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Hindi News पैसा बिज़नेस एमएसपी को प्रभावी बनाने व शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए बनेगी समिति: प्रधानमंत्री

एमएसपी को प्रभावी बनाने व शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए बनेगी समिति: प्रधानमंत्री

समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों के प्रतिनिधियों के साथ साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री भी शामिल होंगे।

<p>एमएसपी को लेकर गठित...- India TV Paisa Image Source : PTI एमएसपी को लेकर गठित होगी कमेटी

Highlights

  • प्रधानमंत्री ने आज तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले की घोषणा की
  • किसान कृषि कानून निरस्त करने के साथ MSP पर कानून की मांग कर रहे थे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार खेती के तौर-तरीकों को बदलने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले की घोषणा करने के बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए सरकार ने एक और महत्वपूर्ण फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों के अनुसार फसल पैटर्न बदलने और एमएसपी को अधिक प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।’’ 

उन्होंने कहा कि इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों के प्रतिनिधियों के साथ साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पांच दशक के लंबे सार्वजनिक जीवन में किसानों की मुश्किलों और चुनौतियों का बहुत करीब से अनुभव किया है और इसी के मद्देनजर उनकी सरकार ने कृषि विकास व किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के हित में काम करती रही है और आगे भी करेगी। ज्ञात हो कि विभिन्न किसान संगठन पिछले लगभग एक साल से केंद्र के तीन कृषि कानूनों --कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 -- के खिलाफ राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे है। इन तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावा एमएसपी के लिए कानून बनाना उनकी प्रमुख मांगों में शुमार रहा है। 

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