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Hindi News पैसा बिज़नेस कनिष्‍क गोल्‍ड के प्रमोटर्स के ठिकानों पर CBI की छापेमारी, SBI सहित 14 बैंकों में किया 824 करोड़ का घोटाला

कनिष्‍क गोल्‍ड के प्रमोटर्स के ठिकानों पर CBI की छापेमारी, SBI सहित 14 बैंकों में किया 824 करोड़ का घोटाला

CBI ने चेन्नई की कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. के खिलाफ कथित रूप से 824.15 करोड़ रुपए की ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई में 14 बैंकों के गठजोड़ से यह ऋण लिया गया था।

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नई दिल्ली केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चेन्नई की कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. के खिलाफ कथित रूप से 824.15 करोड़ रुपए की ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई में 14 बैंकों के गठजोड़ से यह ऋण लिया गया था। सूत्रों ने बताया कि CBI ने बुधवार को इस मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने यह प्राथमिकी (FIR) 14 बैंकों के गठजोड़ की ओर से SBI की शिकायत पर दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। इस सिलसिले में कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. के प्रमोटर्स के आधिकारिक और आवासीय परिसरों पर छापेमारी की गई।

यह कंपनी सोने के आभूषण बनाती है। इनकी मार्केटिंग क्रिज ब्रांड नाम से की जाती है। SBI ने CBI के पास दर्ज कराई गई अपनी शिकायत में कहा है कि कंपनी ने इन आभूषणों की बिक्री2014 तक वितरकों के जरिए की। वर्ष 2015 में उसने अपना कारोबारी माडल बदलकर बी2बी (बिजनेस टु बिजनेस) कर लिया और बड़े खुदरा आभूषण कारोबारियों को आपूर्ति शुरू की।

इन ऋण खातों को 2008 में SBI ने आईसीआईसीआई बैंक से लिया था। इसकी बैंकिंग व्यवस्था को मार्च 2011 में बदलकर बहु-बैंकिंग व्यवस्था कर दिया गया। SBI का आरोप है कि यह धोखाधड़ी 824.15 करोड़ रुपए की है। इसके नुकसान की भरपाई के लिए सिक्योरिटी सिर्फ 156.65 करोड़ रुपए है। बैंक का आरोप है कि कनिष्क ने 2009 से रिकार्डों तथा वित्तीय ब्योरे की गलत जानकारी देकर कंपनी की बेहतर तस्वीर दिखाई जिससे कर्ज हासिल किया जा सके।

उसने कहा कि कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. और उसके निदेशकों ने बैंक के अधिकार और हितों के खिलाफ इस राशि को इधर उधर किया। SBI ने जांच एजेंसी से कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. और उसके प्रवर्तक निदेशक भूपेष कुमार जैन तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है। कंपनी के खातों को कर्ज देने वाले विभिन्न बैंकों ने 2017-18 में धोखाधड़ी वाला और गैर निष्पादित आस्तियां (NPA) घोषित कर दिया था।

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