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Budget 2016-17: आम बजट से पहले अर्थशास्त्रियों से नहीं मिलेंगे वित्तमंत्री, व्यस्तता की वजह से रद्द की बैठक

आम बजट से पहले वित्तमंत्री और अर्थशास्त्रियों के साथ होने वाली बैठक रद्द हो गई है। जेटली ने आम बजट से दो दिन पहले बैठक बुलाई फिर शाम को इसे रद्द कर दी।

Budget 2016-17: आम बजट से पहले अर्थशास्त्रियों से नहीं मिलेंगे वित्तमंत्री, व्यस्तता की वजह से रद्द की बैठक- India TV Paisa Budget 2016-17: आम बजट से पहले अर्थशास्त्रियों से नहीं मिलेंगे वित्तमंत्री, व्यस्तता की वजह से रद्द की बैठक

नई दिल्ली। आम बजट से पहले वित्तमंत्री और अर्थशास्त्रियों के साथ होने वाली बैठक रद्द हो गई है। गुरुवार को अरुण जेटली ने आम बजट से दो दिन पहले बैठक बुलाई फिर शाम को इसे रद्द कर दिया। अधिक व्यस्तता को बैठक रद्द होने की वजह बताई गई है। इस बैठक को लेकर काफी उत्सुकता थी। शनिवार को होने वाली इस बैठक में निवेशकों, अर्थशास्त्रियों  और पत्रकारों को बुलाया गया था। बैठक में मैक्रो-इकोनॉमी पर आर्थिक विश्लेषण करना था। 29 फरवरी को अरुण जेटली आम बजट 2016-17 पेश करेंगे।

90 मिनट की बुलाई गई थी बैठक

वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने डेढ़ घंटे (90 मिनट) की इस बैठक की पुष्टि करते हुए कहा था कि इसका उद्देश्य आर्थिक समीक्षा के बाद वृहद आर्थिक स्थिति का आर्थिक विश्लेषण करना था। लेकिन यह नहीं बताया था कि इसका एजेंडा क्या था। इस बैठक को लेकर काफी उत्सुकता थी। कुछ लोगों का मानना था कि आखिरी समय में आयोजित की जा रही इस बैठक का मकसद शायद अर्थव्यवस्था को ठीक दिशा में बनाए रखने पर चर्चा करना है। इसके लिए कुछ फौरी पैकेज समझ लिए जाएं और कड़वी खुराक की पैकेजिंग की जा सके। बाद में दिन में प्रवक्ता ने कहा कि इकोनॉमिस्टों और वित्त विशेषग्यों के साथ बैठक को वित्त मंत्री की काफी अधिक व्यस्तता की वजह से रद्द कर दिया गया है। इस बैठक में जेटली के अलावा वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा तथा वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भाग लेना था।

बजट में टैक्सपेयर्स को राहत की उम्मीद

आगामी बजट में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिल सकती है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार के बजट में सैलरीड क्लास की खरीदारी शक्ति बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आय पर टैक्स छूट की सीमा को मौजूदा ढ़ाई लाख से बढ़ा सकते हैं। वहीं, दूसरी ओर बजट में कारोबारियों को झटका लग सकता है। बजट में कार्पोरेट टैक्स की दर में कटौती और इंडस्ट्रीज को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की टैक्स रियायतों को धीरे धीरे वापस लेने की शुरुआत होने की संभावना है।

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