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चाणक्य नीति: अच्छे कर्म भी हो जाते हैं बेअसर, अगर ये चीज बीच में ही छोड़ दे साथ

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

Chanakya Niti- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Chanakya Niti - चाणक्य नीति

सुखी जीवन की परिकल्पना हर मनुष्य की होती है। हर कोई चाहता है कि उसके जीवन पर दुख की छाया बिल्कुल भी न पड़ें। उसका हर एक पल सुख से भरा हो। वास्तविक जीवन में मनुष्य की ये कल्पना सिर्फ सोच मात्र है क्योंकि जीवन में सुख और दुख दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। अगर जीवन में सुख है तो दुख भी आएगा और दुख है तो सुख का आना भी निश्चित है। इसी सुखी जीवन को लेकर आचार्य चाणक्य ने कुछ नीतियां और अनुमोल विचार व्यक्ति किए हैं। ये विचार आज के जमाने में भी प्रासांगिक हैं। आचार्य चाणक्य के इसी विचारों में से एक विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार भाग्य के विपरीत होने पर है। 

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 "भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दु:खदायी हो जाता है।"  आचार्य चाणक्य

अपने इस विचार में आचार्य चाणक्य ने भाग्य और कर्म का जिक्र किया है। आचार्य चाणक्य की इन लाइनों का मतलब है कि अगर भाग्य आपने साथ न हो तो अच्छा कर्म भी कष्ट की वजह बन जाता है। यानि कि कई बार मनुष्य अच्छी सोच के साथ कर्म करता है। लेकिन अगर आपका भाग्य आपके साथ नहीं है तो अच्छे कर्म के बावजूद नतीजा खराब ही मिलता है।

चाणक्य नीति: ये है मनुष्य का सबसे बड़ा भय, लग जाए तो जीवन बर्बाद होने में देर नहीं लगती

मनुष्य के जीवन में ऐसे मौके कई बार आते हैं। जब वो अच्छी भावना के साथ अपना कर्म करता है। वो ये कर्म कई बार अपने तो कई बार दूसरों की भलाई को लेकर करता है। हालांकि इन कर्मों का फल उससे उसकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं मिल पाता। उसे इस बात की आशा होती है कि उसने जो भी कर्म किया है उसका नतीजा अच्छा ही होगा। हालांकि होता इसके ठीक उलट है। ऐसा भाग्य के कारण ही होता है। 

इसलिए अगर आप कोई कर्म कर रहे हैं तो उसके अच्छे और बुरे दोनों ही परिणामों के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। अगर आपने आचार्य चाणक्य की इस नीति को अपने जीवन में उतार लिया तो आपका जीवन सुखमय व्यतीत होगा। 

 

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