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Hindi News भारत राष्ट्रीय 30 देशों में लीगल, लेकिन भारत में समलैंगिक शादियों के विरोध में केंद्र सरकार; आज होगी 'सुप्रीम' सुनवाई

30 देशों में लीगल, लेकिन भारत में समलैंगिक शादियों के विरोध में केंद्र सरकार; आज होगी 'सुप्रीम' सुनवाई

करीब 30 ऐसे देश हैं जो कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देते हैं। हालांकि इन देशों में ज्यादातर वेस्टर्न यूरोप और अमेरिका के देश शामिल हैं। एशिया की बात करें तो सिर्फ ताइवान ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी हुई है।

same sex marriage- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO भारत में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का विरोध

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने सरकार ने हलफनामा दायर करके कहा है कि वो समलैंगिकों की शादी को कानून मान्यता देने के पक्ष में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में आज सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इससे पहले केंद्र सरकार का हलफनामा बताता है कि सरकार इसके पक्ष में नहीं है। केंद्र ने रविवार को कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा दाखिल किया जिसमें कहा गया कि सेम सेक्स मैरिज भारतीय परंपरा के मुताबिक नहीं है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को लेकर दिल्ली समेत अलग-अलग हाईकोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया था। कोर्ट ने 6 जनवरी को इस मुद्दे से जुड़ी सभी याचिकाएं अपने पास ट्रांसफर कर ली थीं। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला की बेंच सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।

सरकार ने कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा किया दाखिल
केंद्र ने इसे लेकर लंबा चौड़ा स्पष्टीकरण दिया है। सरकार ने कोर्ट में 56 पेज का हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में कहा गया है कि सेम सेक्स मैरिज भारतीय परंपरा के मुताबिक नहीं है। केंद्र ने कहा कि शादी की परिभाषा अपोजिट सेक्स के दो लोगों का मिलन है। इसे विवादित प्रावधानों के जरिए खराब नहीं किया जाना चाहिए। यह पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों के कॉन्सेप्ट से मेल नहीं खाती। केंद्र ने इस हलफनामे में समाज की वर्तमान स्थिति का जिक्र करते हुए कहा है कि अभी के समय में समाज में कई तरह की शादियों या संबंधों को अपनाया जा रहा है। हमें इस पर आपत्ति नहीं है।

कानून में पति-पत्नी की जैविक परिभाषा तय- केंद्र
हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने अपने कई फैसलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्याख्या स्पष्ट की है। इन फैसलों के आधार पर भी इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए क्योंकि उसमें सुनवाई करने लायक कोई तथ्य नहीं है। मेरिट के आधार पर भी उसे खारिज किया जाना ही उचित है। सरकार ने कहा है कि कानून के मुताबिक भी समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती क्योंकि उसमें पति और पत्नी की परिभाषा जैविक तौर पर दी गई है। उसी के मुताबिक दोनों के कानूनी अधिकार भी हैं। समलैंगिक विवाह में विवाद की स्थिति में पति और पत्नी को कैसे अलग-अलग माना जा सकेगा?

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30 देशों में लीगल है समलैंगिक विवाह
आपको बता दें कि अगर भारत इस तरह के विवाह को मंजूरी देता है तो यह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश नहीं होगा। करीब 30 ऐसे देश हैं जो कि सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देते हैं। हालांकि इन देशों में ज्यादातर वेस्टर्न यूरोप और अमेरिका के देश शामिल हैं। एशिया की बात करें तो सिर्फ ताइवान ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी हुई है।

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