती वाले कदम नहीं उठाए जाएं। साथ ही पुलिस कमिश्नर को गिरफ्तार नहीं करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के उन आरोपों पर राजीव कुमार से भी जवाब मांगा है, जिसमें उनपर इलेक्ट्रॉनिक सबूतों से छेड़छाड़ और एजेंसी को बदले हुए दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने के आरोप हैं। 
 
रविवार की शाम घोटाले की जांच के क्रम में सीबीआई के अधिकारी कोलकाता पुलिस कमिशनर राजीव कुमार से पूछताछ करने उनके सरकारी निवास पर गए थे, क्योंकि ममता बनर्जी द्वारा इस घोटाले की जांच के लिए जिस विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था उसके हेड राजीव कुमार ही थे। इससे पहले सीबीआई ने पूछताछ के लिए राजीव कुमार को चार नोटिस भेजा था, लेकिन उन्होंने न केवल इन नोटिसों की अनदेखी की बल्कि उनका जवाब भी देना उचित नहीं समझा। 

स्वाभाविक है कि ऐसे में सवाल उठेंगे कि क्यों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभूतपूर्व कदम उठाते हुए पुलिस कमिश्नर के आवास पर पहुंच गईं और सीबीआई की पूछताछ से उन्हें रोकने के लिए कोलकाता में तंबू लगाकर धरना शुरू कर दिया। सवाल यह है कि अखिर वो कौन से राज हैं, जिसे वह छुपाने की कोशिश कर रही हैं?

यहां मैं स्पष्ट कर दूं कि शारदा चिट फंड घोटाले की जांच यूपीए के शासन काल में शुरू हुई थी। इस घोटाले में लाखों लोग अपनी गाढ़ी कमाई खो बैठे। इस घोटाले की सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। रविवार की शाम सीबीआई टीम किसी तृणमूल कांग्रेस के नेता को गिरफ्तार करने नहीं गई थी। यह टीम केवल पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करना चाहती थी जो एसआईटी का नेतृत्व कर रहे थे।

सीबीआई के इस कदम से ममता इनती नाराज हुईं कि वे आईपीएस, राज्य पुलिस के अधिकारियों और अपनी पार्टी के नेताओं के साथ धरने पर बैठ गईं। उन्होंने देशभर के विपक्ष के सभी नेताओं से समर्थन मांगा। कुछ नेता उनके समर्थन में धरनास्थल तक पहुंचे, लेकिन अधिकांश नेताओं ने उन्हें केवल मौखिक समर्थन देना ही उचित समझा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री 'लोकतंत्र बचाओ' के नारे दे रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो उनके अपने ही राज्य में उनकी ही सरकारी मशीनरी की वजह से लोकतंत्र संकट में है। 
 
बीजेपी के नेताओं को रैली की इजाजत नहीं दी जा रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और शाहनवाज हुसैन को रैली की इजाजत नहीं दी गई। अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के हेलिकॉप्टर को पश्चिम बंगाल में उतरने की इजाजत नहीं दी जा रही है। पश्चिम बंगाल में जब स्थानीय निकाय के चुनाव हुए तो हिंसा हुई, बम फोड़े गए और चाकूबाजी हुई। बीजेपी के जो उम्मीदवार इस सबके बाद भी चुनाव जीत गए वो आज तक तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के डर से पश्चिम बंगाल में घुस नहीं पाए। वे लोग आज भी झारखंड में अपने रिश्तेदारों के घर में रह रहे हैं।

इन परिस्थितियों में अगर ममता बनर्जी 'लोकतंत्र बचाओ' की दुहाई देती हैं तो उन्हें यह जान लेना चाहिए कि इसका कोई वन-वे रूट नहीं है.. कोई एकतरफा रास्ता नहीं है। और मैं भी उन्हें अतीत की एक बात याद दिलाना चाहूंगा कि उन्हें भी लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए काफी संघर्ष के बाद सत्ता हासिल हुई थी। उन्हें वाम मोर्चा की सरकार के अत्याचार और दमन का सामना करना पड़ा था। ममता को विरोध करने का पूरा अधिकार है लेकिन जनता के साथ संवाद करने के लिए उन्हें दूसरों को भी अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की इजाजत देनी चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 4 फरवरी 2019 का पूरा एपिसोड

Latest India News