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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: प्रदर्शनकारी किसानों के बीच राष्ट्रविरोधी तत्वों ने कैसे की घुसपैठ

Rajat Sharma’s Blog: प्रदर्शनकारी किसानों के बीच राष्ट्रविरोधी तत्वों ने कैसे की घुसपैठ

किसान नेताओं को समझना होगा कि जब तक इस तरह के राष्ट्रविरोधी तत्व अपने स्वार्थ के चलते किसानों के बीच मौजूद हैं, तब तक कोई रास्ता नहीं निकलेगा।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Farm Bills, Rajat Sharma Blog on Farmers- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

दिल्ली में जारी किसानों के आंदोलन के 16वें दिन तक पहुंचते-पहुंचते एक बेहद ही चिंताजनक पहलू सामने आया है। किसानों के इस आंदोलन में राष्ट्रविरोधी तत्वों की घुसपैठ हो चुकी है। गुरुवार रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने पंजाब के कुछ किसानों का एक वीडियो दिखाया जिसमें शरजील इमाम, उमर खालिद, खालिद सैफी और एल्गार परिषद के ऐक्टिविस्ट्स की रिहाई की मांग की गई थी। ये सभी 'टुकडे-टुकडे' गैंग का हिस्सा हैं और इस समय कस्टडी में हैं।

शरजील इमाम JNU का एक ऐक्टिविस्ट है जिसके ऊपर कम से कम 5 राज्य सरकारों ने सांप्रदायिक, अलगाववादी और भड़काऊ भाषण देने के मामले दर्ज किए हैं जिनके चलते दिल्ली में दंगे हुए थे। शरजील इमाम ने शाहीन बाग आंदोलन के दौरान राष्ट्रविरोधी तत्वों को इकट्ठा किया था और इस साल के दिल्ली दंगों के दौरान दंगाइयों के साथ मिलकर साजिश रची थी।

उमर खालिद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का एक जाना-माना छात्र नेता है और उसके ऊपर इस साल की शुरुआत में दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने का आरोप है। वह इस समय जेल में है। उमर खालिद ने कश्मीरी अलगाववादियों अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की फांसी का भी विरोध किया था। ये वही उमर खालिद है जिसने JNU में उस रैली को आयोजित किया था जिसमें ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे नारे लगाए थे। ये ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग का सरदार है। खालिद सैफी दिल्ली में हुए दंगों का एक अन्य आरोपी है और फिलहाल जमानत पर बाहर है।

गुरुवार को जब शुरू में मैंने ये वीडियो देखा तो मुझे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। महिला किसान, जिनमें से अधिकांश ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ से ताल्लुक रखने वाले इन लोगों के पोस्टर कैसे लहरा सकती हैं? मैंने अपने रिपोर्टर्स को इसकी हकीकत पता लगाने को कहा और फिर इस बात की पुष्टि हो गई कि किसानों के हाथों में वाकई में ये पोस्टर्स थे और वे इन लोगों की रिहाई की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे।

भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) ने दिल्ली की टिकरी सीमा पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाने के लिए इस रैली को आयोजित किया था। वे एल्गार परिषद के गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज जैसे ‘अर्बन नक्सल’ नेताओं की रिहाई की मांग कर रहे थे, जिनमें से अधिकांश देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में जेल में हैं।

मुझे नहीं लगता कि पंजाब के किसान इन कट्टरपंथी नेताओं की करतूतों के बारे में जानते हैं। आमतौर पर किसान ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों की गतिविधियों के बारे में ज्यादा नहीं जानते जो सांप्रदायिक नफरत, माओवादी उग्रवाद और अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने की कोशिश करते हैं। पंजाब के इन किसानों को इन राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा आसानी से यह कहकर बहकाया जा सकता है कि इन लोगों को सरकार ने ‘झूठे केसों’ में जेल में डाल रखा है।

अभी तक हम सिर्फ बीजेपी के नेता ये आरोप लगा रहे थे कि किसानों के आंदोलन को राष्ट्रविरोधी तत्वों ने हाइजैक कर लिया है, लेकिन वीडियो देखने के बाद किसी को भी यकीन हो जाएगा कि ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग के लोग अब किसानों के बीच घुस चुके हैं। किसानों के मंच से शरजील इमाम और उमर खालिद को रिहा करने की मांग को लेकर नारे लगाए गए।

'आज की बात' शो में हमने किसान नेता दर्शनपाल सिंह को इन अलगाववादियों के समर्थन में बोलते हुए दिखाया था। जब हमने यह वीडियो यूपी भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को दिखाया, तो उन्होंने यह बात मानी कि किसानों को अबसे ऐसे असामाजिक और राष्ट्रविरोधी तत्वों से बचना होगा जो उनके बीच घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को किसानों के मंच का दुरुपयोग करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

भारत के अधिकांश लोगों की सहानुभूति अपनी जमीनों और फसलों पर खुद के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहे किसानों के साथ है। उनकी सहानुभूति किसानों के साथ इसलिए है क्योंकि वे दिल्ली की भीषण ठंड में खुले में डेरा डाले हुए हैं। कोई नहीं चाहता कि हमारे अन्नदाता सड़कों पर खुले में बैठे रहें और यूं ही दिक्कतें झेलते रहें। अधिकांश लोग चाहते हैं कि केंद्र सरकार किसानों की जायज मांगों को मान ले, लेकिन यदि राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी तत्व उनके बीच में घुसते हैं तो किसानों के प्रति देश की जनता की सहानुभूति खत्म हो जाएगी।

मेरा मानना है कि किसानों के बीच में हर तरह के एलिमेंट घुस गए हैं, जो अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। उनमें से कुछ राहुल गांधी का गुणगान कर रहे हैं, तो कुछ अडानी और अंबानी की कंपनियों के उत्पादों और सेवाओं के बॉयकॉट का नारा लगा रहे हैं, तो कुछ ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ और ‘अर्बन नक्सल्स’ के समर्थन में अपना प्रॉपेगेंडा फैला रहे हैं। किसान नेताओं को समझना होगा कि जब तक इस तरह के राष्ट्रविरोधी तत्व अपने स्वार्थ के चलते किसानों के बीच मौजूद हैं, तब तक कोई रास्ता नहीं निकलेगा। मैं उम्मीद करता हूं कि पंजाब के किसान नेता, राकेश टिकैत जैसे नेताओं की सलाह पर गौर करेंगे और अपने बीच घुसपैठ करने वाले सभी राष्ट्रविरोधी तत्वों को बाहर का रास्ता दिखाएंगे। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 10 दिसंबर, 2020 का पूरा एपिसोड

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