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Hindi News पैसा बिज़नेस महंगा हो सकता है खाने का तेल, कृषि मंत्रालय ने इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी बढ़ाने का दिया प्रस्ताव

महंगा हो सकता है खाने का तेल, कृषि मंत्रालय ने इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी बढ़ाने का दिया प्रस्ताव

कृषि मंत्रालय ने खाद्य तेलों के इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी और बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इससे किसानों और तेल रिफाइनरी को कुछ राहत मिल सकती है।

महंगा हो सकता है खाने का तेल, कृषि मंत्रालय ने इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी बढ़ाने का दिया प्रस्ताव- India TV Paisa महंगा हो सकता है खाने का तेल, कृषि मंत्रालय ने इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी बढ़ाने का दिया प्रस्ताव

नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय ने घरेलू किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों के इंपोर्ट ड्यूटी 5 फीसदी और बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इससे किसानों और तेल रिफाइनरी को कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। सरकार ने इससे पहले सितंबर में क्रूड खाद्य तेल पर ड्यूटी को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी और रिफाइंड खाद्य तेल पर 15 से बढ़ाकर 20 फीसदी कर चुकी है।

तेल के इंपोर्ट पर 25 फीसदी तक ड्यूटी की तैयारी

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, खाद्य तेलों के इंपोर्ट बढ़ाने से किसान प्रभावित हुए हैं। हमने वित्त मंत्रालय से खाद्य तेलों पर लागू मौजूदा आयात शुल्क में 5 फीसदी और बढ़ोत्तरी किए जाने का प्रस्ताव किया है। अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने कच्चे खाद्य तेल पर आयात शुल्क को मौजूदा 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 17.5 फीसदी और रिफाइंड खाद्य तेलों पर 20 से बढ़ाकर 25 फीसदी करने का प्रस्ताव किया है। उसने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य सरकारों से प्राप्त कई ग्यापनों और खाद्य तेल उद्योग की संस्था साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएसन (एसईए) के आग्रह पर भेजा गया है।

बढ़ते आयात से परेशान हैं किसान

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चालू रबी मौसम की बुवाई के दौरान पिछले सप्ताह तक तिलहन फसल की बुवाई 57.08 लाख हेक्टेयर पर कम रही। एक साल पहले इसी अवधि में यह 65.73 लाख हेक्टेयर रही थी। एसईए ने खाद्य तेल मिलों और स्थानीय किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से कच्चे तेल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत और रिफाइंड तेल पर 45 प्रतिशत करने की मांग की है। पिछले वर्ष देश में खाद्य तेलों का आयात 24 फीसदी बढ़कर एक करोड 44 लाख टन तक पहुंच गया। भारत की 1.80 से 1.90 करोड़ टन सालाना मांग में से 60 प्रतिशत की भरपाई आयात से की जाती है।

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