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Hindi News भारत राष्ट्रीय कौन है राकेश किशोर, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की, क्या है हमले की वजह?

कौन है राकेश किशोर, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की, क्या है हमले की वजह?

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ऐसी घटना देखने को मिली जिससे पूरा देश हैरान हो गया है। इस घटना ने भारतीय न्यायपालिका के इतिहास पर एक धब्बा लगा दिया।

सीजेआई बीआर गवई और...- India TV Hindi Image Source : PTI/REPORTER INPUT सीजेआई बीआर गवई और आरोपी वकील

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नियमित सुनवाई उस समय एक भयावह मोड़ ले गई जब शख्स ने भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंका। इस घटना से चीफ जस्टिस को कोई शारीरिक क्षति नहीं हुई, क्योंकि जूता उनके पैर तक ही गया। लेकिन इस घटना ने भारतीय न्यायपालिका के इतिहास पर एक धब्बा लगा दिया। हालांकि इस दौरान जस्टिस गवई पूरी तरह शांत रहे। गवई ने कहा कि उन्हें इस तरह की घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आप लोग अपनी दलीलें जारी रखें।

कौन है आरोपी वकील?

आरोपी पेशे से वकील है। आरोपी शख्स का नाम राकेश किशोर है। वकील राकेश किशोर को कोर्ट स्टाफ ने पकड़ लिया और पुलिस को सौंप दिया। जूता फेंकने की कोशिश से पहले 72 वर्षीय वकील ने चिल्लाते हुए कहा, 'सनातन का अपमान नहीं चलेगा।' पुलिस अधिकारियों के हवाले से मिली रिपोर्टों के अनुसार, राकेश किशोर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के रजिस्टर्ड सदस्य हैं और दिल्ली के मयूर विहार इलाके में रहते हैं। उन्होंने 2009 में दिल्ली बार काउंसिल में नामांकन कराया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता कानूनी बिरादरी में कई बार एसोसिएशनों की अपनी दीर्घकालिक सदस्यता के लिए जाने जाते हैं। राकेश किशोर के पास सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, शाहदरा बार एसोसिएशन और दिल्ली बार काउंसिल के सदस्यता कार्ड मिले।

आरोपी ने चीफ जस्टिस पर क्यों फेंका जूता?

बता दें कि यह घटना मध्य प्रदेश के खजुराहो परिसर में क्षतिग्रस्त विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़ी एक याचिका से संबंधित है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गवई द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी "जाओ और भगवान से पूछो" के कुछ हफ्ते बाद यह घटना हुई।

16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापना के निर्देश देने की मांग वाली एक याचिका खारिज कर दिया था। इस याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने इसे प्रचार हित याचिका करार दिया था। तब चीफ जस्टिस गवई ने कहा था, ''यह पूरी तरह से प्रचार हित याचिका है, जाइए और स्वयं भगवान से कुछ करने के लिए कहिए। यदि आप कह रहे हैं कि आप भगवान विष्णु के प्रबल भक्त हैं तो आप प्रार्थना कीजिए और थोड़ा ध्यान भी कीजिए।''

सीजेआई की इस टिप्पणी पर हिंदूवादी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की थी। सोशल मीडिया पर भी इस पर बहस छिड़ गई थी।

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