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Rajat Sharma’s Blog: खरगे ने किया सेल्फ-गोल

नोट करने वाली बात यह है कि ऐसी गालियों से कांग्रेस को कभी फायदा नहीं हुआ, उल्टा बीजेपी ने इसका शोर मचा कर कांग्रेस को बार-बार नुकसान पहुंचाया।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog Latest, Rajat Sharma Blog on Mallikarjun Kharge- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'ज़हरीला सांप' कह दिया, लेकिन बाद में इससे मुकरते हुए कहा कि उन्होंने मोदी की नहीं बल्कि बीजेपी की विचारधारा की तुलना ‘ज़हरीले सांप’ से की थी। उन्होंने कहा कि मोदी के खिलाफ व्यक्तिगत हमला करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। खरगे कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे थे, लेकिन जब तक उनका स्पष्टीकरण आया, नुकसान हो चुका था। स्मृति ईरानी, धर्मेंद्र प्रधान और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई जैसे बीजेपी नेताओं ने खरगे के बयान को निशाने पर ले लिया। हैरानी की बात है कि जब-जब कहीं चुनाव हो रहे होते हैं, कर्नाटक हो या गुजरात, उत्तर प्रदेश हो या बिहार, कांग्रेस का कोई न कोई बड़ा नेता नरेंद्र मोदी को लेकर ऐसी अपमानजनक बात कह देता है कि पार्टी को लेने के देने पड़ जाते हैं। बीजेपी को बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल जाता है। कर्नाटक में भी यही हुआ है। मल्लिकार्जुन खरगे ने जैसे ही मोदी को ज़हरीला सांप कहा, बीजेपी के नेताओं को ये याद दिलाने का मौका मिल गया कि कांग्रेस के नेता मोदी को कभी ‘मौत का सौदागर’ और ‘चौकीदार चोर है’ कहकर अपमानित करते हैं तो कभी उनके लिए रावण, भस्मासुर और ‘नाली का कीड़ा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। नोट करने वाली बात यह है कि ऐसी गालियों से कांग्रेस को कभी फायदा नहीं हुआ, उल्टा बीजेपी ने इसका शोर मचा कर कांग्रेस को बार-बार नुकसान पहुंचाया। कर्नाटक में कांग्रेस का कैंपेन ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी के हाथ में बारूद थमा दिया है। अब बीजेपी चुनाव में इसका भरपूर इस्तेमाल करेगी।

क्या महाराष्ट्र में कोई बड़ा सियासी बदलाव होने वाला है?
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष  शरद पवार ने एक अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा है कि ' अब रोटी पलटने का वक्त आ गया है।' उन्होंने यह बात अपनी पार्टी की युवा शाखा को संबोधित करते हुए कही। वैसे यह बयान युवा पीढ़ी को ज्यादा पद देने को लेकर दिया गया था। लेकिन पवार के इस बयान को दूसरी पार्टियों के नेता अलग लग अर्थों में ले रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है, और इसके संकेत लगातार मिल रहे हैं। लेकिन क्या होगा, इसको लेकर कोई अभी निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकता। वैसे ज्यादातर लोग मानते हैं कि एकनाथ शिंदे अब ज्यादा दिन मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। उनका कहना है कि बीजेपी को इस बात का अहसास हो गया है कि शिंदे के मुख्यमंत्री रहते चुनाव हुए तो जीतना मुश्किल हो जाएगा। बीजेपी के बड़े नेताओं का मानना है कि अगर महाराष्ट्र में फिर से जीतना है तो देवेंद्र फडणवीस को ही मुख्यमंत्री बनाना होगा। सूत्रों के मुताबिक, यह संदेश शिंदे को दे दिया गया है। लेकिन इससे भी बड़ी अटकलें इस बात को लेकर हैं कि अजित पवार NCP को साथ लेकर BJP के साथ आ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में दोनों पार्टियां मजबूत हो जाएंगी। फिलहला, इन सारी बातों की कमान शरद पवार के हाथों में है। शरद पवार कब किसकी ‘रोटी’ पलट दें, कोई नहीं कह सकता।

45 करोड़ रुपये में हुआ केजरीवाल के घर का रेनोवेशन
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रेनोवेशन पर खर्च किए गए 45 करोड़ रुपये को लेकर दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सीएम आवास का घेराव किया, और आरोप लगाया कि खुद को 'आम आदमी' बताने वाले केजरीवाल ने राजाओं के रहने लायक घर बनवाया है। बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का आरोप है कि घर के लिए 8 लाख रुपये के पर्दे, इंपोर्टेड डियोर मार्बल्स और बड़े टीवी सेट खरीदे गए हैं। केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। वह अच्छे घर में रहें, बड़े घर में रहें, इससे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। सारे मुख्यमंत्री बड़े घरों में रहते हैं। इसमें किसी को कोई दिक्कत नहीं होती। दिक्कत होती है केजरीवाल के एटीट्यूड की वजह से, उनके हाई मॉरल ग्राउंड की वजह से, दूसरों को नीचा दिखाने की फितरत की वजह से। केजरीवाल खुद ही कहते थे कि जो बड़े घरों में रहते हैं, वे बेईमान हैं और जनता का पैसा बर्बाद करते हैं। उन्होंने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आए तो आम आदमी की तरह रहेंगे। झुग्गी-झोपड़ी में लोगों के बीच रहेंगे। केजरीवाल ने ही पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर को लेकर, बिजली के बिल को लेकर सवाल उठाए थे। वह कहते थे कि यह सब जनता के पैसे की बर्बादी है। ऐसे कितने सारे बयान हैं जहां केजरीवाल ने सरकारी घरों पर किए गए खर्चों का मजाक उड़ाया। इसे मुद्दा बनाकर दूसरे नेताओं की ईमानदारी पर सवाल उठाए। इसलिए जब उनके खुद के सरकारी आवास के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपये खर्च हुए तो ये इतना बड़ा मुद्दा बन गया। केजरीवाल और उनकी पार्टी के दूसरे नेता जानते हैं कि इस मामले से जनता के बीच उनकी छवि बिगड़ी है। केजरीवाल लोगों के बीच मजाक बन गए हैं। इसलिए वह इस सवाल पर कुछ नहीं बोलते और यही उनकी प्रॉब्लम है। वह दूसरों के लिए जो मापदंड तय करते हैं, उसे अपने ऊपर लागू नहीं करते। किसी और सरकार के 2-2 मंत्री जेल गए होते तो केजरीवाल आसमान सिर पर उठा लेते। दिल्ली में किसी और मुख्यमंत्री ने अपने घर के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए होते तो केजरीवाल उनके घर के सामने धरना दे देते, सड़क पर लेट जाते। इसलिए कहावत है: ‘जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।’

जेल से रिहा हुए आनंद मोहन सिंह
बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह को गुरुवार तड़के सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया ताकि ‘ट्रैफिक की समस्या और मीडिया की नजरों’ से बचा जा सके। 1994 में आईएएस अधिकारी गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट जी. कृष्णैया की हत्या करने वाली भीड़ को उकसाने के लिए उन्हें 2007 में फांसी की सजा दी गई थी। पटना हाई कोर्ट ने 2008 में उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इस महीने बिहार सरकार ने अपने जेल नियमावली में संशोधन कर उन दोषियों को छूट दे दी, जिन्होंने 20 साल के पहले के प्रावधान के बजाय अपनी सजा के 14 साल पूरे कर लिए हैं। बिहार के कानून विभाग ने 24 अप्रैल को उनकी रिहाई का आदेश दिया, जिससे सियासी विवाद पैदा हो गया। आनंद मोहन सिंह की रिहाई बिहार की जाति पर आधारित राजनीति का सबसे ताजा उदाहरण है। उन्हें राजपूतों का नेता माना जाता है, और सूबे में इस जाति के 5 फीसदी वोट हैं। बिहार में सभी पार्टियों को उनका सपोर्ट चाहिए, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जेल से निकालने के लिए कानून बदल दिया। जाति का असर ऐसा है कि बीजेपी में भी जो अगड़ी जातियों के नेता हैं, वे आनंद मोहन का सपोर्ट कर रहे हैं। बीजेपी के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि आनंद मोहन को जेल भेजा जाना ज्यादती थी। जब बात जाति की होती है, तो इस बात का कोई असर नहीं होता कि अपने आप को नेता कहने वाला हत्यारा है, और अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दी थी। इसे राजनीति का दुर्भाग्य न कहा जाए तो और क्या कहा जाए? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 अप्रैल, 2023 का पूरा एपिसोड

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