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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: ED, CBI के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए विपक्ष को क्यों झटका लगा?

Rajat Sharma’s Blog: ED, CBI के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए विपक्ष को क्यों झटका लगा?

नेताओं की गिरफ्तारी न हो, गिरफ्तारी हो तो तुरंत बेल मिले, अगर बेल न मिले तो नेताओं को जेल के बजाए घर में हाउस अरेस्ट रखा जाए, कोई भी अदालत यह आदेश कैसे दे सकती है?

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Opposition, Rajat Sharma Blog on Nitish Kumar- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

विपक्ष को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, एनसीपी, आरजेडी, जेडी(यू), डीएमके, टीएमसी, बीआरएस, AAP, जेएमएम, शिवसेना (उद्धव), नेशनल कॉन्फ्रेंस और लेफ्ट पार्टियों सहित कुल 14 विपक्षी दलों की एक साझा अर्जी पर विचार करने से इनकार कर दिया। इन पार्टियों ने अनुरोध किया था कि CBI और ED द्वारा नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर कड़े दिशानिर्देश जारी किए जाएं। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारडीवाला की पीठ ने कहा, ‘आप (राजनीतिक दल) कह रहे हैं कि विपक्षी नेताओं को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन साथ ही आप यह भी कह रहे हैं कि आप नेताओं के लिए कोई विशेष बर्ताव नहीं चाहते। फिर हम इस तरह के दिशा-निर्देश कैसे दे सकते हैं कि अगर मामला हत्या, मारपीट या बाल यौन शोषण का न हो,  तो किसी भी नेता को गिरफ्तार न किया जाए?’ कोर्ट ने  कहा, ‘एक बार जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि नेता भी आम नागरिकों के बराबर हैं, तो उन्हें कानून की समान प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा।’ चीफ जस्टिस ने साफ-साफ कहा कि राजनीतिक लड़ाई कोर्ट में नहीं लड़ी जा सकती। कोर्ट का रुख देखकर विपक्षी पार्टियों के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका वापस ले ली। एक तरफ जहां कांग्रेस और अन्य दलों ने कहा कि वे इस मामले का गहराई से अध्ययन करेंगे, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'विपक्ष ने गलत तरीका अपनाया था। उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहिए था। आप बीजेपी के खिलाफ इस तरह की राजनीति नहीं कर सकते, खासकर तब जब मोदी बीजेपी के अगुवा हैं ।' औवैसी की बात में दम है। दुनिया की कोई भी अदालत सिर्फ नेताओं को रियायत देने का आदेश नहीं दे सकती। नेताओं की गिरफ्तारी न हो, गिरफ्तारी हो तो तुरंत बेल मिले, अगर बेल न मिले तो नेताओं को जेल के बजाए घर में हाउस अरेस्ट रखा जाए, कोई भी अदालत यह आदेश कैसे दे सकती है? यह याचिका ही गलत थी।  वह अर्जी जैसी नहीं लग रही थी। भाषण और याचिका में फर्क होना चाहिए। विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट पीएम मोदी के खिलाफ उनकी सियासी लड़ाई लड़े। अभिषेक मनु सिंघवी खुद बड़े और सीनियर वकील हैं । मैं हैरान हूं कि उन्होंने यह कैसे सोचा कि कोर्ट ऐसे केस की सुनवाई करेगा, क्योंकि इसमें कुछ भी स्पेसिफिक नहीं था । विरोधी दल तो पिछले 9 साल से नरेंद्र मोदी पर यह इल्जाम चिपकाना चाहते हैं कि वह विरोधी दलों के नेताओं को चुप कराने के लिए ED और CBI का बेजा इस्तेमाल करते हैं। ये पार्टियां कहती हैं कि मोदी ED और CBI के भरोसे चुनाव जीतते हैं। विरोधी दलों के जिन नेताओं को लगता था कि वे चुनाव में तो मोदी को हरा नहीं सकते, तो क्य़ों न सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई के लिए कहा जाय। अगर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो जाता तो यह पीएम पर हमला करने का एक बड़ा ग्राउंड बन सकता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी को सुनने से इनकार कर दिया, और कह दिया कि अदालत सियासी जंग का मैदान नहीं है, और राजनीतिक लड़ाई कोर्ट से बाहर लड़ी जाए । अब विरोधी दलों का यह दांव उल्टा पड़ेगा, उन्हें लेने के देने पड़ जाएंगे। विरोधी दलों ने बीजेपी को यह कहने का मौका दे दिया कि भ्रष्टाचार में लिप्त, परेशान नेता अपने लिए कानून में भी रियायत चाहते थे और वे सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। विरोधी दलों को इस पर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

बंगाल, बिहार के दंगों पर ममता, नीतीश की सियासत

जहां नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बिहार में हुई हालिया हिंसा के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं बीजेपी ने बुधवार को राज्य की विधानसभा में आरोप लगाया कि दंगाई अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। हिंसा पर हो रही सियासत अपनी जगह है, लेकिन ज़मीनी हकीकत हैरान करने वाली है। नालंदा में, पुलिस के सर्किल अफसर और प्रखंड विकास अधिकारी द्वारा दर्ज की गई FIRs में अलग-अलग बातें लिखी गई हैं। CO धर्मेंद्र पंडित ने अपनी शिकायत में लिखा है कि बिहार शरीफ में जैसे ही रामनवमी की शोभायात्रा कब्रिस्तान के पास पहुंची, वहां मौजूद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुछ इशारे किए, लोगों को भड़काया और उसी के बाद पथराव और आगजनी शुरू हो गई। वहीं, BDO अंजन दत्ता ने जो FIR दर्ज कराई, उसमें कहा गया है कि रामनवमी की शोभायात्रा में शामिल भीड़ काफी उग्र थी और लोग भड़काऊ नारे लगा रहे थे। कुछ लोगों द्वारा फोन पर बात करने के बाद हिंसा शुरू हो गई। हिंसा प्रभावित एक ही इलाके के बारे में दो  सरकारी अफसर FIRs में अलग-अलग दावे कर रहे हैं। हालांकि नालंदा के एसपी अशोक मिश्रा ने दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है, लेकिन यह हैरान करने वाली बात है कि कैसे अधिकारियों द्वारा दर्ज कराई गई FIR में विरोधाभासी बयान हैं। एक ने हिंसा के लिए हिंदुओं को जिम्मेदार ठहराया तो दूसरे ने मुसलमानों को । ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार को सिर्फ उस FIR के बारे में बताया गया है जिसमें रामनवमी की शोभायात्रा में शामिल लोगों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। अब पुलिस के सीनियर अफसर कह रहे हैं कि जो लोग पकड़े जा रहे हैं उनके फोन के call details records की जांच होगी और यह पता लगाया जाएगा कि हिंसा के वक्त वे किससे बात कर रहे थे । कुल मिलाकर नीतीश दंगे के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराना चाहते हैं और यह साबित करना चाहते हैं कि वह दंगा करवाकर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है। यही बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कही है। हावड़ा और हुगली में दंगा किसने किया, रामनवमी के जुलूस पर पत्थर किसने फेंके, ये हिंसा के वीडियो में साफ दिख रहा है, और कार्रवाई किसके खिलाफ हो रही है, यह भी दिख रहा है। इसलिए बीजेपी के नेता ममता पर मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दुओं के उत्पीड़न का इल्जाम लगा रहे हैं। अब यह ममता बनर्जी की जिम्मेदारी है कि वह बंगाल के लोगों को ये समझाएं कि सरकार दंगाइयों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई कर रही है। लेकिन मुश्किल यह है कि ममता का फोकस फिलहाल पुलिस की कार्रवाई पर नहीं, बल्कि सियासत पर है। ममता हों या नीतीश कुमार, दोनों ये चाहते हैं कि किसी तरह बीजेपी पर दोनों राज्यों में दंगा कराने का इल्जाम चिपकाया जाए। यह साबित किया जाए कि बीजेपी ने साजिश करके रामनवमी पर दंगा करवाया जिससे मुसलमानों को डराया जा सके, और हिंदुओं के वोट लिए जा सकें। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 अप्रैल, 2023 का पूरा एपिसोड

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