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Hindi News पैसा ऑटो EV इंडस्ट्री के लिए गाड़ियों की कॉस्ट कटिंग करना कितना मुश्किल, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

EV इंडस्ट्री के लिए गाड़ियों की कॉस्ट कटिंग करना कितना मुश्किल, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Electric Vehicles: व्हीकल को ईवी से चलने में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, उसमें लगाई जाने वाली बैटरी और बैटरी बनाने के लिए लिथियम की जरूरत पड़ती है। भारत में आवश्यकतानुसार लिथियम की उपलब्धता नहीं है। हमें विदेशों से आयात करना पड़ रहा है।

EV industry Cost Cutting- India TV Paisa Image Source : FILE EV industry Cost Cutting

EV industry Cost Cutting: इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भारत धीरे-धीरे उभरता हुआ मार्केट बनता जा रहा है। EV पर बढ़ते ध्यान के पीछे मुख्य रूप से दो कारण है- वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे का मुकाबला करना और कच्चे तेल के आयात पर भारत की अत्यधिक निर्भरता को कम करना। इसके अलावा, घरेलू रिसर्च एवं विकास को समर्थन, टैक्स कटौती, कच्चे माल के आयात पर सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन भी इस परिवर्तन में उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर रहे हैं। जैसा कि बाजार अधिक प्रतिस्पर्धी होता जा रहा है, यह सोचना अनिवार्य है कि मूल भारतीय खरीदार को इलेक्ट्रिक वाहन पर स्विच करने के लिए क्या करना होगा। अधिकांश खरीदारों के दिमाग में रहने वाले तीन प्रमुख प्रश्न हैं- परिचालन और रखरखाव लागत में लाभ तथा रेंज या पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता। आइए आज इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं।

क्या कहती हैं कंपनियां

बोरज़ो इंडिया के कंट्री मार्केटिंग मैनेजर देवेश गंगाल से जब हमने पूछा कि उनकी कंपनी कॉस्ट कटिंग पर क्या काम कर रही है? उन्होंने कहा कि अभी पिछले महीने ही कंपनी को काफी लाभ हुआ चाहे वह इंडिया हो या विश्व स्तर पर। इसलिए अभी हमारा फोकस कॉस्ट- कटिंग से ज़्यादा एक्सपेंशन की और है क्योकि इस साल हमारा पूरा धयान इवि और हाइपर लोकल डिलीवरी पर ही रहेगा। अब जैसे कुछ लोग हमसे पूछते है की आप IPL और ब्रांडिंग पर पैसे क्यों नहीं लगाते? तो उसके जवाब में हम उन्हें बताते है की हमारे कॉम्पिटिटर्स ने 100 करोड़ ब्रांडिंग पर लगाए, जिसकी वजह से अब उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।

रेट कम होने में लगेगा समय

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में ईवी की कीमतों में जरूर कमी देखने को मिलेगी। बता दें कि व्हीकल को ईवी से चलने में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है, उसमें लगाई जाने वाली बैटरी और बैटरी बनाने के लिए लिथियम की जरूरत पड़ती है। भारत में आवश्यकतानुसार लिथियम की उपलब्धता नहीं है। हमें विदेशों से आयात करना पड़ रहा है। अब इससे राहत मिलेगी, क्योंकि लिथियम का बड़ा भंडार अब इंडिया में ही मिल गया है। सरकार ने पहली बार जम्मू-कश्मीर में लिथियम और सोने के भंडार पाए हैं। खान मंत्रालय को रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में करीब 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। हाल ही में हुई 62वीं सेंट्रल जियोलॉजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड (सीजीपीबी) की बैठक के दौरान 15 अन्य संसाधनों वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्ट और 35 भूवैज्ञानिक ज्ञापनों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंपी गई है। हालांकि अभी सिर्फ भंडार मिला है, जबतक की उसका इस्तेमाल होना शुरू नहीं हो जाता है तब तक कीमत को लेकर कुछ अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।

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