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चीनी उद्योग पर जानिए कैसे असर डालेगा 'अफगान संकट'?

पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से होटल और रेस्तरां बंद होने के कारण चीनी की खपत में गिरावट आई है।

<p>चीनी उद्योग पर जानिए...- India TV Paisa Image Source : PIXABAY चीनी उद्योग पर जानिए कैसे असर डालेगा 'अफगान संकट'?

नयी दिल्ली। अफगानिस्तान में जारी संकट के चलते इस साल देश का चीनी निर्यात प्रभावित हो सकता है। अफगानिस्तान की स्थिाति को देखते हुए निर्यातक दुनिया के दूसरे देशों में खरीदार तलाश रहे हैं। सरकार ने मंगलवार को कहा कि चीनी मिलों ने इस महीने से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2021-22 में अब तक 18 लाख टन चीनी निर्यात का अनुबंध किया है तथा चीनी उद्योग की कंपनियों को अधिशेष स्टॉक को समाप्त करने के लिए कम से कम 60 लाख टन का निर्यात करने को कहा गया है। 

भारत ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक देश है। सरकार के अनुसार अफगानिस्तान भारतीय चीनी का प्रमुख खरीदार रहा है। लेकिन वहां मौजूदा संकट को देखते हुए चीनी मिलों को नए निर्यात गंतव्यों का पता लगाने के लिए कहा गया है। सरकार के अनुसार अफगानिस्तान में घरेलू अस्थिरता के कारण वहां निर्यात प्रभावित हो सकता है। अफगानिस्तान भारतीय चीनी निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्यों में से एक है। यहां सालाना लगभग 6,00,000-7,00,000 टन चीनी का निर्यात किया जाता है। बीते साल भारत ने जहां 70 लाख टन चीनी का ​निर्यात किया। इसमें लगभग 13 प्रतिशत हिस्सेदारी अफगानिस्तान की रही है। इसके अलावा भारत ने बीते साल श्रीलंका को 5-6 लाख टन निर्यात किया था। 

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कोरोना में होटल बंद होने से घटी खपत

अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि भारत पिछले चार विपणन वर्षों से अधिशेष चीनी का उत्पादन कर रहा है, जबकि पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से होटल और रेस्तरां बंद होने के कारण खपत में गिरावट आई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार की नीति ने चीनी क्षेत्र को भारतीय बाजार और विदेशों में अपनी स्थिति को फिर से परिभाषित करने में मदद की है। 

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बीते साल किया 72 लाख टन चीनी का निर्यात 

पांडेय ने कहा कि भारत ने विपणन वर्ष 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में विभिन्न देशों को 72 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड निर्यात किया। उन्होंने कहा कि कुल निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत का निर्यात श्रीलंका, इंडोनेशिया और अफगानिस्तान को किया गया। पांडेये ने कहा, ‘‘हम सभी निर्यात के लिए नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं। निर्यात के लगभग 18 लाख टन के अनुबंधों का क्रियान्वयन किया गया है।’’ 

थाईलैंड से मिल रही है टक्कर

भारत को विपणन वर्ष 2021-22 में इंडोनेशिया को अपनी चीनी निर्यात करने में थाइलैंड से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में अस्थिरता वहां होने वाले निर्यात को प्रभावित कर सकती है।’’ उन्होंने कहा कि श्रीलंका भी विदेशी मुद्रा की कमी का सामना कर रहा है। पांडेय ने सुझाव दिया कि उद्योग को एक नई व्यवस्था करनी पड़ सकती है ताकि वह श्रीलंका को चीनी निर्यात कर सके। 

एथेनॉल के लिए 25 लाख टन चीनी का आवंटन 

अधिशेष स्टॉक से निपटने के लिए, सचिव ने कहा कि लगभग 25 लाख टन चीनी को पेट्रोल के साथ मिश्रित किये जाने वाले एथनॉल के विनिर्माण के लिए हस्तांतरित किया जाए। पांडेय ने कहा कि वर्ष 2023 तक, 60 लाख टन चीनी का इस्तेमाल एथनॉल के लिए किए जाने का लक्ष्य है। कोविड ​​​​महामारी, जलवायु परिवर्तन और तनावों को प्रमुख चुनौतियां बताते हुए, सचिव ने कहा कि सस्ती दरों पर चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। पांडेय ने आश्वासन दिया, ‘‘सरकार इस क्षेत्र का समर्थन जारी रखेगी ताकि यह क्षेत्र अपनी लाभप्रदता बनाए रखे।’’ 

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