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Hindi News पैसा बिज़नेस कोरोना संक्रमण के बीच कितनी सुरक्षित है हवाई यात्रा, जानिए वैज्ञानिकों का ताजा अनुमान

कोरोना संक्रमण के बीच कितनी सुरक्षित है हवाई यात्रा, जानिए वैज्ञानिकों का ताजा अनुमान

एक अनुमान के मुताबिक आधुनिक विमान में छोटी उड़ान के दौरान पूरी क्षमता से उड़ रहे विमान में अगर सभी यात्री मास्क पहने हों तो किसी दूसरे कोरोना के मरीज से संक्रमित होने की संभावना 4300 में से सिर्फ 1, वहीं बीच की सीट खाली रखने पर संभावना घटकर 7700 में से सिर्फ 1

<p class="MsoNormal" style="background: white;"><span...- India TV Paisa Image Source : FILE PHOTO Research on in-flight covid transmission

नई दिल्ली। कोरोना संकट से सबसे ज्यादा नुकसान एविएशन सेक्टर को हुआ है। उडानों पर प्रतिबंध और हवाई जहाज की सीमित जगह में कोरोना के प्रसार को लेकर लोगों की आशंकाओं की वजह से यात्रियों की संख्या में गिरावट जारी है। लोग हवाई यात्राओ को लेकर अभी तक आशंकित बने हुए। हालांकि वैज्ञानिकों के द्वारा हाल ही मे जारी एक रिपोर्ट की माने तो कोरोना काल में  हवाई यात्रा उतनी डरावनी नहीं है जितनी लोगों को लग रही है।

सीएनएन में छपी एक खबर के मुताबिक वैज्ञानिक मान रहे हैं कि फ्लाइट के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना कहीं और की तुलना में काफी कम हैं। रिपोर्ट में अमेरिकन मेडिकल एसोसिशन द्वारा जारी मेडिकल जर्नल, फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी और एमआईटी सहित कई वैज्ञानिकों की रिसर्च का हवाला दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक उड़ान के दौरान अगर कोई यात्री संक्रमित हुआ है तो भी यात्री संख्या के मुकाबले ये दर काफी कम है। एमआईटी के एक सांख्यिकी प्रोफेसर ने आंकड़ों के आधार पर अनुमान दिया है कि अगर सभी यात्री मास्क पहने तो यात्रा के दौरान आधुनिक विमान के द्वारा 1500 किलोमीटर तक की यात्रा के दौरान किसी दूसरे  से वायरस से संक्रमित होने की संभावना 4300 में से सिर्फ 1 है। वहीं अगर बीच की सीट खाली रखी जाए तो ये संभावना अंतर पर बैठने वाले यात्रियों के लिए घटकर 7700 में से सिर्फ एक रह जाएगी। ये अनुमान तब के लिए है जब विमान पूरी क्षमता से उड़ान भर रहे हों। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि आधुनिक विमानों में हर 2 से 3 मिनट में हवा को ताजी हवा से बदल दिया जाता है। वहीं इन विमानों में 99.99 फीसदी पार्टिकल को रोकने की क्षमता वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही विमान यात्रियों के लिए स्कीनिंग, मास्क जैसे कई सुरक्षा उपायों से संक्रमण की दर में कमी देखने को मिली है।      

वहीं रिपोर्ट की माने तो पहले जो भी संक्रमण के मामले सामने आए हैं उनकी दर भी कम ही है। ऐसी एक रिसर्च में मार्च 31 की उड़ान का जिक्र है जो अमेरिकी से ताइवान के बीच थी, इसमें 12 लोगों में कोरोना के लक्षण थे, हालांकि 328 लोगों की इस फ्लाइट में इनके अलावा किसी और को संक्रमण नहीं हुआ। वहीं अमेरिकन मेडिकल एसोसिएसन के जर्नल में एक ऐसी फ्लाइट का जिक्र किया गया है जिसमें फ्लाइट के दौरान संक्रमण के सबूत मिले हैं। ये फ्लाइट तेल अवीव से फ्रैंकफर्ट के बीच थी। इसमें संदिग्ध पर्यटकों के एक ग्रुप से दो अन्य यात्री संक्रमित हो गए। इसके अलावा यूके से वियतनाम जा रही एक फ्लाइट में 1 यात्री के जरिए 14 अन्य यात्रियों को संक्रमण हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक किसी फ्लाइट में ये संक्रमण का सबसे तेज मामला रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के संक्रमण के मामले मिले हैं लेकिन ये संख्या भी उड़ान भर रहे कुल यात्रियों की संख्या के मुकाबले सीमित ही है।

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