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Shani Jayanti 2022 : जानिए कब है शनि जयंती? इस विधि-विधान से पूजा करके शनिदेव को करें प्रसन्न

Shani Jayanti 2022 : आइए जानते हैं शनि जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

Shani Jayanti 2022- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/ MY_LOVE_GANESHA Shani Jayanti 2022

Highlights

  • शनि जयंती ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है
  • इस बार शनि जयंती 30 मई 2022 को पड़ रही है।

Shani Jayanti 2022 : शनि जयंती ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस बार शनि जयंती 30 मई 2022 को पड़ रही है। इस दिन स्नान-दान और श्राद्ध आदि का बहुत महत्व है। माना जाता है अमावस्या के दिन भगवान शनि का जन्‍म हुआ था। जिसके कारण इस दिन को जयंती के रूप में मनाया जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। इसलिए इस दिन शनिदेव की श्रद्धा पूर्वक और विधिवत पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं शनि जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

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शनि जयंती का शुभ मुहूर्त

  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 29 मई 2022 को 14.54 मिनट पर शुरू
  • अमावस्या तिथि समाप्त – 30 मई 2022 को 16.59 मिनट पर होगा
  • पंचाग के अनुसार इस बार शनि जयंती 30 मई 2022 दिन सोमवार को है। 

शनि देव की पूजा विधि

शनि जयंती के दिन कई लोग व्रत उपवास भी करते हैं। ऐसे में उपवास करने वाले लोगों को विधिवपूर्वक पूजा करनी चाहिए। इसके लिए साफ लकड़ी की चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर शनिदेव की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद शनि देव को पंचामृत और इत्र से स्नान करवाने के बाद कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल, नीले या काले फूल अर्पित करें। इसके सात ही तेल से बनें पकवान अर्पित करें। इसके बाद भगवान शनि मंत्र की माला का जाप करना चाहिए। 

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शनि देव के मंत्र

  1. ॐ शं शनैश्चराय नमः"
  2. "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
  3.  "ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।"

कथा

शनि जन्म के संदर्भ में स्कंदपुराण के काशीकंड में एक कथा मिलती है। जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। कुछ समय बाद उन्हें तीन संतानों के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ रिश्ता निभाने की कोशिश की, लेकिन संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं। इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया संवर्णा को पति सूर्य की सेवा में छोड़कर वहां से चली चली गईं। संज्ञा ने अपनी छाया संवर्णा से कहा कि अब से मेरी जगह तुम सूर्यदेव की सेवा और बच्चों का पालन करते हुए नारीधर्म का पालन करोगी लेकिन यह राज सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच ही बना रहना चाहिये।

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