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भारत का WTO में प्रस्ताव, भंडार को स्थिर स्तर पर रखने वाला देश ही दे मत्स्य पालन सब्सिडी

अधिकारी ने कहा कि इन वार्ताओं का मकसद सब्सिडी अनुशासन है, जिससे देशों को अत्यधिक मछली पकड़ने से रोका जा सके। भारत द्वारा डब्ल्यूटीओ में जो प्रस्ताव सौंपा गया है वह महत्वपूर्ण है।

भारत का WTO में प्रस्ताव, भंडार को स्थिर स्तर पर रखने वाला देश ही दे मत्स्य पालन सब्सिडी- India TV Paisa Image Source : PIXABAY भारत का WTO में प्रस्ताव, भंडार को स्थिर स्तर पर रखने वाला देश ही दे मत्स्य पालन सब्सिडी

नई दिल्ली: भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को सौंपे प्रस्ताव में कहा है कि कोई भी सदस्य देश उस स्थिति में अपने मछुआरों को सब्सिडी दे सकता है जबकि वह भंडार को जैविक रूप से स्थिर स्तर पर रखता है। भारत ने यह प्रस्ताव पिछले महीने दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा भारत का प्रस्ताव है कि दूर समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने (अपने समुद्र तट से 200 नॉटिकल माइल आगे) वाले देश मत्स्य पालन सब्सिडी करार के अस्तित्व में आने के बाद 25 साल तक सब्सिडी नहीं दे सकेंगे। दूर समुद्री क्षेत्र या किसी अन्य देश के क्षेत्र में मछली पकड़ना भंडार की स्थिरता की दृष्टि से एक बड़ी समस्या है। इससे समुद्र में मछलियां घट जाती हैं। इस करार पर जिनेवा में 164 सदस्यों के बीच विचार-विमर्श चल रहा है। 

अधिकारी ने कहा कि इन वार्ताओं का मकसद सब्सिडी अनुशासन है, जिससे देशों को अत्यधिक मछली पकड़ने से रोका जा सके। भारत द्वारा डब्ल्यूटीओ में जो प्रस्ताव सौंपा गया है वह महत्वपूर्ण है। भारत ने इसके मौजूदा मसौदे को असंतुलित बताया है। अधिकारी ने कहा, ‘‘मत्स्य पालन सब्सिडी पर मौजूदा मसौदा ‘असंतुलित’ है और इसे बातचीत के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता। मसौदे में भारत द्वारा प्रस्तावित सुझावों को शामिल करने के बाद ही इसे बातचीत के लिए स्वीकार किया जा सकता है।’’

डब्ल्यूटीओ में सदस्य देश मसौदे के आधार पर वार्ता करते हैं जिसके बाद किसी करार को अंतिम रूप दिया जाता है। अधिकारी ने कहा कि मौजूदा मसौदा जिस पर वार्ता हो रही है वह विकासशील और अल्पविकसित देशों के लिए अनुकूल नीति प्रदान नहीं करता है। ये देश अभी अपनी मत्स्य पालन क्षमता का विकास कर रहे हैं।

अधिकारी ने बताया कि दूर समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने वाले देशों पर 25 साल तक सब्सिडी देने की रोक का प्रस्ताव खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के दायित्वपूर्ण मत्स्य पालन की संहिता पर आधारित है। इसे 1995 में अपनाया गया था।

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