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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: सावरकर को गद्दार बोलने से पहले राहुल को इंदिरा गांधी की चिट्ठी पढ़नी चाहिए

Rajat Sharma’s Blog: सावरकर को गद्दार बोलने से पहले राहुल को इंदिरा गांधी की चिट्ठी पढ़नी चाहिए

अगर राहुल अगर इंदिरा गांधी की चिट्ठी पढ़ लेते तो शायद वह भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक सावरकर के बारे में ऐसी बातें नहीं कहते।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर पर 'आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल को धोखा देने' का आरोप लगाकर महाराष्ट्र की सियासत में उबाल ला दिया है।

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के वाशिम में अपनी 'भारत जोड़ो' यात्रा के दौरान मंगलवार को आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की शहादत की तुलना हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर से की थी। राहुल ने कहा था कि सावरकर ने क्षमादान के लिए अंग्रेजों को चिट्ठी और दया याचिकाएं लिखी थीं और ‘सबसे आज्ञाकारी सेवक’ बने रहने का वादा किया था। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सावरकर अंग्रेजों की मदद करते थे और ब्रिटिश सरकार से हर महीने पेंशन लेते थे।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ऐसे समय में जब देश के तमाम स्वतंत्रता सेनानी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे, तब सावरकर ने अंग्रेजों का पक्ष लेकर और उनसे माफी मांगकर आजादी के दीवानों को धोखा दिया।

राहुल गांधी के इस बयान के तुरंत बाद महाराष्ट्र में FIR दर्ज हो गई और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल ने कांग्रेस नेता की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। महाराष्ट्र के कई शहरों में राहुल के पुतले जलाए गए, प्रदर्शन शुरू हो गए।

सावरकर पर अपने बयान को लेकर सफाई देने के लिए राहुल गांधी ने गुरुवार को अकोला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर द्वारा ब्रिटिश शासकों को कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी दिखाई जिसमें उन्होंने क्षमादान की मांग की थी। राहुल गांधी ने कहा, ‘सावरकर ने पत्र का अंत में ' I beg to remain, Sir, your most obedient servant ' लिखा। उन्होंने इस चिट्ठी पर साइन क्यों किया? उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अंग्रेजों से डरते थे।’

राहुल गांधी ने कहा, ‘सावरकर जी द्वारा इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के बारे में मेरी यही राय है। महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार पटेल जी ने कई साल जेल में बिताए लेकिन उन्होंने कभी भी ऐसी किसी चिट्ठी पर साइन नहीं किया।’

इस तरह के बयान पर शिवसेना जैसे सहयोगियों की असहमति पर राहुल गांधी ने कहा, ‘अगर कोई अपनी विचारधारा को आगे रखना चाहता है, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए। ..दो विचारधाराएं हैं। हमारी पार्टी में किसी भी चर्चा का स्वागत है। हमारे यहां कोई तानाशाह नहीं है।’

गुरुवार को शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘राहुल गांधी ने जो कहा उससे हम सहमत नहीं हैं। हम वीर सावरकर का सम्मान करते हैं, लेकिन इसके साथ ही जब आप हमसे सवाल कर रहे हैं, तो बीजेपी को भी यह बताना चाहिए कि जब वे कश्मीर में सत्ता में थे, तब उन्होंने पीडीपी के साथ गठबंधन क्यों किया। पीडीपी के नेता तो कभी भी 'भारत माता की जय' नहीं बोलते। अंग्रेजों से मिली आजादी की रक्षा के लिए हमने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है।’

उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘मेरे मन में सावरकर के लिए बहुत सम्मान है। भारत की आजादी में उनके योगदान को मिटाया नहीं जा सकता। लेकिन जिन लोगों का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा, उन्हें इस तरह के सवाल उठाने का अधिकार नहीं है।’

ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी ने पहली बार वीर सावरकर के खिलाफ बोला है। चूंकि गुजरात चुनाव में हिंदुत्व एक बहुत बड़ा फैक्टर है, चुनाव प्रचार जोरों पर है, और सावरकर हिंदुत्व के एक बहुत बड़े प्रतीक हैं, इसलिए राहुल को अपने बयान का बचाव करने के लिए आगे आना पड़ा।

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी को उनकी दादी इंदिरा गांधी की चिट्ठी की याद दिला दी। उन्होंने कहा कि एक चिट्ठी इंदिरा गांधी ने भी लिखी थी जिसमें उन्होंने वीर सावरकर को ‘देश का सपूत’ बताया था, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाला योद्धा कहा था। उन्होंने अपने शासन के दौरान सावरकर पर एक डाक टिकट जारी किया था। पात्रा ने पूछा, ‘अब राहुल गांधी बताएं कि कौन सही है: वह या उनकी दादी?’

बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘राहुल तो यह भी नहीं जानते कि सावरकर कितने साल अंडमान की खतरनाक सेल्युलर जेल में बंद रहे। मैं जानना चाहता हूं कि वीर सावरकर की तरह 11 साल तक कितने कांग्रेस नेताओं ने कष्ट सहे। जेल में लंबी यातनाओं के बावजूद उन्होंने आजादी के गीत गाए। कांग्रेस के अन्य नेताओं की तरह राहुल भी सावरकर के बारे में रोज झूठ बोलते रहे हैं। महाराष्ट्र की जनता उन्हें सही समय पर करारा जवाब देगी।’

सावरकर के बारे में राहुल के बयान को लेकर बीजेपी का गुस्सा सड़कों पर भी नजर आया। नवी मुंबई से लेकर नागपुर तक बीजेपी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया, राहुल गांधी के पुतले जलाए। शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद राहुल शेवाले ने महाराष्ट्र में राहुल की 'भारत जोड़ो यात्रा' पर रोक लगाने की मांग की।

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, 'अगर बीजेपी के मन में वीर सावरकर से इतना ही प्रेम है तो उन्हें भारत रत्न क्यों नहीं देती। आप सावरकर से प्रेम करने का ढोंग क्यों करते हैं? शिवसेना आज से नहीं, बल्कि पिछले 15 सालों से उनके लिए भारत रत्न मांग रही है। सिर्फ एक ही हिंदू हृदय सम्राट हैं, बालासाहेब ठाकरे, हमें ये रोज कहने की जरूरत नहीं है।’

मुंबई में वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने शिवाजी पार्क थाने में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। रंजीत सावरकर ने कहा, ‘राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं। अंग्रेजों ने भी यही कहा था कि सावरकर ने जो अप्लीकेशन लिखी थी, वह सभी पॉलिटिकल कैदियों को छोड़ने के लिए थी। वह अप्लीकेशन सार्वजनिक माफी के लिए थी।’

राहुल गांधी वीर सावरकर की जिस चिट्ठी की आखिरी लाइन 'I beg to remain, Sir, your most obedient servant' को पढ़कर उन्हें अंग्रेजों का पिट्ठू बता रहे हैं, महात्मा गांधी भी अंग्रेजों को लिखी चिट्ठियां के आखिर में ऐसी ही लाइन लिखते थे। यह ब्रिटिश राज के दौरान अप्लीकेशन लिखने का एक फॉर्मैट था, प्रोफॉर्मा था।

दूसरी बात ये कि 20 मई 1980 को इंदिरा गांधी ने मुंबई के वीर सारवरकर प्रतिष्ठान को सावरकर का जन्म शताब्दी वर्ष मनाने के लिए बधाई दी थी। इंदिरा गांधी ने इस चिट्ठी वीर सावरकर को भारतमाता का वीर सपूत बताया था। इंदिरा गांधी ने इस चिट्टी में लिखा था, ‘अंग्रेजों के खिलाफ सावरकर का ऐतिहासिक विरोध आजादी की लड़ाई में उन्हें विशेष स्थान देता है। भारत के इस महान सपूत की जन्मशती मनाने के लिए आपको शुभकामनाएं।’

काश, वीर सावरकर के बारे में ऐसी बातें कहने से पहले राहुल गांधी ने अपनी दादी की चिट्ठी पढ़ ली होती। अगर राहुल यह चिट्ठी पढ़ लेते तो शायद वह भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक सावरकर के बारे में ऐसी बातें नहीं कहते। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 17 नवंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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