A
Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: ओवैसी को मुसलमानों के बीच नफरत के बीज बोने से बचना चाहिए

Rajat Sharma’s Blog: ओवैसी को मुसलमानों के बीच नफरत के बीज बोने से बचना चाहिए

अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के केस को असदुद्दीन ओवैसी ने हिन्दू-मुसलमान का रंग देने की कोशिश की।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog Atiq Ahmed, Rajat Sharma Blog on Asaduddin Owaisi- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जुम्मातुल विदा के मुबारक मौके का इस्तेमाल भावनाओं को भड़काने के लिए किया। उन्होंने माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या पर सवाल उठाया। ओवैसी ने कहा कि अतीक और अशरफ के तीनों हत्यारे नौसिखिए नहीं हैं। वे एक टेरर सैल का हिस्सा हैं जो युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहा है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि  इस टेरर सैल  में हथियार चलाने की  ट्रेनिंग दी जा रही है और कहा जा रहा है कि तुम्हें गोडसे का ख़्वाब पूरा करना है। उन्होंने सवाल उठाया कि इन तीनों के खिलाफ UAPA कानून क्यों नहीं लगाया गया।

आम तौर पर ओवैसी का भाषण उग्र होता है, वे तथ्यों का हवाला देते हैं और तीखा बोलते हैं। इसलिए उनकी बात पर लोग यक़ीन भी कर लेते हैं। लेकिन शुक्रवार को ओवैसी ने जो कहा उसमें  तथ्य कम और सियासी मसाला ज्यादा था। अतीक और अशरफ की हत्या के केस को उन्होंने हिन्दू-मुसलमान का रंग देने की कोशिश की। लेकिन हकीकत यह है कि अतीक और अशरफ कोई संत नहीं थे। वो गुंडे और माफिया थे। उनकी हत्या किसी तरह से जायज़ नहीं है लेकिन अतीक और अशरफ की हत्या का हवाला देकर ये कहना कि ज़ंजीरों में बंधे मुसलमानों को मारा जा रहा है, ये ठीक नहीं है। 

अतीक के हत्यारों का बैकग्राउंड ऐसा नहीं, जिसे देखकर कहा जा सके कि उनकी अतीक से कोई रंजिश थी। पुलिस को यही शक है कि अतीक की हत्या का मास्टरमाइंड कोई और है। गोलियां बरसाने वाले तो सिर्फ मोहरे हैं। जांच भी इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए हो रही है। लेकिन अतीक और अशरफ की हत्या को लेकर ये कह देना कि मुसलमानों को मारने के लिए देश में टेरर सेल बनाए जा रहे हैं, ये जायज़ नहीं है। ये सही है कि मक्का मस्जिद ब्लास्ट के आरोपियों को सज़ा नहीं हुई, अजमेर शरीफ़ ब्लास्ट के आरोपी छूट गए, नरोदा गाम केस के आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया, मलियाना (मेरठ) नरसंहार  के आरोपी भी छूट गए, लेकिन ये सारे फैसले अदालतों के हैं। इन फैसलों को ऊपर की अदालतों में चैलेंज किया जा सकता है। लेकिन कोर्ट के फैसलों को आधार बनाकर ये ऐलान कर देना कि मुल्क में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं,ओवैसी जैसे बड़े और समझादर नेता को शोभा नहीं देता।

जहां तक अतीक और अशरफ की हत्या का सवाल है तो उसकी अभी जांच चल रही है। पुलिस अतीक की हत्या का सच जानने के लिए हत्यारों का नार्को टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है। उमेश पाल के मर्डर केस में फरार अतीक गैंग के दूसरे आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन ओवैसी को इन बातों से मतलब नहीं हैं। क्योंकि ये सब ओवैसी की सियासत को सूट नहीं करता। इस तरह के भाषणों का असर क्या होता है ये पटना में दिखा जहां अलविदा जुमे की नमाज के बाद पटना में मस्जिद के बाहर लोगों ने अतीक अहमद के समर्थन में नारे लगाए। समाजवादी पार्टी के कुछ नेता भी मारे गए डॉन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।

ये सही है कि अतीक और अशरफ को लेकर लोगों के मन में बहुत सारे सवाल हैं। उन्हें मारने वाले हत्यारे कहां से आए? हथियार कहां से लाए गए? उनको ट्रेनिंग किसने दी? ये सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि अतीक और अशरफ की हत्या पुलिस हिरासत में कैमरों के सामने हुई। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी, शफीकुर्रहमान बर्क, तौकीर रजा, मौलाना सज्जाद नोमानी जैसे लोग अपने सियासी फायदे के लिए इस घटना का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे पुलिस, सिस्टम और सरकार के प्रति मुसलमानों के दिलों में नफरत पैदा करने के लिए इस घटना का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह देश के लिए अच्छा नहीं है। इसका एक ही इलाज है कि पुलिस जल्दी से जल्दी उन सवालों के जवाब दे जो लोगों के मन है। पुलिस इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड का पता लगाए।

सत्यपाल मलिक को सीबीआई का समन
सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नौकरशाहों से कहा कि ये देखना उनकी जिम्मेदारी है कि टैक्स का पैसा जनता की भलाई के कामों में ही खर्च हो। मोदी ने कहा कि अफसरों को इस बात पर पैनी नजर रखनी होगी कि कहीं कोई राजनीतिक दल या नेता जनता का पैसा पार्टी के प्रचार या अपने विज्ञापन पर तो खर्च नहीं कर रहा है। मोदी ने कहा कि बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण के कारण भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बदल रही है, क्योंकि हमारे देश में मोबाइल डेटा दुनिया में सबसे सस्ता है। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण की मदद से लाखों फर्जी राशन कार्ड धारकों, अवैध आधार कार्ड धारकों और कल्याणकारी योजनाओं के फर्जी लाभार्थियों को हटा दिया गया है। मोदी के इस भाषण के थोड़ी ही देर के बाद ये खबर आई कि सीबीआई ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पूछताछ के लिए बुलाया है।

असल में सत्यपाल मलिक ने मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वो जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे तो हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट और ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम के मामले में उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। अब तक सीबीआई ने इस पर कुछ नहीं कहा है। ये सारी जानकारी खुद सत्यपाल मलिक ने दी है। सीबीआई का समन मिलने के बाद उन्होंने ट्वीट किया कि 'जब से मैंने सच बोला है, मुझे समन भेजा गया है, लेकिन मैं किसान का बेटा हूं, मैं नहीं डरूंगा'। ऐसा नहीं है कि उन्हें पूछताछ के लिए पहली बार बुलाया गया है। पिछले साल सितंबर में भी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के केस में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी।

सत्यपाल मलिक की मुश्किल ये है कि उन्होंने इल्जाम तो लगा दिए अब सीबीआई के सवालों का जबाव भी उन्हें देना पड़ेगा। लेकिन सत्यपाल मलिक जनता को इस सवाल का क्या जवाब देंगे कि वो इतने साल के बाद क्यों बोल रहे हैं ? जब पद पर थे और जब उनपर कंपनियों को लाभ दिलाने का दबाव डाला गया, उसी वक्त उन्होंने सारा सच जनता के सामने क्यों नहीं रखा? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 21 अप्रैल, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News