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समलैंगिक विवाह को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बना नेपाल, जानें पूरा मामला

भारत का पड़ोसी नेपाल समलैंगिक विवाह को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बन गया है। नेपाल ने बुधवार को देश के पहले समलैंगिक विवाह को आधिकारिक रूप से पंजीकृत किया है। इसके बाद तीसरे समुदाय के लोगों में जश्न का माहौल है।

समलैंगिक विवाह को नेपाल में मिली आधिकारिक मान्यता।- India TV Hindi Image Source : PTI समलैंगिक विवाह को नेपाल में मिली आधिकारिक मान्यता।

नेपाल आधिकारिक तौर पर समलैंगिक विवाह को पंजीकृत करने वाला (मान्यता देने वाला) दक्षिण एशिया का पहला देश बन गया है। नेपाल में 2015 में अपनाए गए संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यौन अभिविन्यास के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। नेपाल की सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे वैध बनाने के पांच महीने बाद अब सरकार ने बुधवार को औपचारिक रूप से समलैंगिक विवाह का पहला मामला पंजीकृत किया। ऐसे में वह ऐसा करने वाला पहला दक्षिण एशियाई देश बन गया। 

ब्लू डायमंड सोसाइटी के अध्यक्ष संजीब गुरुंग (पिंकी) के अनुसार, 35 वर्षीय ट्रांस-महिला माया गुरुंग और 27 वर्षीय समलैंगिक सुरेंद्र पांडे ने कानूनी रूप से शादी कर ली और उनकी शादी पश्चिमी नेपाल के लामजंग जिले के डोरडी ग्रामीण नगर पालिका में पंजीकृत की गई। नेपाल में यौन अल्पसंख्यकों के अधिकारों और कल्याण के लिए काम करने वाला संगठन की अपील पर 2007 में ही नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह की अनुमति दे दी थी।

नेपाल के संविधान क्या कहता है

वर्ष 2015 में अपनाए गए नेपाल के संविधान में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यौन रुझान के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा 27 जून, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुंग सहित कई लोगों द्वारा दायर एक रिट याचिका में नेपाल में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया, लेकिन समलैंगिक विवाह को अस्थायी रूप से पंजीकृत करने के ऐतिहासिक आदेश के बावजूद, काठमांडू जिला न्यायालय ने चार महीने पहले आवश्यक कानूनों की कमी का हवाला देते हुए इस कदम को खारिज कर दिया था। सुरेंद्र पांडे और माया की शादी की अर्जी उस समय खारिज कर दी गई थी। पिंकी ने कहा, ''इसके बारे में जानकर बहुत खुशी हुई। यह हमारे, नेपाल के तीसरे लिंग समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।'' "यह न केवल नेपाल में बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में पहला मामला है और हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।"

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