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पोटेशियम ब्रोमेट को खाद्य उत्पादों में मिलाने पर रोक की तैयारी

सरकार अगले 15 दिन में पोटेशियम ब्रोमेट के खाद्य मिश्रण के रूप में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा सकती है क्यों कि इसे खाद्य मिश्रणों की सूची से हटा दिया है।

पोटेशियम ब्रोमेट को खाद्य उत्पादों में मिलाने पर रोक की तैयारी, खतरनाक रसायनों पर सख्‍त हुई सरकार- India TV Paisa पोटेशियम ब्रोमेट को खाद्य उत्पादों में मिलाने पर रोक की तैयारी, खतरनाक रसायनों पर सख्‍त हुई सरकार

नई दिल्ली। सरकार अगले 15 दिन में पोटेशियम ब्रोमेट के खाद्य मिश्रण के रूप में इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है, क्‍योंकि खाद्य मानक विनियामक ने स्वीकृत खाद्य मिश्रणों की सूची से हटा दिया है। गौर तलब है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (सीएसई) के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्रेड या डबलरोटी में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मुख्य कार्यकारी पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि खाद्य कारोबार में पोटेशियम ब्रोमेट उन 11,000 मिश्रणों में है जिनकी अनुमति है। सावधानी से विचार के बाद एफएसएसएआई ने पोटेशियम ब्रोमेट को मिश्रण वाली सूची से हटाने का फैसला किया है। नियामक ने स्वास्थ्य मंत्रालय से पोटेशियम ब्रोमेट को अनुमति वाले खाद्य मिश्रण की सूची से हटाने की सिफारिश की है। सीएसई ने कल कहा था कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले 38 ब्रेड ब्रांडों (पाव और बन सहित) में से 84 फीसदी में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट पाया गया है। कई देशों में इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उनके मंत्रालय ने एफएसएसएआई से मामले को गंभीरता से लेते हुए रिपोर्ट देने को कहा है। वे रिपोर्ट पेश करने जा रहे हैं। मंत्रालय उसी के आधार पर उचित कदम उठाएगा। रिपोर्ट आने के तत्काल बाद हम कार्रवाई करैंगे।

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अधिसूचना के बारे में अग्रवाल ने कहा कि FSSAI ने इस बारे में अपनी सिफारिश स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दी है। इसे मंत्रालय जारी करेगा। इसमें एक या दो सप्ताह का समय लगेगा। इस बीच, उद्योग मंडल एसोचैम ब्रेड विनिर्माताओं के समर्थन उतर आया। एसोचैम ने कहा कि पोटेशियम ब्रोमेट का इस्तेमाल FSSAI की पूरी जानकारी में किया जा रहा है और एनजीओ का शोध निष्कर्ष भय पैदा करने का प्रयास है। उद्योग मंडल ने कहा कि एनजीओ एक मुक्त नियामक है। लेकिन उनको यह समझना चाहिए कि उनके रिपोर्ट सिर्फ उद्योग को निशाना बनाने वाली नहीं होनी चाहिए। जहां सरकार कारोबार की स्थिति सुगम करने का प्रयास कर रही है और इंस्पेक्टर राज में ढील दे रही है वहीं एनजीओ की नीति कई बार नुकसान पहुंचाने वाली होती है। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि इस तरह की धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है, जैसे सभी ब्रेड विनिर्माता जानबूझकर लोगों को खतरे में डाल रहे हैं। मैगी नूडल्स के मामले में भी यही हुआ था।

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