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निर्माण क्षेत्र की परेशानियां दूर करने के लिए कई उपायों को मंजूरी

निर्माण क्षेत्र में अटकी पड़ी परियोजनाओं में विवाद निवारण, धन की व्यवस्था और उसमें फंसे बैंकों के ऋण की समस्या के निपटने के विभिन्न उपायों को आज मंजूरी दी

निर्माण क्षेत्र की परेशानियां दूर करने के लिए कई उपायों को मंजूरी, अटकी परियोजनाओं मिलेगी हरी झंडी- India TV Paisa निर्माण क्षेत्र की परेशानियां दूर करने के लिए कई उपायों को मंजूरी, अटकी परियोजनाओं मिलेगी हरी झंडी

नई दिल्ली। निर्माण एवं जमीन जायदाद विकास के क्षेत्र में अटकी पड़ी परियोजनाओं में विवाद निवारण, धन की व्यवस्था और उसमें फंसे बैंकों के ऋण की समस्या के निपटने के विभिन्न उपायों को आज मंजूरी दी ताकि इन्हें फिर से तेजी से चालू किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसले लिए गए। ठेकेदारों को तेज गति से फैसले के लिए नई पंचनिर्णय प्रक्रिया में जाने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा बैंक गारंटी के एवज में विवाद में उलझी राशि की 75 फीसदी राशि को जारी करने तथा नये अनुबंधों में विवादों पर सुलह कराने के लिए स्वतंत्र विशेषग्यों को मिलाकर एक बोर्ड बनाने की व्यवस्था को मंजूरी दी गई है।

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि भवन निर्माण क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आठ प्रतिशत का योगदान रखता है। क्षेत्र करीब चार करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा, निर्माण क्षेत्र के समक्ष कई तरह की चुनौतियां हैं और सरकार इस क्षेत्र के कामकाम में सुधार लाने के लिए प्रयास कर रही है। जेटली ने कहा, हमने पंच निर्णय कानून को सरल बनाया है ताकि विवाद निपटान की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके। हमने वाणिज्यिक अदालतों के गठन की भी अनुमति दी है। जेटली ने कहा कि मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक संस्थाओं और ठेकेदार के बीच विवादों को जल्द निपटाने के लिये पुराने पंच निर्णय कानून से नये पंच निर्णय कानून के तहत स्थानांतरित करने का विकल्प देने का फैसला किया है।

विवाद चलने के दौरान ठेकेदार की 75 प्रतिशत राशि को बैंक गारंटी के एवज में जारी कर दिया जाये। राशि जो जारी की जाएगी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की देनदारी पर खर्च की जायेगी इसके बाद यदि कुछ राशि बचती है तो उसे परियोजना पर लगाया जाएगा। इससे क्षेत्र में नकदी की तंगी काफी हद तक दूर होगी। नए अनुबंधों के मामले में क्षेत्र के स्वतंत्र विशेषग्यों को शामिल कर आपसी सहमति बोर्ड बनाने का भी प्रावधान किया गया है। परियोजना में व्यावसायिक परिस्थितियों में बदलाव आने की स्थिति में यह विशेषज्ञ बातचीत के लिये अनुबंध में होंगे। इसके अलावा अलग अलग सामान के अनुबंध के बजाय एकमुश्त निर्माण का अनुबंध किया जायेगा और इसके लिये एक आदर्श टर्नकी अनुबंध का मसौदा जारी किया जायेगा।

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