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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog | बीरभूम नरसंहार: न्याय न सिर्फ हो, बल्कि होता हुआ दिखाई भी दे

Rajat Sharma’s Blog | बीरभूम नरसंहार: न्याय न सिर्फ हो, बल्कि होता हुआ दिखाई भी दे

कुछ चश्मदीदों ने बताया कि मौके पर पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन उसने भीड़ को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।

Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Birbhum carnage, Rajat Sharma on Birbhum- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट के पास स्थित बोगटुई गांव में सोमवार की रात 50 से 60 ग्रामीणों की हिंसक भीड़ ने कई घरों पर पत्थर, बम और गोलियां बरसाई और फिर उन्हें आग लगा दी। यह हमला तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता की कई घंटे पहले हुई हत्या के बाद किया गया। आग की चपेट में आने से 8 लोगों की झुलस कर मौत हो गई।

पहले तो तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि आग बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण लगी , लेकिन जैसे ही नरसंहार का भयानक सच दुनिया के सामने आया, सत्तारूढ़ दल मुश्किल में फंस गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, मोटरसाइकिलों पर सवार 10 से 12 लोगों ने बरशाल ग्राम पंचायत के उपप्रधान और तृणमूल नेता भादु शेख पर बम से हमला किया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। भादु शेख बोगटुई पश्चिम पाड़ा (बोगटुई गांव के पश्चिमी हिस्से) का रहने वाला था, और उसपर हमला करने वाले लोग बोगटुई पूरब पाड़ा (बोगटुई गांव के पूर्वी हिस्से) में रहते थे। हत्या के तुरंत बाद भीड़ ने बोगटुई पूरब पाड़ा पर धावा बोल दिया और रात करीब 10:30 बजे एक लाइन से 10 घरों में आग लगा दी। जलते हुए घरों में कई लोग फंस गए और भीड़ ने इन लोगों को भागने का कोई मौका नहीं दिया।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पुलिस जांच की बात कहकर इस हत्याकांड पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। यह एक दिल दहलाने वाली घटना थी, लेकिन इसके बाद ममता बनर्जी ने जो कहा वह और भी ज्यादा डराने वाला है। बंगाल के बीजेपी सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह के सामने पूरे वाकये के बारे में जानकारी दी थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने जैसे ही मामले का संज्ञान लिया और अदिकारियों का एक दल भेजने का फैसला किया, तो ममता बनर्जी ने बुधवार को बीजेपी पर तुरंत हमला बोल दिया।

ममता बनर्जी ने कहा, ‘यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी। मैं बीरभूम हिंसा का बचाव नहीं कर रही, लेकिन इस तरह की घटनाएं उत्तर प्रदेश, गुजरत, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में अक्सर हुआ करती हैं। तब क्यों लोग शोर-शराबा नहीं करते? लोग सिर्फ बंगाल को ही बदनाम करने के लिए क्यों आतुर रहते हैं?’ मुख्यमंत्री ने इस तरह की प्रतिक्रिया क्यों दी?

घटनास्थल पर मौजूद शव इतनी बुरी तरह जल चुके थे कि उनकी पहचान नामुमकिन थी। क्राइम सीन से पुलिसवालों को जली हुई लाशों के अवशेष ले जाते देख रोंगटे खड़े हो गए। जब आग फैल गई तो उन लोगों को बचने का कोई रास्ता नहीं मिला, ऐसे में वे आपस में लिपट गए। जब आग ने उनके घर को अपनी चपेट में लिया तो दो लोगों द्वारा खुद को बचाने के लिए एक-दूसरे से लिपट जाने का दृश्य दिल दहलाने वाला था। यह इंसान नहीं बल्कि हैवानों द्वारा किया गया एक पाशविक और भयावह कृत्य था।

कुछ चश्मदीदों ने बताया कि मौके पर पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन उसने भीड़ को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। जब भीड़ ने घरों को आग के हवाले कर दिया तो अंदर फंसी महिलाएं और बच्चे चिल्ला-चिल्लाकर मदद की गुहार लगाने लगे, लेकिन कोई आगे नहीं आया। यहां तक कि भीड़ ने पीड़ितों को बचाने के लिए आई फायर ब्रिगेड के क्मचारियों को भी कुछ नहीं करने दिया। एक घंटे से भी ज्यादा का वक्त बीतने के बाद जब आग बुझ कई और सारे घर जलकर खाक हो गए, तब जाकर दमकलकर्मी आगे बढ़े। तब तक आग की गर्मी से छत पर लगा पंखा भी पिघल कर गिर चुका था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नरसंहार पर दुख व्यक्त किया। एक के बाद एक कई ट्वीट्स करते हुए मोदी ने कहा, ' मैं पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसक वारदात पर दुःख व्यक्त करता हूं, अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं आशा करता हूं कि राज्य सरकार, बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी। मैं बंगाल के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि ऐसी वारदात को अंजाम देने वालों को, ऐसे अपराधियों का हौसला बढ़ाने वालों को कभी माफ न करें। केंद्र सरकार की तरफ से मैं राज्य को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाने में जो भी मदद वो चाहेगी, भारत सरकार मुहैया कराएगी।'

प्रधानमंत्री मोदी की बात सही है। इस तरह का अपराध करने वालों को जितनी कड़ी से कड़ी सजा हो, जल्द से जल्द मिलनी चाहिए। लेकिन मुश्किल यह है कि ममता बनर्जी की सरकार इस वारदात को आम अपराध की तरह ही देख रही हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए CBI जांच की अर्जी को खारिज कर दिया और विशेष जांच दल (SIT) को केस डायरी एवं अन्य दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को जिला जज की निगरानी में गांव में तत्काल सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL), दिल्ली को क्राइम सीन का दौरा करने और जल्द से जल्द सबूत इकट्ठा करने का निर्देश दिया। अदालत ने DGP और IGP को सभी गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि उन्हें कोई धमका या प्रभावित न कर सके।

मामले की गंभीरता को समझते हुए ममता बनर्जी ने वरिष्ठ अधिकारियों और अपने विश्वस्त मंत्री फिरहाद हकीम को उस गांव में भेजा। जब फरहाद हकीम बोगटुई गांव पहुंचे, तो वहां की महिलाओं ने उन्हें घेर लिया। महिलाओं ने उनसे पुलिस के रवैये की शिकायत करते हुए कहा कि आरोपी तो भाग चुके हैं, और पुलिस ने पीड़ितों के रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया है। महिलाओं ने बताया कि उनके घर के लोगों को कैसे खौफनाक तरीके से मार डाला गया।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार द्वारा घटना के बारे में पूरी जानकारी भेजने से इनकार करने से नाराज होकर आरोप लगाया कि राज्य 'राजनीतिक हत्याओं और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए एक प्रयोगशाला' बन गया है। उन्होंने कहा, 'मैं परेशान हूं, चिंतित हूं, जिस भयानक और बेरहम तरीके से बेगुनाहों को मारा गया, वह बेहद चिंताजनक है।'

ममता बनर्जी ने तुरंत राज्यपाल पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘लाट साहब’ ( अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान गवर्नर के लिए 'लाट' शब्द का इस्तेमाल किया जाता था) कहा। उन्होंने कहा, ‘यहां एक लाट साहब हैं, जिनके लिए बंगाल में सब कुछ खराब है।’ उन्होंने पीड़ितों से मिलने के लिए मौके पर गए बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल पर भी निशाना साधा। ममता ने आरोप लगाया कि कुछ बीजेपी नेता गांव पहुंचने से पहले स्थानीय मिष्टान्न का स्वाद लेने के लिए एक मिठाई की दुकान पर रुके थे। उन्होंने कहा, ‘मैंने स्थानीय थाना प्रभारी, अनुमंडल पुलिस अधिकारी को हटा दिया है। मैंने वहां DGP को भेजा है, मैंने अपने नेताओं फिरहाद हकीम, अनुब्रत मंडल और आशीष बनर्जी को भी वहां भेजा है। सबको न्याय मिलेगा।’

ममता भले ही सही कह रही हों, लेकिन बीरभूम के लोगों को ममता की बात पर यकीन नहीं हो रहा, उनका भरोसा टूट गया है। बदले की कार्रवाई के डर से बोगटुई और आसास के गावों के तमाम लोग पहले ही थोड़े-बहुत सामान के साथ घर छोड़कर भाग चुके हैं। गांव के लाग रिक्शे पर सामान लादकर निकलते देखे गए। बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने कहा, पूरा बोगटुई अब खाली है क्योंकि सभी गांव वाले जा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आसपास के गांवों में रहने वाले लोग भी सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।

ममता बनर्जी जब विपक्ष में थीं तो हिंसा की हर घटना के लिए लेफ्ट फ्रंट को जिम्मेदार ठहराती थीं। लेकिन अब 11 साल से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है, वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं, फिर भी विक्टिम कार्ड खेल रही हैं और बीजेपी पर अपनी सरकार को ‘बदनाम’ करने का इल्जाम लगा रही हैं।

एक मुख्यमंत्री के रूप में, बंगाल के लोग ममता बनर्जी से अपेक्षा करते हैं कि वह पीड़ित परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करें। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की, जबकि विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने CBI जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया है कि हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों के बाद बंगाल में राजनीतिक हिंसा बढ़ी है, जबकि लेफ्ट फ्रंट के नेता बिमान बोस ने एसआईटी जांच को ‘एक धोखा’ बताया है।

मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि पश्चिम बंगाल की निर्वाचित सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए या फिर SIT एक धोखा है। बीरभूम में हुए शर्मनाक नरसंहार की साफ शब्दों में निंदा करने की आवश्यकता है। यह सच है कि ममता बनर्जी ने कार्रवाई करने में देर नहीं की, लेकिन अगर कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर ममता बनर्जी का रिकॉर्ड बेदाग रहा होता, तो यह मुद्दा इतना बड़ा रूप न लेता। विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की प्रचंड जीत के बाद उनकी पार्टी के समर्थकों ने बीजेपी समर्थकों की हत्या की, उनके घर जलाए गए, औरतों के साथ रेप किया गया। बीजेपी का समर्थन करने वाले सैकड़ों परिवारों को पश्चिम बंगाल से पलायन करके पड़ोसी राज्यों में शरण लेनी पड़ी।

उस वक्त पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने तक राज्य की कानून व्यवस्था का जिम्मा चुनाव आयोग के पास था। लेकिन अब ममता बनर्जी की पुलिस और प्रशासन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उनके पुलिस अफसरों और नौकरशाहों की नीयत पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसलिए इस मामले पर इतनी सियासत हो रही है।

जरा कल्पना कीजिए कि अगर किसी बीजेपी शासित राज्य में 8 मुसलमानों को जिंदा जला दिया गया होता तो कितना बवाल होता? पूरे देश में इस्लामिक संगठन उठ खड़े होते मुसलमानों पर जुल्म की बात होती। ये खबर न्यूयॉर्क टाइम्स में हेडलाइन बनती। मोदी को मुसलमानों का दुश्मन, ‘मौत का सौदागर’ करार दे दिया जाता। लेकिन ममता बनर्जी से ये सवाल किसी ने नहीं पूछा क्योंकि उन्हें मुसलमानों का हितैषी माना जाता है।

अब यह ममता बनर्जी की जिम्मेदारी है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई करें और दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलवाएं। जैसा कि 1924 के ऐतिहासिक फैसले में इंग्लैंड के चीफ जस्टिस लॉर्ड हेवर्ट ने कहा था, ममता को यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘न्याय न सिर्फ हो, बल्कि होता हुआ दिखाई भी दे।’ (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 मार्च, 2022 का पूरा एपिसोड

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