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Hindi News पैसा बिज़नेस नितिन गडकरी ने दी राहत भरी खबर, ऑटो कंपनियों से अगले एक साल में फ्लेक्‍स-फ्यूल वाहन पेश करने को कहा

नितिन गडकरी ने दी राहत भरी खबर, ऑटो कंपनियों से अगले एक साल में फ्लेक्‍स-फ्यूल वाहन पेश करने को कहा

सभी निजी वाहन विनिर्माताओं से वाहन के सभी मॉडल और श्रेणियों में कम से कम 6 एयरबैग अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की अपील

Nitin Gadkari says to auto makers Focus on rollout of flex-fuel vehicles in a year- India TV Paisa Image Source : NITINGADKARI@TWITTER Nitin Gadkari says to auto makers Focus on rollout of flex-fuel vehicles in a year

नई दिल्‍ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एक साल के भीतर देश के वाहन बाजार में फ्लेक्स फ्यूल यानी वैकल्पिक ईंधन से चलने वाली गाड़ियां पेश करने पर जोर दिया। उन्होंने वाहन बनाने वाली कंपनियों से वाहनों के सभी मॉडल में न्यूनतम छह एयरबैग अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की भी अपील की।

मंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि सियाम (सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबइल मैन्युफैक्चरर्स) के सीईओ के प्रतिनिधियों के साथ आज नई दिल्ली में बैठक की। बैठक में देश के वाहन बाजार में एक साल के भीतर शत प्रतिशत एथेनॉल और पेट्रोल पर चलने में सक्षम ‘फ्लेक्स फ्यूल’ वाहन (एफएफवी) पेश करने को कहा।

उन्होंने कहा कि यात्री सुरक्षा के हित में, मैंने सभी निजी वाहन विनिर्माताओं से वाहन के सभी मॉडल और श्रेणियों में कम से कम 6 एयरबैग अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने की अपील की है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्री ने सोसायटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स से जुड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। बैठक में निजी, वाणिज्यिक और दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियां शामिल थीं।

बयान के अनुसार प्रतिनिधमंडल ने बैठक में वाहन उद्योग की स्थिति के बारे में जानकारी दी और बीएस चरण-2 समेत उत्सर्जन आधारित नियमन को आगे बढ़ाए जाने का आग्रह किया। बयान के मुताबिक मंत्री ने ओईएम को व्‍हीकल-इंजीनियरिंग के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन के लिए बधाई भी दी।

कैसे करता है फ्लेक्स इंजन काम

इस इंजन में एक तरह के ईंधन मिश्रण सेंसर यानि फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का इस्तेमाल होता है।  यह मिश्रण में ईंधन की मात्रा के अनुसार खुद को अनुकूलित करता है। ये सेंसर एथेनॉल/ मेथनॉल/ गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को रीड करता है। इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को एक संकेत भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है। फ्लेक्स इंजन वाली गाड़ियां बाय-फ्यूल इंजन वाली गाड़ियों से काफी अलग होती हैं। बाय-फ्यूल इंजन में अलग-अलग टैंक होते हैं, जबकि फ्लेक्स फ्यूल इंजन में आप एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल डाल सकते हैं। यह इंजन खास तरीके से डिजाइन किए जाते हैं।

विदेशों में चलती हैं ऐसी गाड़ियां

फ्लेक्स इंजन वाली कार में इथेनॉल के साथ गैसोलीन का इस्तेमाल हो सकता है और मेथनॉल के साथ गैसोलीन का इस्तेमाल हो सकता है। इसमें इंजन अपने हिसाब से इसे डिजाइन कर लेता है। फिलहाल ज्यादातर इसमें इथेनॉल का इस्तेमाल होता है। ब्राजील, अमेरिका, कनाडा और यूरोप में ऐसी कारें काफी चलती हैं।

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