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Hindi News पैसा बिज़नेस फ्यूचर-रिलायंस सौदा: अमेजन ने न्यायालय में कहा,पंचाट का फैसला वैध, लागू कराया जाये

फ्यूचर-रिलायंस सौदा: अमेजन ने न्यायालय में कहा,पंचाट का फैसला वैध, लागू कराया जाये

उच्चतम न्यायालय ने अधिग्रहण के इस सौदे के खिलाफ अमेजन की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन तथा न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ सुनवाई कर रही है।

<p>फ्यूचर-रिलायंस सौदे...- India TV Paisa Image Source : PTI फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर अमेजन की याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली। अमेरिकी कंपनी अमेजन ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि सिंगापुर के आपातकालीन पंचाट (ईए) का फ्यूचर रिटेल लि. (एफआरएल) को रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये के विलय सौदे से रोकने का फैसला ‘वैध’ है और इसका क्रियान्वयन कराया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने अधिग्रहण के इस सौदे के खिलाफ अमेजन की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन तथा न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अमेजन की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की दलीलों को सुनना शुरू किया। उन्होंने न्यायालय को इस मामले में अबतक के तथ्यों तथा कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी दी। 

अमेरिका की ई-कॉमर्स क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने कहा कि सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) का ईए फैसला प्रवर्तन योग्य है और दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने उसके पक्ष में अंतरिम फैसला सुनाया है तथा विलय पर स्थगन दिया है। सुब्रमण्यम ने कहा कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने फ्यूचर समूह की अपील के दौरान गलती की और उसे इस मामले में राहत दे दी जिससे इस सौदे का रास्ता खुल गया। शीर्ष न्यायालय अब इन याचिकाओं पर बृहस्पतिवार या अगले मंगलवार को सुनवाई शुरू करेगा। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने 22 फरवरी को अपने अंतरिम आदेश में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से इस विलय पर अंतिम आदेश पारित नहीं करने को कहा था। फ्यूचर समूह ने रिलायंस के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के लिए नियामकीय मंजूरियों को न्यायाधिकरण का रुख किया था। 

वहीं अमेजन ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आठ फरवरी को एकल जज के एफआरएल तथा विभिन्न सांविधिक निकायों को इस सौदे पर यथास्थिति कायम रखने के आदेश पर रोक लगा दी थी। यह अंतरिम आदेश एफआरएल की दो फरवरी के एकल जज के आदेश को चुनौती देने की अपील पर जारी किया गया था। 

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