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क्‍या आपके पास भी है जीरो बैलेंस एकाउंट, तो जानिए कैसे बैंक वसूल रहे हैं आपसे शुल्‍क

बीएसबीडीए पर कुछ बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के नियमनों का प्रणालीगत उल्लंघन किया जा रहा है।

SBI,PNB collects Rs 300 cr from zero balance accounts in 5-yr- India TV Paisa Image Source : FORBES SBI,PNB collects Rs 300 cr from zero balance accounts in 5-yr

नई दिल्‍ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित विभिन्न बैंक लोगों से शून्य शेष खातों या मूल बचत बैंक जमा खातों (BSBDA) पर कुछ सेवाओं के लिए अत्यधिक शुल्क की वसूली कर रहे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बंबई (आईआईटी-बंबई) के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि एसबीआई ने बीएसबीडी खाताधारकों पर चार के बाद प्रत्येक नकद निकासी लेनदेन पर 17.70 रुपये का शुल्क लगाने का फैसला किया है, जिसे उचित नहीं माना जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-20 के दौरान एसबीआई ने 12 करोड़ बीएसबीडी खाताधारकों पर सेवा शुल्क लगाकर 300 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।

देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के बीएसबीडी खातों की संख्या 3.9 करोड़ है। बैंक ने इस अवधि में इन खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये जुटाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसबीडीए पर कुछ बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के नियमनों का प्रणालीगत उल्लंघन किया जा रहा है। इनमें एसबीआई का नाम सबसे पहले आता है। एसबीआई द्वारा एक महीने में चार निकासी लेनदेन के बाद प्रत्येक लेनदेन पर 17.70 रुपये वसूले जा रहे हैं। यहां तक कि डिजिटल निकासी में भी एसबीआई यह वसूली कर रहा है।

आईआईटी-बंबई के प्रोफेसर आशीष दास ने कहा कि इस सेवा शुल्क के जरिये एसबीआई ने करीब 12 करोड़ बीएसबीडी खाताधारकों से 300 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें से 2018-19 में ही अकेले 72 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसके बाद 2019-20 में 158 करोड़ रुपये जुटाए गए। बीएसबीडीए पर शुल्क रिजर्व बैंक के सितंबर, 2013 के दिशानिर्देश के आधार पर लगाया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि इन खाताधारकों को एक महीने में चार से अधिक बार निकासी का अधिकार होगा। यह बैंक के विवेक के आधार पर होगा, बशर्ते बैंक उसके लिए शुल्क की वसूली नहीं करे।

बीएसबीडीए के पहलुओं को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि नियामकीय आवश्यकताओं के अनुरूप यह स्पष्ट किया गया है कि जब तक कि बचत जमा खाता बीएसबीडीए है, बैंक उसपर कोई सेवा शुल्क या फिर बैंक द्वारा विवेकाधीन आधार पर दी जा रही मूल्यवर्धित सेवाओं के लिए कोई शुल्क नहीं लगाया जा सकता। इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक एक महीने में चार से अधिक निकासी को मूल्यवर्धित सेवा मानता है।

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