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Hindi News भारत राष्ट्रीय इंडियन रेलवे ने बीमार यात्री को दे दी ऐसी सीट, जो ट्रेन में थी ही नहीं; 1700 किमी का था सफर

इंडियन रेलवे ने बीमार यात्री को दे दी ऐसी सीट, जो ट्रेन में थी ही नहीं; 1700 किमी का था सफर

भारतीय रेलवे ने एक बुजुर्ग और उसके साथ यात्रा कर रहे उनके बेटे को ऐसी टिकट आवंटित कर दी जिसकी सीट बोगी में मौजूद ही नहीं थी। जब बीमार यात्री और उसके साथ सफर कर रहे उसके बेटे ने टीटी से संपर्क किया तो उसने भी पल्ला झाड़ लिया।

indian railway- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE ट्रेन में यात्रा करते हुए पैसेंजर्स

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने बीमार यात्री को ऐसी सीट बेच दी जो ट्रेन में थी ही नहीं। इसके बाद यात्री की नाराजगी पर टीटी ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया। यात्री ने रेलवे को ट्वीट कर जानकारी दी है। निजी परिवहन के क्षेत्र में लाइफ लाइन मानी जाने वाली भारतीय रेलवे की चूक का एक बड़ा मामला सामने आया है। रेलवे की एक चूक का नतीजा ये रहा कि एक बीमार यात्री को बिना सीट के सफर करना पड़ा।

जानें क्या है पूरा मामला
रेलवे ने एक बुजुर्ग और उसके साथ यात्रा कर रहे उनके बेटे को ऐसी टिकट आवंटित कर दी जिसकी सीट बोगी में मौजूद ही नहीं थी। जब बीमार यात्री और उसके साथ सफर कर रहे उसके बेटे ने टीटी से संपर्क किया तो उसने भी पल्ला झाड़ लिया। उसके बाद उन्होंने ट्वीट करके रेलवे से मदद मांगी और सवाल खड़े किए कि इसका जिम्मेदार कौन है।

रेलवे ने गलत सीट के लिए वसूले 4500 रुपये
दरसअल, 7 जनवरी को सुमन पाल नामक एक व्यक्ति ने पश्चिम बंगाल से आद्रा स्टेशन चेन्नई तक की न्यू जलपाईगुड़ी-मद्रास एक्सप्रेस में तत्काल टिकट बुक कराई। उसकी सीट भी कंफर्म हो गई। उन्हें एसी कोच में बोगी नंबर एम3 में सीट नंबर 81 और 82 दिए गए लेकिन जब सफर के दिन यात्री ट्रेन में चढ़े तो उन्हें पता चला कि उस ट्रेन की एम3 कोच में सिर्फ 80 नंबर तक ही सीट है। यानी 81 और 82 नंबर सीट कोच में मौजूद ही नहीं है लेकिन रेलवे ने उसकी उसी गलत सीट के लिए 4500 रुपए वसूल लिए।

इलाज के लिए बुजुर्ग पिता को चेन्नई ले जा रहा था बेटा
जब दोनों यात्रियों ने टीटी को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि ये रेलवे प्रशासन की गलती है। इसके लिए वो कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद यात्रियों ने परेशान होकर रेलवे प्रशासन से ट्वीट कर मदद मांगी। अपने ट्वीट में यात्री ने बताया है कि वे इलाज के लिए अपने बुजुर्ग पिता को चेन्नई ले जा रहे थे लेकिन रेलवे की इस गलती की वजह से उन्हें सीट नहीं मिल सकी। उनके पिता लंबे समय तक खड़े या बैठ नहीं सकते और सीट न होने के अभाव में ऐसा ही करना पड़ा। उन्हें पूरे 1700 किमी का सफर तय करना था। इस पूरी घटना के बाद रेल सेवा की ओर से उन्हे मदद करने का भरोसा दिलाया गया।

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