A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Mohini Ekadashi 2019: खुद श्री कृष्ण ने बताया है मोहिनी एकादशी का महत्व, जाने शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा

Mohini Ekadashi 2019: खुद श्री कृष्ण ने बताया है मोहिनी एकादशी का महत्व, जाने शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा

आज वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और बुधवार का दिन है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। जानें शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजन विधि और व्रत कथा के बारें में।

Mohini Ekadashi- India TV Hindi Mohini Ekadashi

धर्म डेस्क: आज वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और बुधवार का दिन है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के मोह बंधन से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की मिलती है। शास्त्रों के अनुसार प्राचीन समय में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जब इस मंथन में अमृत निकला तो इसे पाने के लिए देवता और दानवों में युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था। मोहिनी रूप में अमृत लेकर देवताओं को इसका सेवन करवाया था।

मोहिनी एकादशी मुहूर्त

एकादशी तिथि का आरंभ- 14 तारीख की दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से।
एकादशी का समापन- 15 तारीख की सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक।
एकादशी का परायण- 16 तारीख की सुबह 8 बजकर 15 मिनट तक।

स्वयं श्रीकृष्ण ने बताया था अर्जुन को इस एकादशी का महत्व
पद्म पुराण में इस बारे में बताया गया है। युधिष्ठिर ने कान्हा से पूछा, भगवन! वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादी का महत्व और फल क्या है? तब श्री कृष्ण ने भगवान राम को याद करते हुए कहा कि यही सवाल भगवान श्रीराम ने क्षेतायुग में महर्षि वशिष्ठ से पूजा था।

ये भी पढ़ें- 15 मई को सूर्य कर रहा है मेष राशि में प्रवेश, 30 दिनों तक रहेगा इन राशियों पर असर

जब उन्होंने कहा था कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिना एकादशी होती है। जो कि सभी पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से वह मनुष्य संसार की मोहमाया से मुक्त हो जाएगा।

एकादशी व्रत पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं।

ये भी पढ़ें- 1 मई को सूर्य कर रहा है कृतिका नक्षत्र में प्रवेश, इन नाम के लोग रहें संभलकर

सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 4 मई, बुधवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।

व्रत के दिन व्रत के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ जहां तक हो सके व्रत के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। भोजन में उसे नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे आपको हजारों सालों की तपस्या के बराबर फल मिलेगा।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा
सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का नगर था। वहां धृतिमान नाम का राजा राज्य करता था। उसी नगर में एक बनिया रहता था, उसका नाम था धनपाल। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था। उसके पांच पुत्र थे- सुमना, द्युतिमान, मेधावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि। धृष्टबुद्धि सदा पाप कर्म में लिप्त रहता था। अन्याय के मार्ग पर चलकर वह अपने पिता का धन बरबाद किया करता था।

एक दिन उसके पिता ने तंग आकर उसे घर से निकाल दिया और वह दर-दर भटकने लगा। भटकते हुए भूख-प्यास से व्याकुल वह महर्षि कौंडिन्य के आश्रम जा पहुंचा और हाथ जोड़ कर बोला कि मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य प्रभाव से मेरी मुक्ति हो। तब महर्षि कौंडिन्य ने उसे वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी के बारे में बताया। मोहिनी एकादशी के महत्व को सुनकर धृष्टबुद्धि ने विधिपूर्वक मोहिनी एकादशी का व्रत किया।

इस व्रत को करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर बैठकर श्री विष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत उत्तम है।

Latest Lifestyle News