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Hindi News हेल्थ क्या है ADHD जिसका बच्चे हो रहे शिकार? जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय

क्या है ADHD जिसका बच्चे हो रहे शिकार? जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय

ADHD का मतलब है अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर, यह समस्या ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है। आइए जानते हैं क्या है इसके लक्षण और बचाव के उपाय

क्या है ADHD? - India TV Hindi Image Source : SOCIAL क्या है ADHD?

अगर कोई बच्चा जल्दी किसी से बात नहीं कर पा रहा है, किसी भी चीज़ें पढाई चाहे खेल में एकाग्र नहीं हो पा रहा हैं और अपनी ही बातों को लेकर कंफ्यूज रहता है तो उसे कम दिमाग वाला या मंदबुद्धि समझने की गलती न करें। दरअसल, यह एक गंभीर बीमारी का लक्षण है। इस बीमारी को एडल्ट अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी (ADHD) कहते हैं। हाल ही में की गई स्टडी के मुताबिक, भारत में तकरीबन 1.6% से 12.2 % तक बच्चों में ADHD की समस्या होती है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ADHD कितनी गंभीर हो सकती है है और इसे कैसे ठीक किया जाए।

ADHD क्या है?

अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर यानी की ADHD  एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है। जो बच्चों के दिमाग और नर्वस सिस्टम के डेवलपमेंट को बुरी तरह से प्रभावित करता है जिसकी वजह से दिमाग स्लो काम करता है। इसकी चपेट में आने पर कई समस्याएं लगातार देखने को मिलती हैं। इस डिसऑर्डर से ज़्यादातर बच्चे ग्रसित होते हैं।  हालांकि, कभी-कभी एडल्ट लोगों में भी यह समस्या देखी जाती है, जिसे एडल्ट एडीएचडी कहा जाता है।

ADHD के क्या लक्षण हैं?

  • किसी चीज पर फोकस करने में परेशानी
  • गुस्सा, चिड़चिड़ापन, बेचैनी
  • ध्यान केंद्रित न कर पाना 
  • अक्सर कंफ्यूज रहना 
  • किसी भी प्लानिंग में परेशानी
  • बार-बार मूड बदलना
  • कोई भी बात तुरंत भूलना 
  • आसानी से व्याकुल होना 
  • एक जगह बैठने में समस्या होना

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 ADHD के क्या कारण हैं? 

जेनेटिक यानी अनुवांशिक, खानपान के सही न होने से, दिमागी चोट। जन्म के बाद मस्तिष्क का ठीक से विकास न हो पाना। बच्चे का जन्म से पहले डिलीवरी होना। जन्म के समय कम वजन का होना। बच्चे को मिर्गी के दौरे का आना। अगर परिवार में पहले किसी को एडीएचडी की समस्या है तो बच्चे को लाजमी होना।

ADHD का इलाज क्या है? 

बच्चे से लगातार बातचीत करें। बच्चे को टॉकिंग थेरेपी दिलाएं।  उनकी रेगुलर एक्टिविटी पर फोकस करें। उनकी डेली रूटीन की लिस्ट पहले ही बना लें।अपने बच्चे की पसंद की तारीफ करें । बच्चे से क्रिएटिव काम कराएं। बच्चों की काउंसलिंग कराएं।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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