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Hindi News पैसा बिज़नेस केंद्र का राजकोषीय घाटा मई अंत तक 1.23 लाख करोड़ रुपए, वार्षिक लक्ष्य का 8.2 प्रतिशत

केंद्र का राजकोषीय घाटा मई अंत तक 1.23 लाख करोड़ रुपए, वार्षिक लक्ष्य का 8.2 प्रतिशत

सीजीए के आंकड़े के मुताबिक केंद्र को मई, 2021 में कुल 3,54,787 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ जो 2021-22 के बजट अनुमानों का 17.95 प्रतिशत है। 

<p>राजकोषीय घाटा मई अंत...- India TV Paisa Image Source : PTI राजकोषीय घाटा मई अंत तक 1.23 लाख करोड़ रुपए

नई दिल्ली। महालेख नियंत्रक (सीजीए) द्वारी जारी आंकड़े के मुताबिक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा इस साल मई महीने की समाप्ति पर 1.23 लाख करोड़ रुपए या पूरे साल के बजट अनुमान का 8.2 प्रतिशत था। मई, 2020 की समाप्ति पर राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमानों का 58.6 प्रतिशत था। समग्र रूप में मई 2021 की समाप्ति पर राजकोषीय घाटा 1,23,174 करोड़ रुपए था। सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 की समाप्ति पर राजकोषीय घाटा 15,06,812 करोड़ रुपए या जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा या व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 प्रतिशत था। यह फरवरी में पेश किए बजट के संशोधित बजट अनुमान के 9.5 प्रतिशत से कम रहा जो राजकोषीय स्थिति में सुधार का परिणाम रहा। सीजीए के आंकड़े के मुताबिक केंद्र को मई, 2021 में कुल 3,54,787 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ जो 2021-22 के बजट अनुमानों का 17.95 प्रतिशत है। इसमें 2.33 लाख करोड़ रुपए कर राजस्व (केंद्र का शुद्ध हिस्सा), 1.16 लाख करोड़ रुपए का गैर कर राजस्व और 4,810 करोड़ रुपए का गैर कर्ज पूंजीगत राजस्व शामिल हैं। गैर कर्ज पूंजी राजस्व में 815 करोड़ रुपए के कर्ज की वसूली और 3,995 करोड़ रुपए की विनिवेश आय शामिल हैं। 

पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में इसी अवधि में प्राप्तियां बजट अनुमान का दो प्रतिशत थीं। सीजीए की रिपोर्ट के अनुसार मई तक सरकार ने करों में राज्यों को हिस्से के रूप में 78,349 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए । पिछले साल इसी अविधि में इस मद में हस्तांतरण मात्र 13,728 करोड़ रुपये का हुआ था। इस दौरान केंद्र का कुल व्यय 4,77,961 करोड़ रुपए (बजट अनुमानों का 13.72 प्रतिशत) हुआ। जिसमें से 4.15 लाख करोड़ रुपए राजस्व खाते और 62,961 करोड़ रुपए पूंजी खाते से व्यय किया गया है। कुल राजस्व व्यय में से 88,573 करोड़ रुपए का इस्तेमाल ब्याज का भुगतान और 62,664 करोड़ रुपए प्रमुख सब्सिडी देने के लिए किया गया। 

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